योगी ने खींच दी विपक्ष के सामने बड़ी लकीर
—यूपी में लगातार 36 घंटे विधानसभा सत्र को चलने का बना रिकार्ड
(सुरेश गांधी)
लखनऊ । उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ का एक ही लक्ष्य है कि उत्तर प्रदेश किस तरह से सतत विकास के लक्ष्यों के गोल को हासिल कर सके। इसे लेकर उन्होंने गांधी जयंती के मौके पर इतिहास बनाने का जो प्रण लिया, उससे विपक्ष के चारो खाने चित्त हो गए। ये इतिहास लगातार 36 घंटे विधानसभा सत्र को चलने और प्रदेश के सतत विकास पर रायशुमारी का बनेगा। जिसमें योगी आदित्यनाथ ने अपनी बात लोगों तक पहुंचाने में सफलता हासिल की है।
हालांकि विपक्ष के पास बहुत बड़ा मौका था, लेकिन विपक्ष (कांग्रेस, सपा और बसपा) इस मौके का फायदा उठाने से चूक गया। सरकार ने विपक्ष को सदन में अपनी बात रखने का पूरा मौका दिया था, लेकिन विपक्ष ने मूक बने रहने का ढर्रा अपनाया। नतीजन सदन के अंदर और सदन से बाहर दोनों ही तरफ से विपक्ष की आवाज दब कर रह गई।
विपक्ष में लगाई भाजपा ने सेंध। कांग्रेस की विधायक अदिति सिंह, बृजेश सिंह और असलम रायनी ने दलगत राजनीति से उठकर अपने क्षेत्र के विकास को प्राथमिकता दी। विरोधी दल के कुछ नेता सदन में तो अन्य कई नेता सदन से बाहर दबे मन से मुख्यमंत्री योगी की कार्यकुशलता की तारीफ कर रहे हैं। खुद बसपा के विधायक असलम रायनी ने सदन में कानून व्यवस्था पर योगी सरकार की जमकर तारीफ की।
संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा निर्धारित सतत विकास लक्ष्य विजन 2030 के 16 गोल के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, मंत्री और उनके विधायक जहां 36 घंटे की लंबी चर्चा कर रहे थे, वहीं विपक्षी दल कांग्रेस, सपा और बसपा के विधायकों ने इसमें तनिक भी रुचि नहीं दिखाई।
जिस विजन-2030 पर योगी सरकार विधानसभा के विशेष सत्र में लंबी चर्चा कर रही थी, यह प्रदेश के विकास का सबसे बड़ा आधार बिन्दु था। क्योंकि इन्हीं बिन्दुओं पर न केवल केंद्र सरकार बल्कि संयुक्त राष्ट्र संघ आर्थिक और नियोजन में उत्तर प्रदेश को हर संभव मदद करेगा।
यही 16 बिन्दु उत्तर प्रदेश के अगले 10 साल के विकास का रोडमैप तय करेंगे। इसमें विपक्ष को सहयोग करना चाहिए था, क्योंकि विकास कार्यों में सरकार के साथ साथ विपक्ष का भी उत्तरदायित्व है।
भाजपा का आरोप है कांग्रेस, सपा और बसपा के विधायकों ने अपने विधानसभा क्षेत्र के विकास कार्यों को प्राथमिकता न देकर इलाके की जनता के साथ विश्वासघात किया।
विकास कार्यों और अपने क्षेत्र से संबंधित मुद्दों को प्रदेश की आवाज बनाने के लिए ही जनता अपना प्रतिनिधि चुनती है, लेकिन अब ये विधायक विधानसभा की विशेष सत्र में शामिल न होकर अपने ही क्षेत्र की जनता को विकास कार्यों से वंचित रखना चाहते थे।