28.4 C
New Delhi
Wednesday, July 2, 2025

आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का गवाह बनेगा नया संसद भवन

-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैदिक रीति से किया भूमिपूजन
–नवरत्न, नवधान्य, पंचधातु के कलश, चाँदी की ईंट के रूप में आधारशिला रखी
–जैन, ईसाई, पारसी, बौद्ध, इस्लामिक आदि धर्माचार्यों ने धर्म के अनुसार की प्रार्थनाएं
–नये भवन में 21वीं सदी के भारत की आकांक्षाएं पूरी की जाएंगी : प्रधानमंत्री

(खुशबू पाण्डेय)
नई दिल्ली/ टीम डिजिटल : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को यहां संसद भवन से सटे नए संसद भवन की आधारशिला रखी। दक्षिण भारतीय पुरोहितों ने वैदिक रीति से भूमिपूजन कार्यक्रम संपन्न कराया। इस मौके पर नवग्रहों, क्षेत्रपाल, गणपति, अनंतशेष, भूदेवी, कूर्म एवं वराह रूपी विष्णु का पूजन किया गया। तत्पश्चात पीएम मोदी ने नवरत्न, नवधान्य, पंचधातु के कलश, चाँदी की ईंट के रूप में आधारशिला रखी। मौके पर मौजूद जैन, ईसाई, पारसी, बौद्ध, इस्लामिक आदि विविध पंथों के धर्माचार्यों ने अपने-अपने धर्म के अनुसार प्रार्थनाएं कीं। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी देश के कहा कि यह आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का साक्षी बनेगा और स्वतंत्र भारत में बने इस नये संसद भवन को देखकर आने वाली पीढिय़ां गर्व करेंगी। नया भवन आत्मनिभर भारत का गवाह बनेगा।

प्रधानमंत्री ने नये संसद भवन के शिलान्यास को भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में मील के पत्थर बताया। साथ ही कहा कि पुराने संसद भवन ने स्वतंत्रता के बाद देश को दिशा दी, तो नया भवन आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का गवाह बनेगा। पुराने भवन में देश की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए काम हुआ, तो नये भवन में 21वीं सदी के भारत की आकांक्षाएं पूरी की जाएंगी। जैसे आज इंडिया गेट से आगे राष्ट्रीय समर स्मारक ने नयी पहचान बनाई है, वैसे ही संसद का नया भवन अपनी पहचान स्थापित करेगा। आने वाली पीढिय़ां नये संसद भवन को देखकर गर्व करेंगी कि यह स्वतंत्र भारत में बना है। आजादी के 75 वर्ष का स्मरण करके इसका निर्माण हुआ है। प्रधानमंत्री ने कहा कि कोई मंदिर बनता है तो जब तक प्राण प्रतिष्ठा नहीं हो, तब तक वह एक भवन या इमारत मात्र ही होती है। संसद के नये भवन की लोकतंत्र के नये मंदिर के रूप में प्राण प्रतिष्ठा संसद में चुनकर आने वाले प्रतिनिधि करेंगे जिसकी कोई विधि निश्चित नहीं है। उन्होंने कहा भारत की एकता-अखंडता को लेकर किए गए उनके प्रयास, इस मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा की ऊर्जा बनेंगे। जब एक-एक जनप्रतिनिधि, अपना ज्ञान, बुद्धि, शिक्षा, अपना अनुभव पूर्ण रूप से यहाँ निचोड़ देगा, उसका अभिषेक करेगा, तब इस नये संसद भवन की प्राण-प्रतिष्ठा होगी।

