-हरियाणा के सोहना में DFCके डबल स्टेक कंटेनर वाली ट्रेन दौड़ेगी
-गुरुग्राम के सोहना के नजदीक अरावली से होकर गुजर रही है सुरंग
–डीएफसी के रेवाड़ी-दादरी खंड में पड़ेगा ऐतिहासिक सुरंग
—एक किमी लम्बी सुरंग की खुदाई का कार्य रिकॉर्ड समय में आज पूरा
—डीएपफसी के एमडी अनुराग सचान ने दीवार को नियंत्रित विस्फोट के माध्यम से खोला
नई दिल्ली/ टीम डिजिटल : भारतीय रेलवे के पश्चिमी समर्पित मालवहन गलियारे (WDFC) के रेवाड़ी-दादरी खंड के तहत हरियाणा में सोहना के नजदीक अरावली पहाडिय़ों से होकर गुजरने वाली लाइन के लिए एक किलोमीटर लम्बी सुरंग की खुदाई का कार्य रिकॉर्ड समय में आज पूरा हो गया। इस सुरंग को एक वर्ष से कम समय के भीतर तैयार किया गया है। भारतीय समर्पित मालवहन गलियारा निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक अनुराग सचान ने शुक्रवार को सुरंग के बीच में दो मीटर की दीवार को नियंत्रित विस्फोट के माध्यम से खोला। यह भारत ही नहीं विश्व में ऐसी पहली रेलवे सुरंग होगी जो विद्युतीकृत एवं डबल स्टेक कंटेनरों के संचालन के लिए उपयुक्त है।
इस मौके पर डीएफसी निगम लिमिटेड में महाप्रबंधक (परिचालन) वेद प्रकाश ने बताया कि भूवैज्ञानिक रूप से यह सुरंग सुरक्षित और स्थिर है। यह सुरंग 250 से 50 करोड़ वर्ष पुरानी प्रोटेरोजोइक चट्टानें मुख्यत: दिल्ली सुपरग्रुप रॉक्स की अलवर, अजबगढ़ समूहों की क्वाट्र्जाइट, स्किस्ट और स्लेट्स की चट्टानों को काट कर बनायी गयी है। इस सुरंग से 100 किमी प्रतिघंटा की गति से 25 टन एक्सल लोड एवं डबल स्टेक कंटेनर वाली मालगाडिय़ां गुजरेंगी। सुरंग की चौड़ाई 15 मीटर और ऊंचाई 12.5 मीटर है। वेद प्रकाश ने बताया कि सुरंग में पानी की निकासी के लिए साइड में नाले बनाए गये हैं। त्वरित एवं सुरक्षित आवागमन के लिए सुरंग के भीतर ब्लास्टर्ड ट्रैक बिछाया जाएगा। ओएचई के कॉन्टेक्ट वायर, केटनरी एवं ड्रापर एसेम्बली को टनल की सीलिंग से जोड़ा जाएगा, जबकि एसएंडटी केबल एवं फीडर वायर केबल ट्रे के माध्यम से टनल की दीवार के माध्यम से गुजरेंगे।
पूर्वी एवं पश्चिमी डीएफसी दोनों में कुल छह सुरंगें हैं। पश्चिमी डीएफसी में यहां एक किमी लम्बी सोहना सुरंग, 320 मीटर लम्बी वसई डिटूर उत्तरी सुरंग और 430 मीटर लम्बी वसई डिटूर दक्षिणी सुरंग हैं। इसी तरह पूर्वी डीएफसी में भी सोननगर गोमोह खण्ड में क्रमश: 150 मीटर, 475 मीटर एवं 300 मीटर लंबी तीन सुरंगें हैं।
यह खंड दादरी में पूर्वी डीएफसी से जुड़ेगा
