-BJPने बोला हमला- कहा- नैतिक अधिकार खो चुकी है उद्धव सरकार
–महाराष्ट्र सरकार को आखिर कौन चला रहा है : रविशंकर प्रसाद
–पूरी तरह ऑटो पायलट मोड में है भ्रष्टाचार की गाड़ी
–महाराष्ट्र में ट्रांसफर और पोस्टिंग के नाम पर भी चल रही वसूली
नई दिल्ली/ नेशनल डेस्क : भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने आज यहां महाराष्ट्र की महाअघाड़ी सरकार पर जमकर हमला बोला। साथ ही कहा कि महाराष्ट्र की उद्धव सरकार शासन करने का नैतिक अधिकार पूरी तरह से खो चुकी है और यह सरकार विकास की नहीं बल्कि महालूट और वसूली करने वाली सरकार है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा का महाराष्ट्र में चल रहा लूट और वसूली का घटनाक्रम पूरी तरह ऑटो पायलट मोड में है, और भ्रष्टाचार की ये गाड़ी किस किस रास्ते से कैसे गुजरेगी, इसकी कई किस्तें आनी अभी बाकी हैं। महाराष्ट्र की महाअघाड़ी सरकार विकास की नहीं बल्कि महालूट और वसूली करने वाली सरकार है। उन्होंने कहा कि भारत के इतिहास में ये पहली बार हुआ कि किसी पुलिस कमिश्नर ने लिखा कि राज्य के गृह मंत्री ने मुंबई से 100 करोड़ रुपये महीना वसूली का टार्गेट तय किया है।
केंदीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि 100 करोड़ रुपये का टार्गेट था सिर्फ मुंबई से तो कृपया करके उद्धव ठाकरे और शरद पवार बताएं कि पूरे महाराष्ट्र का टार्गेट क्या था? अगर एक मंत्री का टार्गेट 100 करोड़ था तो बाकी मंत्रियों का टार्गेट क्या था? रविशंकर प्रसाद ने पूछा कि महाराष्ट्र के गृहमंत्री देशमुख द्वारा 100 करोड़ रूपये उगाही का निर्देश क्या स्वयं के लिए था या उनकी पार्टी एनसीपी के लिए या फिर पूरे महाराष्ट्र सरकार के लिए थी? इन तीनों प्रश्नों में से किसी का भी जवाब अब तक नहीं आया है। इन सवालों का जवाब शरद पवार के साथ साथ उद्धव ठाकरे को भी देना होगा, क्योंकि यह भ्रष्टाचार का बहुत बड़ा मामला है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रसाद ने कहा कि महाराष्ट्र में ट्रांसफर और पोस्टिंग के नाम पर भी वसूली चल रही थी। वो भी छोटे मोटे ऑफिसर्स की ही नहीं बल्कि बड़े बड़े भारतीय पुलिस सेवा अधिकारीयों की भी। महाराष्ट्र इंटेलिजेंस विभाग की अफसर रश्मि शुक्ला ने पूरे मामले की तहकीकात की, जिसमें ये बात उभरकर सामने आई कि ट्रांसफर-पोस्टिंग रैकेट में बहुत रसूखदार और ब्रोकर्स लोग शामिल थे, जिनके संबंध सत्ताधारी पार्टी के इर्द-गिर्द थे। सबूत के तौर पर वैध तरीके से प्राप्त डिजिटल कन्वर्सेशन को भी सामने रखा गया है। इस रिपोर्ट को 2020 में महाराष्ट्र के तत्कालीन डीजीपी सुबोध जयसवाल ने राज्य के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी को भेजा ताकि प्रदेश के मुख्यमंत्री इसपर कुछ संज्ञान ले सकें। महाराष्ट्र जैसे राज्य में बड़े अधिकारियों की पोस्टिंग में वसूली हो रही है, तो लगा मुख्यमंत्री कार्रवाई करेंगे, लेकिन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने दोषियों पर कार्रवाई करने के बजाये दोनों ईमानदार अधिकारियों- रश्मि शुक्ला और सुबोध जयसवाल पर ही गाज गिराई, नतीजन दोनों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाना पड़ा, जो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।
100 करोड़ वसूली का टार्गेट दिया जाता है
भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कई आरोपों से घिरे सचिन वाजे वर्षों तक सस्पेंड था, फिर वो शिवसेना का सदस्य बना, वर्षों बाद ,कोरोना काल में उन्हें पुनर्बहाल किया गया और उस समय महाराष्ट्र सरकार द्वारा कहा गया कि कोरोना में पुलिस वाले बीमार पड़ रहे हैं इसलिए इनको लिया जा रहा है। उसके बाद उन्हें ही 100 करोड़ वसूली का टार्गेट दिया जाता है। फिर एंटीलिया का मामला सामने आता है, जिसमें एक उद्योगपति के घर के बाहर एक संदिग्ध स्कार्पियो गाड़ी में कई जिलेटिन की छड़ें मिली थी, जो एक विस्फोटक पदार्थ है। यदि कहीं कोई विस्फोटक सामग्री मिलती है तो एनआईए को अधिकार है वह उसकी जांच करे साथ ही, एनआईए के सेक्शन 8 में एक अन्य प्रावधान है कि इससे जुड़ा कोई अपराध हो, तो एनआईए उसकी भी जांच कर सकती है।
आखिर महाराष्ट्र सरकार को कौन चला रहा है?
रविशंकर प्रसाद ने महाराष्ट्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा की आखिर महाराष्ट्र सरकार को कौन चला रहा है? महाराष्ट्र का शो कौन चला रहा है? क्या यह महाराष्ट्र के इतिहास में सर्वाधिक उलझनों वाली सरकार है, जिनके नेता कुर्सी पर तो बैठे हैं लेकिन उनके पास कोई अथॉरिटी नहीं है? इस प्रकरण में यदि शिवसेना से कुछ पूछा जाए तो कहते हैं एनसीपी से पूछो, एनसीपी से पूछा जाए तो वे कहते हैं मुख्यमंत्री से पूछिये, वही फैसला करने वाले हैं और कांग्रेस से पूछा जाए तो वे ये कहते हुए पल्ला झाड़ लेते हैं कि उन दोनों बड़ी पार्टियों से पूछिये। आखिर यह कौन सी अघाड़ी है जो तिगाड़ी पर खड़ी है? इस वसूली अघाड़ी की राजनीतिक दिशा क्या है?
शरद पवार पर भाजपा ने साधा निशाना, दागे सवाल
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार पर निशान साधते हुए कहा की आखिर शरद पवार की ऐसी क्या मजबूरी है कि वो गृह मंत्री देशमुख का इतना बचाव कर रहे हैं वो भी गलत तरीके से। शरद पवार को राजनीतिक विश्वसनीयता हासिल है, लेकिन किस मजबूरी के तहत वह अनिल देशमुख का बचाव कर रहे हैं? आप कृपया देश को बताएं कि गलत तथ्यों के आधार पर आपको महाराष्ट्र के गृहमंत्री को क्यों डिफेंड करना पड़ा?