अंतिम लक्ष्य में कोई मतभेद नहीं होना चाहिए

उन्होंने कहा कि भारत में लोकतंत्र, हमेशा से शासन के साथ-साथ मतभेदों को सुलझाने का माध्यम भी रहा है। मतभेदों के लिए हमेशा जगह हो लेकिन संवादहीनता कभी न हो, इसी लक्ष्य को लेकर हमारा लोकतंत्र आगे बढ़ा है। नीतियों में अंतर हो सकता है, भिन्नता हो सकती है, लेकिन हम जनता की सेवा के लिए हैं, इस अंतिम लक्ष्य में कोई मतभेद नहीं होना चाहिए। वाद-संवाद संसद के भीतर हो या संसद के बाहर, राष्ट्रसेवा का संकल्प, राष्ट्रहित के प्रति समर्पण लगातार झलकना चाहिए। इस मौके पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी और शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भूमिपूजन कार्यक्रम में भाग लिया। इसके अलावा केन्द्रीय मंत्री, विभिन्न राजनीतिक दलों के नेतागण, राजनयिक एवं अधिकारीगण भी कार्यक्रम में उपस्थित थे। कार्यक्रम को अंतर संसदीय संघ के सदस्य देशों की संसदों के सभापतियों, विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों, राज्यपालों एवं विदेशी नेताओं ने भी इंटरनेट के माध्यम से देखा।

जनप्रतिनिधियों का हर फैसला राष्ट्रहित सर्वोपरि रहना चाहिए

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जनप्रतिनिधियों का हर फैसला राष्ट्र प्रथम की भावना से ही होना चाहिये। हमारे हर फैसले में राष्ट्रहित सर्वोपरि रहना चाहिए। राष्ट्रीय संकल्पों की सिद्धि के लिए हम एक स्वर में खड़े हों, यह बहुत जरूरी है। राष्ट्र के विकास के लिए राज्यों का विकास, राष्ट्र की मजबूती के लिए राज्यों की मजबूती, राष्ट्र के कल्याण के लिए राज्यों का कल्याण- इस मूलभूत सिद्धांत के साथ काम करने का हमें प्रण लेना है। प्रधानमंत्री ने देशवासियों का आह्वान किया कि वे नये संसद भवन के शिलान्यास के साथ ही ‘भारत सर्वोपरिÓ का संकल्प लें और उसे 2047 तक अपनी आराधना का हिस्सा बना लें। आजादी की सौवीं वर्षगाँठ के मौके पर भारत की सर्वोन्नति की कामना के साथ यह संकल्प लेना है।

सांसदों की क्षमता बढ़ेगी, वर्क कल्चर में आधुनिक तरीके आएंगे

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि संसद के शक्तिशाली इतिहास के साथ ही यथार्थ को स्वीकारना उतना ही आवश्यक है। यह इमारत अब करीब 100 साल की हो रही है। बीते वर्षों में इसे जरूरत के हिसाब से अपग्रेड किया गया। कई नये सुधारों के बाद संसद का यह भवन अब विश्राम माँग रहा है। उन्होंने कहा कि वर्षों से नये संसद भवन की जरूरत महसूस की गई है। पीएम ने कहा कि वक्त-वक्त की जरूरत के साथ इस भवन को अपग्रेड करने की कोशिश कई गई है। साउंड, आईटी, सुरक्षा सिस्टम अपग्रेड किया गया है, कई बार दीवारें भी तोड़ी गई हैं, लेकिन अब यह भवन विश्राम मांग रहा है। पीएम ने कहा कि नए संसद भवन में कई नई चीजें की जा रही है, जिससे सांसदों की क्षमता बढ़ेगी, वर्क कल्चर में आधुनिक तरीके आएंगे। नागरिक सांसद से मिलने आते हैं, तो उन्हें बहुत मुश्किल होती है। संसद भवन में स्थान की कमी महसूस होती है। लेकिन भविष्य में हर सांसद के लिए ऐसी व्यवस्था होगी कि वो अपने संसदीय क्षेत्र से मिलने वाले लोगों से मिल सके। ऐसे में हम सभी का दायित्व है कि 21वीं सदी के भारत को एक नया संसद भवन मिले। इसी कड़ी में ये शुभारंभ हो रहा है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Related Articles

Delhi epaper

Prayagraj epaper

Latest Articles