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Sunday, September 14, 2025

SYL : अड़ा पंजाब, हरियाणा को पानी देने को तैयार नहीं

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नई दिल्ली,/खुशबू पाण्डेय: सतलुज-यमुना लिंक नहर (एसवाईएल) के मुद्दे पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की अध्यक्षता में हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्रियों की आज बैठक हुई। गजेंद्र सिंह शेखावत ने दोनों राज्यों में घटते भूजल स्तर पर चिंता व्यक्त करते हुए इस दिशा में समर्पित प्रयास करने का आह्वान किया। उन्होंने सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली के लिए हरियाणा सरकार द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि हरियाणा ने सूक्ष्म सिंचाई के मामले में 1000 प्रतिशत बढ़ोतरी दर्ज की है। पंजाब राज्य को भी सूक्ष्म सिंचाई को बढ़ावा देने के लिए हरियाणा से सीख लेनी चाहिए। बैठक में दोनों राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी हिस्सा लिया। जबकि एसवाईएल मुद्दे पर बीते एक साल के दौरान दोनों मुख्यमंत्रियों के बीच यह तीसरी बैठक है।

-एसवाईएल को लेकर हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्रियों की बैठक
-केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की अध्यक्षता में बैठक
-एसवाईएल की बैठक मनोहर माहौल में हुई, लेकिन मान है कि माने नहीं : हरियाणा
-हरियाणा का आरोप, पंजाब सरकार का अड़ियल रवैया कायम : मनोहर लाल

वहीं मौजूदा वर्ष के दौरान शेखावत दूसरी बार दोनों मुख्यमंत्रियों की मौजूदगी वाली इस बैठक की अध्यक्षता किया। बैठक में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पंजाब के पुराने रुख को दोहराया और कहा, कहा कि उनके पास साझा करने के लिए अतिरिक्त जल नहीं है। मुद्दे पर करीब एक घंटे से ज्यादा चली बैठक के बाद मान ने संवाददाताओं को बताया, एक मुख्यमंत्री के नाते मैं कह रहा हूं कि हमारे पास (साझा करने के लिए) जल नहीं है। हमने बैठक में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को अवगत करा दिया है। हम हमारे पुराने रुख पर अडिग हैं कि हमारे पास जल नहीं है। एक सवाल के जवाब में मान ने कहा कि पंजाब उच्चतम न्यायालय के समक्ष अपना पक्ष रखेगा। उन्होंने कहा, हम शीर्ष अदालत के समक्ष हलफनामा दाखिल करेंगे। वहीं बैठक के दौरान हरियाणा का पक्ष रखते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि एसवाईएल का निर्माण तथा पानी के बंटवारे का विषय अलग अलग है, लेकिन पंजाब केवल एसवाईएल निर्माण के विषय पर अटक गया है, जबकि हमें सामूहिक रूप से इस विषय पर आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान में संचालित भाखड़ा चैनल लगभग 66-67 साल पुरानी हो चुकी है, इसलिए भविष्य में किसी कारणवश इस चैनल में कोई अवरोध उत्पन्न होता है तो पानी के सुगम संचालन के लिए भी एसवाईएल का निर्माण अति आवश्यक है। मनोहर लाल ने कहा कि समझौते के अनुसार हरियाणा को उसके हिस्से का पूरा पानी नहीं मिल रहा है लेकिन हरियाणा अपने स्तर पर पानी की उपलब्धता और मांग को प्रबंधित कर रहा है। लेकिन इन प्रयासों के बावजूद भी दक्षिण हरियाणा, अरावली क्षेत्र में पर्याप्त पानी नहीं पहुंच रहा है। तदनुसार, सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार यदि पंजाब एसवाईएल का निर्माण कर देता है तो इसका ये मतलब नहीं है कि हम पानी छीन लेंगे।

भगवंत मान हैं कि माने नहीं : खट्टर

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि आज की बैठक बड़े ही मनोहर माहौल में हुई, लेकिन मान है कि माने नहीं। उन्होंने कहा कि एसवाईएल का विषय वर्षों से लंबित है और सुप्रीम कोर्ट में हाल ही में हुई सुनवाई के दौरान यह कहा गया था कि केंद्र सरकार हरियाणा व पंजाब के साथ मिलकर आपसी सहमति से इस विषय को सुलझाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एसवाईएल का निर्माण होना चाहिए। आज की बैठक में पंजाब सरकार की ओर से एसवाईएल और पानी की स्थिति को लेकर केंद्र सरकार को एक एफिडेविट दिए जाने की बात कही गई है। इस एफिडेविट को अगली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में दायर किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ज्यादा पानी आने के कारण पंजाब को भी नुकसान होता है। पानी के नेचुरल फ्लो के लिए वैकल्पिक चैनल होना आवश्यक है, इसलिए भी एसवाईएल का निर्माण जरूरी है। मनोहर लाल ने कहा कि पंजाब व हरियाणा दोनों राज्यों में जल प्रबंधन के विभिन्न विषयों जैसे पानी की उपलब्धता, फसल विविधीकरण, डीएसआर तकनीक इत्यादि विषयों को लेकर एक संयुक्त कमेटी बननी चाहिए। हालांकि, दोनों राज्यों के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एसवाईएल को लेकर एक कमेटी पहले से बनी हुई है, अब उसी कमेटी का दायरा बढ़ाकर इन जल प्रबंधन के विषयों पर भी संयुक्त रूप से कार्य किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब में भी लोग टयूबवेल लगाकर भूजल का अत्यधिक दोहन कर रहे हैं और इसी प्रकार हरियाणा में भी दोहन हो रहा है। हम यह मानते हैं कि पानी सबकी जरूरत है और सभी को पानी मिलना चाहिए, लेकिन एसवाईएल का निर्माण न होने देना ये सही बात नहीं है।

पानी ही नहीं है तो नहर कैसे बना सकते हैं : भगवंत मान

एसवाईएल मुद्दे का संदर्भ में मान ने कहा,उच्चतम न्यायालय में मामले पर सुनवाई चल रही है और अदालत ने दोनों राज्यों को बैठक करने का निर्देश दिया था। उन्होंने कहा, पंजाब की ओर से मैंने अपना पक्ष रखा। मैंने वहीं रुख बरकरार रखा है, जो पहले इस मुद्दे पर था। हमारे पास पानी ही नहीं है तो हम नहर कैसे बना सकते हैं? मान ने कहा, हरियाणा का कहना है कि पंजाब को पहले नहर का निर्माण करना चाहिए लेकिन हम कह रहे हैं कि जब पानी ही नहीं है तो फिर नहर क्यों बनाएं? अगर पानी ही नहीं होगा तो नहर कैसे बनाएंगे। उन्होंने कहा कि 25 वर्षों के बाद दुनिया भर में नदी तट कानूनों की समीक्षा की गई लेकिन हमारे समझौते की कभी समीक्षा नहीं की गई। मान ने कहा, हमने वाईएसएल फार्मूला दिया था। हरियाणा पंजाब का छोटा भाई है, उन्हें भी पानी की जरूरत है लेकिन पानी प्राप्त करने के लिए उनके पास यमुना-शारदा संपर्क जैसे अन्य तरीके भी हैं। उन्होंने कहा कि सतलुज कोई नदी नहीं है, यह एक नाला बन गया है। मान ने कहा, हमने उनसे कहा है कि हम अपने पहले के रुख पर कायम हैं कि हमारे पास पानी नहीं है।

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