नगर कीर्तन में 2 सोने की पालकीयों पर उठे सवाल
-2 सोने की पालकी साहिब लेकर जाने का औचित्य नहीं
–नगर कीर्तनों की होड़ मानवतावादी से बना रहीं हैं स्वार्थवादी : जीके
— सोने की पालकी पर खर्च होने वाले धन से बनाएं जरूरतमंद बच्चों का भविष्य
(धार्मिक संवाददाता)
नई दिल्ली, 20 जुलाई : गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व पर नगर कीर्तनों की लगी होड़ को लेकर सिखों में भी भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है। वह परेशान हैं कि किस धड़े को अपना पासपोर्ट वीजा लगवाने के लिए दें। इसके अलावा नगर कीर्तन में 2 सोने की पालकीयों पर भी सवाल उठने लगे हैं। दिल्ली कमेटी के पूर्व अध्यक्ष मंजीत सिंह जीके ने भी नगर कीर्तनों पर मचे घमासान पर चुप्पी तोड़ते हुए गलत बताया है। साथ ही कहा कि नगर कीर्तनों की होड़ मानवतावादी को स्वार्थवादी बना रही है। अपनी प्रतिक्रिया देते हुए नगर कीर्तन सजाने के साथ ही गुरु नानक देव जी से संबंधित पवित्र स्थान सिख कौम को सौंपने के लिए सिख संस्थाओं को सांझी योजना बनाने की सलाह दी हैं।

दिल्ली से ननकाना साहिब तक 13 तथा 28 अक्टूबर 2019 को प्रस्तावित 2 नगर कीर्तनों तथा 2 सोने की पालकी श्री करतारपुर साहिब तक ले जाने के लिए दिल्ली कमेटी तथा शिरोमणी अकाली दल दिल्ली के द्वारा किए जा रहे हठ को भी जीके ने गैरजरुरी बताया। साथ ही दोनों पक्षों में टकराव खत्म करने के लिए मध्यस्थता करने की पेशकश की हैं। जीके ने कहा कि कौम से छीने गए गुरु स्थानों पर सिख मर्यादा की पुन: बहाली तथा उक्त स्थानों की कौम को फिर से प्रबंध की संभाल दिलवाना भी कौमी एजेंडे में शामिल होना चाहिए।
जीके ने कहा कि एक ही स्थान के लिए 2 सोने की पालकी साहिब लेकर जाने का औचित्य नजर नहीं आता हैं। वो भी तब जब गुरु साहिब ने जरूरतमंद की सेवा करने को ही असली धर्मी कारज होने की संज्ञा दी हों। जीके ने गुरु नानक जी की शिक्षाओं का अधिकतर देशों के संविधान के मसोदे में शामिल होने का हवाला देते हुए कहा कि बराबरी,परस्पर प्यार,नफरत से दूरी,धार्मिक आजादी की जरूरत तथा सामाजिक भेदभाव नहीं करने जैसी शिक्षाओं से गुरु साहिब ने हमें मानवतावादी बनाया था। पर नगर कीर्तनों की इस होड़ ने हमें स्वार्थवादी बना दिया हैं,जो कि गुरु शिक्षा के उल्ट हैं। इसलिए सोने की पालकी पर खर्च होने वाले धन को जरूरतमंद बच्चों का सुनहरी भविष्य बनाने में इस्तेमाल करना चाहिए।
हरिद्वार और सिक्किम के गुरुद्वारा को आजाद करवाने की सलाह
मंजीत सिंह जीके ने नगर कीर्तन सजाने के साथ ही गुरु नानक देव जी से संबंधित हरिद्वार के गुरुद्वारा ज्ञान गोदड़ी साहिब तथा सिक्किम के गुरुद्वारा डांगमार साहिब को भी सरकारी कब्जे से आजाद करवाने के लिए सिख संस्थाओं को सांझा कार्यक्रम तैयार करने की सलाह दी। क्योंकि सिख इतिहास की इन अनमोल धरोहरों से गुरु साहिब के आगमन के सबूतों को झूठलाने के मकसद से इन स्थानों पर सिखों को अपनी धार्मिक आस्था पुरी करने का अधिकार नहीं दिया जा रहा है। जीके ने दिल्ली कमेटी प्रबंधकों का उनकी अपील पर नगर कीर्तन की प्रस्तावित तारीख को 30 से 13 अक्टूबर करने के लिए धन्यवाद भी किया।