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Wednesday, April 30, 2025

भारतीय रेलवे के DFC मेें पीपीपी मॉडल से बढ़ेगा निवेश, मिलेंगे रोजगार

–पूर्वी भाग में सोननगर से पश्चिम बंगाल में न्यू अंडाल तक नया मॉडल विकसित
-रेलवे में निजी निवेश आकर्षित करने के लिए बड़ा नीतिगत बदलाव
–मॉडल को लेकर पक्षकारों की बैठक आयोजित, 40 कंपनियों ने लिया हिस्सा

नई दिल्ली/ अदिति सिंह : भारतीय रेलवे की मालगाडिय़ों के लिए अगल से बन रहे समर्पित मालवहन गलियारे (डीएफसी) के पूर्वी भाग में सोननगर से पश्चिम बंगाल में न्यू अंडाल तक निर्माण के लिए सरकारी निजी साझीदारी (पीपीपी) का एक नया मॉडल विकसित किया गया है। यह खंड करीब 374 किलोमीटर की है। इसमें निवेशकों का जोखिम कम होने के साथ उन्हें निश्चित आय की गारंटी मिल सकेगी और साथ ही निजी क्षेत्र में रेलवे के परिचालन एवं अनुरक्षण से जुड़े रोजगार के नये अवसर सृजित हो सकेंगे।
डीएफसी के प्रबंध निदेशक रवीन्द्र कुमार जैन के मुताबिक सोननगर से न्यू अंडाल खंड के निर्माण के लिए करीब 12 हजार करोड़ रुपये की इस परियोजना में हाइब्रिड एन्युटी मॉडल की बजाय एक नया मॉडल तैयार किया गया है। इसमें डिजाइन, निर्माण, वित्तपोषण, परिचालन, अनुरक्षण एवं हस्तांतरण (डीएफबीओटी) अपनाने का फैसला लिया गया है। इस मॉडल को लेकर गुरुवार को पक्षकारों की एक बैठक आयोजित की गयी, जिसमें बिल्डर, डेवेलपर, बैंकर आदि कुल 40 कंपनियों ने शिरकत की। उनकी प्रतिक्रिया उत्साहवद्र्धक थी।
जैन के मुताबिक नये मॉडल में निवेशक को करीब 25 प्रतिशत राशि डीएफसी निगम प्रदान करेगा। इस राशि को बढ़ाया भी जा सकता है। परियोजना को वित्तपोषण, परिचालन अथवा राजस्व के जोखिम से मुक्त कर दिया गया है। पांच वर्ष की निर्माण अवधि तथा 30 आगे की रियायत अवधि में उसे ट्रैक, स्टेशन भवन एवं यार्ड, विद्युत प्रणाली, सिगनल आदि सभी संरचनाओं के अनुरक्षण एवं परिचालन प्रबंध करने की जिम्मेदारी भी दी जाएगी। उसके द्वारा उपलब्ध सेवाओं के आधार पर ग्रेडिंग की जाएगी और ग्रेडिंग के अनुसार ही भुगतान किया जाएगा।
कंपनी के निदेशक (परिचालन एवं व्यापार संवद्र्धन) नंदूरी श्रीनिवास ने बताया कि स्टेशन यार्ड में 20 घंटे सेवा देने को सर्वोत्तम ग्रेडिंग दी जाएगी, ताकि उसे चार घंटे आवश्यक रूप से अनुरक्षण के लिए उपलब्ध हो सकें। उन्होंने स्वीकार किया कि रेलवे के क्षेत्र में निजी निवेश आकर्षित करने के लिए यह बड़ा नीतिगत बदलाव है, जिसमें निवेशक को परिचालन एवं अनुरक्षण के लिए भी जोड़ा जाएगा। जबकि पहले की नीति में पांच साल की निर्माण अवधि के बाद निवेशक की भूमिका समाप्त हो जाती है और उसे मासिक आधार पर एन्युटी अथवा एक प्रकार की मासिक किश्त का भुगतान होता रहता है। उन्होंने कहा कि नये मॉडल में दुर्घटना की दशा में निवेशक का दायित्व तय किया जाएगा और जिम्मेदारी के अनुपात में उसे दंड में भी भागीदार बनाया जाएगा।

374 किलोमीटर के खंड में करीब दस स्टेशन बनेंगे

डीएफसी प्रमुख जैन के मुताबिक 374 किलोमीटर के खंड में करीब दस स्टेशन बनेंगे। उनमें निवेशक अपने स्टेशन मास्टर सहित विभिन्न कर्मचारी तथा अनुरक्षण के लिए इंजीनियर एवं अन्य तकनीकी कर्मचारी नियुक्त करेंगे और अनुरक्षण के उपकरणों की भी व्यवस्था करेंगे। ट्रेनों का परिचालन डीएफसी निगम करेगा। यातायात कंट्रोल रूम में निगम के अधिकारी बैठेंगे। माल ढुलाई की दरों के निर्धारण एवं आय व्यय का दायित्व भी निगम का होगा। उन्होंने कहा कि यदि यह मॉडल सफल हो गया तो देश में अन्य डीएफसी मार्गों के निर्माण में इसी मॉडल को अपनाया जा सकता है। करीब चार हजार किलोमीटर के पूर्वी पश्चिमी डीएफसी (भुसावल से न्यू अंडाल एवं खडगपुर तक), उत्तर दक्षिण डीएफसी (इटारसी से विजयवाड़ा तक) तथा पूर्वी तटीय डीएफसी (खडगपुर से विजयवाड़ा तक) में निवेश मिलने के साथ ही त्वरित क्रियान्वयन होगा और बड़ी संख्या में निजी क्षेत्र में रेलवे के रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।

स्थायित्व बढऩे के कारण पक्षकारों में उत्साह दिखायी दिया

डीएफसी प्रमुख ने कहा कि डीएफसी में 30 साल के यातायात के अनुमान को लेकर सरकार के अध्ययन एवं राजस्व अनुमान को लेकर संभावित निवेशकों में भरोसा नहीं जमने के कारण बीत दो दौर की बैठकों में बात नहीं बन पायी थी। लेकिन आज की बैठक में राजस्व एवं वित्तपोषण का जोखिम घटने और अनुमान के स्थायित्व बढऩे के कारण पक्षकारों में उत्साह दिखायी दिया है। उन्होंने बताया कि एक सप्ताह में मॉडल रियायत करार का मसौदा और प्रस्ताव अनुरोध पत्र (आरएफपी) का प्रारूप वेबसाइट पर डाल दिया जाएगा। उस पर प्रतिक्रियाएं प्राप्त होने के बाद उसे नीति आयोग भेजेंगे जहां से हरी झंडी मिलने के बाद उसे केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि इतना काम दिसंबर तक पूरा होने तथा मार्च 2022 तक निविदा निकालने की उम्मीद है।

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