30.9 C
New Delhi
Tuesday, June 3, 2025

114 साल पुराने रेलवे बोर्ड का पुर्नगठन, रेलवे की सभी 8 कैडर खत्म

–भारतीय रेल प्रबंधन सेवा नामक कैडर बनाया
–रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष की भूमिका सीईओ की होगी
–रेलवे बोर्ड में सचिव स्तर के 10 पद होंगे
–27 जोनल महाप्रबंधकों का पद केंद्र सरकार के सचिव के समकक्ष होगा
— 2021 से होने वाली भर्ती परीक्षाओं में आईआरएमएस के कैडर में होगी भर्ती

(खुशबू पाण्डेय)

नई दिल्ली  : भारतीय रेलवे के 114 साल पुराने प्रशासनिक ढांचे में फेरबदल करते हुए आठ विभागीय सेवाओं को मर्ज करते हुए एकीकृत कर दिया गया है। सभी आठ कैडर अब भारतीय रेल प्रबंधन सेवा (आईआरएमएस) के तहत माने जाएंगे। खास बात यह है कि रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष की भूमिका सीईओ (CEO) की होगी। सीईओ के नीचे अब चार सदस्य होंगे। इसमें सदस्य-इंफ्रास्ट्रक्चर, सदस्य-ऑपरेशन्स एवं बिजनेस डेवलपमेंट, सदस्य-रोलिंग स्टॉक व सदस्य-वित्त होंगे। सीईओ (CEO) के साथ एक महानिदेशक होगा जोकि मानव संसाधन प्रबंधन का काम देखेगा। रेलवे चिकित्सा सेवो को अब रेलवे स्वास्थ्य सेवा कहा जाएगा। रेलवे बोर्ड में सदस्यों के तीन पद समाप्त कर दिए हैं। बोर्ड में सचिव स्तर के 10 पद होंगे जबकि सभी 27 महाप्रबंधकों का पद अतिरिक्त सचिव को होता है उसे अपग्रेड कर केंद्र सरकार के सचिव के समकक्ष (सचिव) बना दिया गया है।

इसके अलावा 2021 से होने वाली भर्ती परीक्षाओं में आईआरएमएस के कैडर में अधिकारियों की भर्ती की जाएगी। रेलवे बोर्ड में स्वतंत्र सदस्यों की भर्ती के लिए कैबिनेट सचिव द्वारा गठित सचिवों का समूह वैकल्पिक व्यवस्था पर काम करेगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज यहां हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह ऐतिहासिक फैसला लिया गया। कैबिनेट बैठक के बाद रेलमंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि रेलवे में इंजीनियरिंग, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल्स, लेखा, भंडारण, कार्मिक, यातायात, सिंगनल एवं टेलीकॉम सेवाओं को मिलाकर एक सेवा भारतीय रेल प्रंबधन सेवा करने को आज मंजूरी दे दी गई है। यह निर्णय आज से ही लागू हो गया है।

114 साल पुराने रेलवे बोर्ड का पुर्नगठन, रेलवे की सभी 8 कैडर खत्म

रेलवे बोर्ड का पहली बार गठन 1905 में किया गया था। करीब 114 साल से रेलवे विभागीय गुटों में बंटी थी। आठों कैडर के अधिकारी पहले अपने विभाग के प्रति ही ज्यादा समर्पित रहते थे और बोर्ड के सदस्य बनने पर समय रेलवे की बजाय अपने अपने विभागों की चिंता करते थे। इस निर्णय से रेलवे में विभागीय गुटबाजी समाप्त होगी ओर रेलवे में निर्णय प्रक्रिया की गति तेज होगी। साथ ही भारतीय रेलवे 21वीं सदी की नई चुनौतियों का सामना करने में अधिक सक्षम होगी।
बता दें कि रेलवे में सुधार के लिए गठित विभिन्न समितियों ने सेवाओं के एकीकरण की सिफारिश की है। इनमें प्रकाश टंडन समिति (1994), राकेश मोहन समिति (2001), सैम पित्रोदा समिति (2012) और बिबेक देबरॉय समिति (2015) शामिल हैं।

सेवाओं के एकीकरण से ‘नौकरशाही खत्म हो जाएगी : पीयूष गोयल

रेलमंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि सेवाओं के एकीकरण से ‘नौकरशाहीÓ खत्म हो जाएगी और रेलवे के सुव्यवस्थित कामकाज को बढ़ावा मिलेगा। निर्णय लेने में तेजी आएगी, संगठन के लिए एक सुसंगत विजन सृजित होगा और तर्कसंगत निर्णय लेने को प्रोत्साहन मिलेगा। गोयल ने कहा कि रेलवे बोर्ड का गठन अब से विभागीय तर्ज पर नहीं होगा और इसका स्थान एक छोटे आकार वाली संरचना लेगी जिसका गठन कार्यात्मक तर्ज पर होगा।

