—यूपी के कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के आरोप
—60 से ज्यादा संगीन अपराधों में लिप्त था विकास
—विकास दूबे का सरेंडर था या गिरफ्तारी, उठे सवाल
—पूछताछ के बाद मध्य प्रदेश पुलिस ने यूपी एसटीएफ को सौंपा
उज्जैन/नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के आरोपी और दुर्दांत अपराधी विकास दूबे को पुलिस ने वीरवार को सुबह सुरक्षा गार्ड की सूचना पर महाकाल मंदिर परिसर से गिरफ्तार किया। यह विकास दूबे का सरेंडर था या गिरफ्तारी, इस पर सवाल उठ रहे हैं। फिलहाल 10 घंटे की पूछताछ के बाद मध्य प्रदेश पुलिस ने उसे अब यूपी एसटीएफ को सौंप दिया है। इधर, लखनऊ पुलिस ने विकास की पत्नी ऋचा, बेटे और नौकर को हिरासत में लिया है।
यूपी में हत्या, लूट, डकैती और फिरौती जैसे 60 से ज्यादा संगीन अपराधों में लिप्त रहे पांच लाख रुपये के इनामी गैंगस्टर विकास दूबे की इतनी सहज गिरफ्तारी न केवल संदेहों के दायरे में है, बल्कि सियासी गरमी भी बढ़ा दी है। विरोधी दलों ने विकास की गिरफ्तारी को मिलीभगत और आत्मसमर्पण के साथ यूपी पुलिस की नाकामी बता रहे हैं। बीते वीरवार की देर रात कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरू गांव में विकास दूबे को गिरफ्तार करने गए पुलिस दल पर दूबे और उसके साथियों ने गोलियां बरसाई थी, जिसमें एक पुलिस उपाधीक्षक समेत आठ पुलिसकर्मी मारे गए थे। इस घटना के बाद से उत्तर प्रदेश पुलिस की चालीस से ज्यादा टीमें विकास दूबे की तलाश कर रही थीं। इसमें छह टीमें यूपी एसटीएफ की थीं। यह वही एसटीएफ है जिसने श्रीप्रकाश शुक्ल, निर्भय गुज्जर और ददुआ जैसे दुर्दांत अपराधियों का सफाया किया और उसकी कामयाबी पर सहर फिल्म भी बनी है।
वही एसटीएफ सात दिनों में विकास दूबे की झलक तो छोड़िए, सुराग तक नहीं लगा पाई। जबकि कुछ रिपोर्ट के मुताबिक विकास दूबे बिकरू कांड के बाद फरार होकर 5 और 6 जुलाई को नोएडा में रहा, 7 जुलाई को फरीदाबाद में रुका और 8 जुलाई को कोटा में, जहां से वीरवार की सुबह वह उज्जैन के महाकाल मंदिर पहुंचा। भगवान शिव के दर्शन किए और फिर मंदिर परिसर से मध्य प्रदेश पुलिस ने उसे सुरक्षा गार्ड की सूचना पर गिरफ्तार किया।
उसकी गिरफ्तारी की पुष्टि मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने की। उन्होंने बताया कि पुजारी एवं कुछ लोगों ने उसका चेहरा पहचाना और उसके बाद पुलिस को सूचना दी। उन्होंने कहा कि प्रारंभिक पूछताछ में उसके कोटा के रास्ते उज्जैन पहुंचने की बात सामने आई है। उन्होंने इसे मध्य प्रदेश पुलिस की बड़ी कामयाबी बताया। हालांकि उनके इस बयान के बाद सियासत भी गरमा गई।
विरोधी दल के नेताओं ने विकास दूबे की गिरफ्तारी के तरीके पर सवाल उठाते हुए इसे मिलीभगत बताया। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने इसकी सीबीआई जांच की मांग की थी तो कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह ने न्यायिक जांच की मांग की। उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने पूछा कि यह गिरफ्तारी है या आत्मसमर्पण? इसी सियासी गरमी के बीच यूपी एसटीएफ दोपहर बाद उज्जैन पहुंची और विकास दूबे को मध्य प्रदेश पुलिस से अपनी हिरासत में लिया। बताया गया कि बगैर ट्रांजिट रिमांड के ही एमपी पुलिस ने विकास दूबे को यूपी एसटीएफ के हवाले कर दिया, जिसे कड़ी सुरक्षा में सड़क मार्ग से कानपुर लाया गया। इधर, लखनऊ पुलिस ने विकास दूबे की पत्नी ऋचा, बेटे और उसके नौकर को हिरासत में लिया है।
पुलिस ने दूबे के दो सहयोगियों को मुठभेड़ मे मार गिराया
इस बीच पुलिस ने बताया कि दूबे के दो सहयोगियों को दो अलग-अलग मुठभेड़ मे मार गिराया गया। उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने बताया कि विकास दूबे का सहयोगी कार्तिकेय उर्फ प्रभात ने ट्रांजिट रिमांड पर फरीदाबाद से कानपुर लाए जाने के दौरान पुलिस हिरासत से भागने की कोशिश की। उन्होंने बताया कि मुठभेड़ कानपुर के पनकी इलाके में हुई। पुलिस वाहन का टायर पंचर हो गया था और स्थिति का फायदा उठाते हुए कार्तिकेय ने भागने की कोशिश की। इस दौरान उसने एक पुलिसकर्मी की पिस्तौल छीन ली और पुलिसकर्मियों पर गोलियां चलाई। उन्होंने बताया कि पुलिस की जवाबी कार्रवाई में कार्तिकेय घायल हो गया। उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां उसने दम तोड़ दिया।
विकास दूबे का साथी प्रवीण उर्फ बाबा दूबे को इटावा पुलिस ने मारा
कानपुर के बिकरू कांड के मुख्य आरोपी विकास दूबे का एक और करीबी साथी एवं इनामी बदमाश प्रवीण उर्फ बाबा दूबे को इटावा में पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में मारा गया। इटावा पुलिस अधीक्षक आकाश तोमर ने बताया कि पुलिस ने प्रवीण को तड़के करीब साढ़े चार बजे एक स्थान पर घेर लिया था और फिर दोनों तरफ से हुई गोलीबारी में वह मारा गया। उन्होंने बताया कि वह बिकरू कांड में वांछित था और उस पर पचास हजार रुपये का इनाम घोषित था। तोमर ने बताया कि प्रवीण के पास से एक राइफल और पिस्तौल भी बरामद की गई है। इसके पहले 3 जुलाई को पुलिस ने एक मुठभेड़ में विकास दूबे के सहयोगी प्रेम प्रकाश पांडे और अतुल दूबे को कानपुर में और अमर दूबे को हमीरपुर में मार गिराया था।