(अदिती सिंह)
नई दिल्ली / टीम डिजिटल: भारतीय जनता पार्टी ने शनिवार को माना कि प्रवासी मजदूरों के देशव्यापी घरवापसी से कोरोना विषाणु के संक्रमण फैलने और उद्योगों के पुन: चालू होने की राह में चुनौती आएगी। लेकिन सरकार के उपायों से देश इन चुनौतियों से आगे बढ़ेगा। साथ ही विश्व में एक आकर्षक विनिर्माण केंद्र के रूप में उभरेगा।
भाजपा के आर्थिक मामलों के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल चुनिंदा मीडिया के पत्रकारों से एक संवाद कार्यक्रम में यह बात कही। अग्रवाल ने कहा कि केंद्र सरकार ने कोविड-19 वैश्विक महामारी से निपटने के लिए मार्च से ही लगातार अनेक कदम उठाए हैं और तेजी से बदल रही परिस्थितियों की दिन प्रतिदिन के हिसाब से समीक्षा करके चरणबद्व ढंग से नये नये फैसले तुरंत कर रही है।
अग्रवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जो 20 लाख करोड़ रुपए का पैकेज घोषित किया है। उसमें सुधार एवं सहायता दोनों ही पहलू शामिल हैं। सरकार के कदमों में अर्थव्यवस्था में सुधार, स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत बनाने, गरीबों के कल्याण और प्रवासी श्रमिकों की सहायता शामिल है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था के सुधार के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर, टेक्नोलॉजी, डेमोग्राफी और डिमांड के बिन्दुओं पर काम किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि चीन से जो भी विनिर्माण की इकाइयां अपने विनिर्माण के काम को विकेन्द्रीकृत करने की इच्छुक हैं, उन्हें भारत लाने के लिए नियमों एवं कानूनों को एक समान और आकर्षक बनाना होगा। सरकार सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के लिए लिक्विडिटी की समस्या को दूर करेगी। श्रम सुधार करके 93 प्रतिशत असंगठित क्षेत्र के कामगारों को औपचारिक प्रणाली में लाया जाएगा। असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिकों की संख्या करीब 45 करोड़ है।
अग्रवाल के मुताबिक चूंकि केन्द्र ने अनेक कदम ऐसे उठाये हैं जिनका क्रियान्वयन राज्यों की मशीनरी के माध्यम से होता है तो राज्य सरकारों की भूमिका महत्वपूर्ण है। राज्यों को राजनीति छोड़ कर इस दिशा में सकारात्मक योगदान देना चाहिए। लॉकडाउन के बीच देशभर से लाखों मजदूरों के घर की ओर वापसी को लेकर पूछे गये एक सवाल पर उन्होंने कहा कि इन मजदूरों को राह में शिविरों में भोजन आदि के प्रबंध का पैसा केन्द्र द्वारा मुहैया कराया जा रहा है। ट्रेनों के परिचालन में 85 प्रतिशत व्यय केन्द्र सरकार वहन कर रही है। गांवों में इन श्रमिकों को मनरेगा के तहत पंचायत के माध्यम से पैसा दिया जा रहा है।
ऐसे मजदूरों की संख्या के बारे में उन्होंने कहा कि करीब चार से साढ़े चार करोड़ श्रमिक लौटे हैं या लौट रहे हैं जो कुल श्रमिक बल का 10 से 12 प्रतिशत के आसपास है। उन्होंने यह भी कहा कि इन मजदूरों के जल्द ही वापस उन्हीं राज्यों पर काम पर लौटने की आशा कम है। पर फिर भी अर्थव्यवस्था खोलने के लिए पर्याप्त संख्या में मजदूर अपने कार्यक्षेत्र में उपस्थित हैं। एक सवाल पर अग्रवाल ने कहा कि सरकार श्रमिकों को वेतन के एवज में कोई सब्सिडी या मदद नहीं दे रही है लेकिन 90 प्रतिशत से अधिक कर्मचारी यदि 15 हजार रुपए से कम वेतन पर हैं, तो उनके भविष्य निधि खातों में नियोक्ता एवं कर्मचारी दोनों का योगदान केन्द्र सरकार देगी।