एकीकृत समूह ‘ए सेवा को सृजित किया

अब आगामी भर्ती चक्र या प्रक्रिया से एक एकीकृत समूह ‘एÓ सेवा को सृजित करने का प्रस्ताव किया गया, जो ‘भारतीय रेलवे प्रबंधन सेवा (आईआरएमएस) कहलाएगी। अगले भर्ती वर्ष में भर्तियों में सुविधा के लिए डीओपीटी और यूपीएससी से परामर्श कर नई सेवा के सृजन का काम पूरा किया जाएगा। इससे रेलवे अपनी जरूरत के अनुसार अभियंताओं/गैर-अभियंताओं की भर्ती करने और इसके साथ ही करियर में उन्नति के लिए इन दोनों ही श्रेणियों को अवसरों में समानता की पेशकश करने में सक्षम हो जाएगी। रेल मंत्रालय निष्पक्षता एवं पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कैबिनेट द्वारा गठित की जाने वाली वैकल्पिक व्यवस्था की मंजूरी से डीओपीटी के साथ परामर्श कर सेवाओं के एकीकरण की रूपरेखा तय करेगा। यह प्रक्रिया एक साल के भीतर पूरी हो जाएगी।

इंजीनियरिंग एवं नान इंजीनियरिंग क्षेत्रों से आएंगे अधिकारी

रेल मंत्रालय में अब भर्ती किए जाने वाले नए अधिकारी आवश्यकतानुसार अभियांत्रिकी एवं गैर-अभियांत्रिकी क्षेत्रों से आएंगे। उनके कौशल एवं विशेषज्ञता के अनुसार उनकी तैनाती की जाएगी, ताकि वे किसी एक क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल कर सके।ं एक समग्र परिप्रेक्ष्य विकसित कर सकें और इसके साथ ही वरिष्ठ स्तरों पर सामान्य प्रबंधन जिम्मेदारियों का निर्वहन करने के लिए तैयार हो सकें। सामान्य प्रबंधन पदों के लिए चयन योग्यता आधारित प्रणाली के जरिए किया जाएगा।

अब कैसा होगा रेलवे बोर्ड

रेलवे बोर्ड का गठन अब से विभागीय तर्ज पर नहीं होगा। इसका स्थान एक छोटे आकार वाली संरचना लेगी, जिसका गठन कार्यात्मक तर्ज पर होगा। इसमें एक चेयरमैन होगा जो ‘मुख्य कार्यकारी अधिकारीÓ के रूप में कार्य करेगा। इसके साथ ही 4 सदस्य होंगे जिन्हें अवसंरचना, परिचालन एवं व्यावसायिक विकास, रोलिंग स्टॉक एवं वित्तीय से जुड़े कार्यों की अलग-अलग जवाबदेही दी जाएगी। चेयरमैन दरअसल कैडर नियंत्रणकारी अधिकारी होगा जो मानव संसाधनों (एचआर) के लिए जवाबदेह होगा और जिसे एक डीजी (एचआर) आवश्यक सहायता प्रदान करेगा। शीर्ष स्तर के तीन पदों को रेलवे बोर्ड से खत्म (सरेंडर) कर दिया जाएगा और रेलवे बोर्ड के शेष पद सभी अधिकारियों के लिए खुले रहेंगे, चाहे वे किसी भी सेवा के अंतर्गत आते हों। बोर्ड में कुछ स्वतंत्र सदस्य (इनकी संख्या समय-समय पर सक्षम प्राधिकरण द्वारा तय की जाएगी) भी होंगे, जो गहन ज्ञान वाले अत्यंत विशिष्ट प्रोफेशनल होंगे और जिन्हें उद्योग जगत, वित्त, अर्थशास्त्र एवं प्रबंधन क्षेत्रों में शीर्ष स्तरों पर काम करने सहित 30 वर्षों का व्यापक अनुभव होगा। स्वतंत्र सदस्य विशिष्ट रणनीतिक दिशा तय करने में रेलवे बोर्ड की मदद करेंगे। बोर्ड से मंजूरी मिलने के बाद पुनर्गठित बोर्ड काम करना शुरू कर देगा। इसके तहत यह सुनिश्चित किया जाएगा कि अधिकारियों को पुनर्गठित बोर्ड में शामिल किया जाए अथवा उनकी सेवानिवृत्ति तक समान वेतन एवं रैंक में समायोजित किया जाए।

latest news

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Related Articles

Delhi epaper

Prayagraj epaper

Latest Articles