पश्चिमी डीएफसी की यह खंड दादरी में पूर्वी डीएफसी से जुड़ेगा जो दिसंबर 2022 तक बन कर तैयार हो जाएगा। दादरी में एक विशाल कंटेनर डिपो बनाया गया है। पूर्वी DFC में खुर्जा से भदान तक का खंड यातायात के लिये खोला जा चुका है और भाऊपुर तक निर्माण पूरा हो चुका है, जबकि पश्चिमी डीएफसी में रेवाड़ी से मदार तक खोला जा चुका है और पालनपुर तक ट्रायल रन चल रहे हैं। पूर्वी एवं पश्चिमी डीएफसी को दिसंबर 2022 तक पूरा किये जाने का लक्ष्य है।
मेवात एवं गुरूग्राम जिलों को जोड़ती है टनल
डीएफसी निगम लिमिटेड में महाप्रबंधक (परिचालन) वेद प्रकाश के मुताबिक यह टनल हरियाणा के मेवात एवं गुरूग्राम जिलों को जोड़ती है और अरावली रेंज की चढ़ावदार एवं समतल ढलान पर मजबूत ढाल को पार करती है। इस डी-आकार की सुरंग में डब्ल्यूडीएफसी पर डबल स्टेक कंटेनरों के सुगम आवागमन के लिए उच्चतम ओएचई (ओवर हैड इक्विपमेंट) के साथ डबल लाइन को अनुकूल बनाने हेतु 150 वर्ग मीटर का संकर अनुभागीय क्षेत्र है। संकर अनुभागीय क्षेत्र के अनुसार यह भारत के सबसे बड़े टनलों में से एक है। वेद प्रकाश के मुताबिक सुरंग का एक शिरा रेवाड़ी के नजदीक है जिसे पोर्टल-1 या पश्चिम पोर्टल कहा गया है जबकि सुरंग का दूसरा शिरा दादरी में है जिसमें पोर्टल-2 या पूर्वी पोर्टल का नाम दिया गया है। डबल स्टेक ट्रेन आवागमन के लिए डबल लाइन इलेक्ट्रिफाइड ट्रैक के साथ टनल का आयाम सीधे पोर्शन में 14.5 मीटर एवं 10.5 मीटर ऊंचा है।
यह सुरंग स्थिर और सुरक्षित है : वेद प्रकाश
डीएफसी निगम लिमिटेड में महाप्रबंधक (परिचालन) वेद प्रकाश के मुताबिक भूवैज्ञानिक रूप से यह सुरंग सुरक्षित और स्थिर है क्योंकि यह 2500 से 500 मिलियन वर्ष पुरानी प्रोटेरोजोइक चट्टानों मुख्यतः दिल्ली सुपरग्रुप राॅक्स की अलवर/अजबगढ़ समूहों की क्वार्ट्जाइट, स्किस्ट और स्लेट्स है, से गुजरती है जिनकी उच्च वहन क्षमता है।
ये क्वार्टजाइट चट्टाने सुरंग के निर्माण के लिए कठोर एवं उपयुक्त हैं। पानी की निकासी के लिए साइड में नाले बनाए गये हैं। त्वरित एवं सुरक्षित ट्रेन आवागमन को सुगम बनाने के लिए सुरंग के भीतर ब्लास्टर्ड ट्रैक बिछाया गया है। ओएचई के काॅन्टेक्ट वायर, केटनरी एवं ड्रापर एसेम्बली को टनल की सीलिंग से जोड़ा जाएगा जबकि एसएंडटी केबल एवं फीडर वायर केबल ट्रे के माध्यम से टनल की दीवार के माध्यम से गुजरगें।
कोरोना वायरस महामारी के बीच बनाया रिकार्ड
डीएफसी ने अब तक ईडीएफसी के भादन-खुर्जा खण्ड और डब्ल्यूडीएफसी के मदार-रेवाड़ी खण्ड में 1600 से अधिक ट्रेनें चलाई हैं। कोरोना वायरस महामारी के समय में भी डीएफसीसीआईएल में काम त्वरित एवं दृढ़ गति से चल रहा है। ईस्टर्न (पीपीपी सैक्शन को छोड़कर) एवं वेस्टर्न डीएफसी का काम जून 2022 तक पूरा हो जाने का अनुमान है।