-प्रधानमंत्री ने टीकाकरण के कम कवरेज वाले जिलों के साथ समीक्षा बैठक की
-वैक्सीन की दो खुराकों के सुरक्षा कवच से वंचित लोगों तक पहुंचेगी सरकार
-प्रधानमंत्री ने झारखंड सहित 6 राज्यों के 40 जिलाधिकारियों से की बात
– जागरूकता के लिए धर्म गुरुओं से मदद लें अधिकारी : प्रधानमंत्री
नई दिल्ली /खुशबू पाण्डेय : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ राज्यों में टीकाकरण अभियान में कमी को देखते हुए राज्यों की क्लास ली। साथ ही अधिकारियों से कहा कि टीकाकरण केंद्र तक जाकर लोगों के सुरक्षित टीकाकरण के लिए की गई व्यवस्थाओं को बदल कर घर-घर जाकर टीके लगाने का प्रबंध करें। उन्होंने स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं से आग्रह किया कि वे ‘हर घर टीका, घर घर टीका यानी प्रत्येक घर पर जाकर टीका, के उत्साह के साथ सभी घरों तक पहुंचें। प्रधानमंत्री ने पूर्ण टीकाकरण सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक घर पर अपनी उपस्थिति के लिए हर घर दस्तक की भावना से जाने के लिए भी कहा। साथ ही बताया कि अब हम टीकाकरण अभियान को प्रत्येक घर तक ले जाने की तैयारी कर रहे हैं। हर घर दस्तक के मंत्र के साथ ऐसे हर दरवाजे, हर घर पर दस्तक दें जो वैक्सीन की दो खुराकों के सुरक्षा कवच से वंचित है।
इटली और ग्लासगो की अपनी यात्रा से वापस आने के तुरंत बाद, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने टीकाकरण के कम कवरेज वाले जिलों के साथ समीक्षा बैठक की। इस दौरान कोविड वैक्सीन की पहली खुराक की 50 प्रतिशत से कम कवरेज वाले और दूसरी खुराक की कवरेज वाले जिलों को शामिल किया गया। प्रधानमंत्री ने झारखंड, मणिपुर, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, मेघालय और अन्य राज्यों के अंतर्गत टीकाकरण के कम कवरेज वाले 40 से अधिक जिलों के जिलाधिकारियों के साथ बातचीत की।
प्रधानमंत्री ने टीकाकरण के बारे में अफवाहों और भ्रम की स्थिति के मुद्दे पर भी चर्चा की। साथ ही सुझाव दिया कि जागरूकता ही इसका एकमात्र समाधान है और राज्य के अधिकारियों से धर्म गुरुओं से मदद लेने को कहा। प्रधानमंत्री ने कहा कि टीकाकरण अभियान को लेकर धर्मगुरु बहुत उत्साहित हैं। मोदी ने कुछ दिन पहले वेटिकन में पोप फ्रांसिस के साथ अपनी मुलाकात का उल्लेख किया। उन्होंने टीकों पर धर्मगुरुओं के संदेश को जनता तक पहुंचाने पर विशेष जोर देने का आग्रह किया।
इस मौके पर संबंधित जिलाधिकारियों ने अपने जिलों की उन समस्याओं और चुनौतियों का विवरण दिया, जिनके परिणामस्वरूप टीकाकरण की कवरेज निम्न रही है। उन्होंने अफवाहों के परिणामस्वरूप वैक्सीन लेने में हिचकिचाहट, दुर्गम क्षेत्र, हाल के महीनों में मौसम के कारण पैदा हुई चुनौतियां, जैसे मुद्दों को रेखांकित किया। उन्होंने इन चुनौतियों से निपटने के लिए अब तक उठाए गए कदमों का लेखा-जोखा भी प्रस्तुत किया। जिलाधिकारियों ने उन तरीकों को भी साझा किया, जिनको अपनाने से कवरेज में वृद्धि हुई है। बातचीत के दौरान, प्रधानमंत्री ने टीकाकरण कराने में हिचकिचाहट के मुद्दे और इसके पीछे के स्थानीय कारकों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कई तरह के विचारों पर चर्चा की जिन्हें इन जिलों में शत-प्रतिशत टीकाकरण कवरेज सुनिश्चित करने के लिए लागू किया जा सकता है। उन्होंने धार्मिक एवं सामुदायिक नेताओं के माध्यम से सामुदायिक जुड़ाव को बढ़ाने की बात कही। उन्होंने सभी अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए प्रोत्साहित किया कि देश, वर्ष के अंत तक अपने टीकाकरण कवरेज का विस्तार करे और नए आत्मविश्वास व विश्वास के के साथ नए साल में प्रवेश करे।
टीकाकरण बढ़ाने के लिए नए नवोन्मेषी तरीकों पर काम करें अधिकारी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रशासकों से आह्वान किया कि वे भी अपने जिलों में टीकाकरण बढ़ाने के लिए नए नवोन्मेषी तरीकों पर और ज्यादा काम करें। बेहतर प्रदर्शन करने वाले जिलों में भी इसी तरह की चुनौतियां हैं, लेकिन उनसे दृढ़ संकल्प और नवाचार के साथ निपटा गया। उन्होंने अधिकारियों को स्थानीय स्तर पर कमियों को दूर कर टीकाकरण को संपूर्ण करने के लिए अब तक के अनुभव को ध्यान में रखते हुए सूक्ष्म रणनीति विकसित करने के लिए कहा।
एक-एक गांव, एक-एक कस्बे के लिए रणनीति बनाएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिला अधिकारियों से कहा कि अगर उनके जिलों में एक-एक गांव, एक-एक कस्बे के लिए अगर अलग-अलग रणनीति बनानी हो, तो वे वह भी बनाएं। उन्होंने सुझाव दिया कि क्षेत्र के हिसाब से 20-25 लोगों की टीम बनाकर भी ऐसा किया जा सकता है और जो टीमें बनाई जाएं उनमें एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा हो, इसका भी प्रयास किया जा सकता है। प्रधानमंत्री ने अधिकारियों से स्थानीय लक्ष्यों के लिए क्षेत्रवार समय सारिणी तैयार करने का आह्वान करते हुए कहा, आपको अपने जिलों को राष्ट्रीय औसत के करीब ले जाने की पूरी कोशिश करनी होगी।
हर घर में दस्तक देते हुए पहली खुराक पर भी ध्यान देने की जरूरत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगाह करते हुए कहा कि हर घर में दस्तक देते हुए दूसरी खुराक के साथ-साथ पहली खुराक पर भी समान रूप से ध्यान देने की जरूरत है। क्योंकि जब भी संक्रमण के मामले कम होने लगते हैं तो कई बार इसकी आवश्यकता को लेकर भावना कमी आ जाती है। लोगों के बीच टीके लगवाने की अत्यावश्यकता कम हो जाती है। उन्होंने आगाह करते हुए कहा, आपको उन लोगों से संपर्क करना होगा जिन्होंने प्राथमिकता के आधार पर निर्धारित समय के बावजूद दूसरी खुराक नहीं ली है, इसे अनदेखा करने से दुनिया के कई देशों के लिए समस्याएं पैदा हो गई हैं। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि सभी के लिए मुफ्त टीकाकरण अभियान के तहत, भारत ने एक दिन में लगभग 2.5 करोड़ टीके की खुराक देने का रिकॉर्ड बनाया, यह उपलब्धि भारत की क्षमताओं का प्रमाण है।