-रणजीत कौर और कुलवंत बाठ को बनाया गया कार्यकारी अध्यक्ष
-बाठ को प्रशासनिक जिम्मेदारी तो रणजीत कौर को समूचा फाइनेंस मिला
–सिरसा के छुटटी पर जाने को लेकर सियासी अटकलें तेज, गरमाई सियासत
–सिरसा ने सेहत ठीक ना होने का दिया हवाला, विरोधियों को हजम नहीं
नई दिल्ली/ टीम डिजिटल : दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा की सेहत ठीक ना होने के कारण कमेटी की वरिष्ठ उपाध्यक्ष बीबी रणजीत कौर और उपाध्यक्ष कुलवंत सिंह बाठ को कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई है। दोनों कार्यकारी अध्यक्षों ने सोमवार को अपना नई जिम्मेदारी संभाल ली। दोनों नेताओं को कमेटी अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने 31 अक्तूबर तक पॉवर सौंपी है। बता दें कि बीबी रणजीत कौर को फाइनेंस एवं कुलवंत सिंह बाठ को प्रशासनिक जिम्मेदारी सौंपी गई है। एक व्यक्ति पर ज्यादा दबाव ना पड़े इसलिए दोनों के बीच कामों का बंटवारा हुआ है।
शिरोमणि अकाली दल की दिल्ली इकाई के सरप्रस्त अवतार सिंह हित्त और प्रदेश अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका ने मनजिंदर सिंह सिरसा की गैर हाजरी में दोनों वरिष्ठ पदाधिकारियों को कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में चार्ज सौंपा गया। इस मौके पर कालका ने कहा कि दोनों अपने-अपने क्षेत्र में बहुत ही तर्जुबेदार हैं और अपनी काबलियत के आधार पर कमेटी के कार्यों को सुचारू ढंग से संभालेंगे। बता दें कि हरमीत कालका गुरुद्वारा कमेटी के महासचिव भी हैं।
उधर, कमेटी अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा के अचानक कमेटी से अवकाश पर जाने को लेकर तरह तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। हालांकि, सिरसा की ओर से सिर्फ यही कहा जा रहा है कि उनका स्वास्थ्य कुछ ठीक नहीं है, जिसके चलते उन्होंने कुछ दिन का अवकाश लिया है। पहले यह कहा जा रहा था कि सिरसा कोविड की चपेट में आ गए हैं, लेकिन बाद में कहा गया कि अब वह पूरी तरह से ठीक हैं।
नियुक्ति पर दोनों कार्यकारी अध्यक्ष गदगद
सूत्रों की माने तो कमेटी के इतिहास में शायद यह पहला मौका होगा, जब अचानक कमेटी का मुखिया छुटटी पर चला गया हो और कमेटी चलाने के लिए दो कार्यकारी अध्यक्षों को जिम्मेदारी बांटी जा रही हो। कुछ भी हो लेकिन, अध्यक्ष और महासचिव के बीच चलने वाली कमेटी मेें दो और पदाधिकारियों को कुछ दिन ही सही कार्यकारी अध्यक्ष बनने का मौका मिल ही गया। इस नियुक्ति पर दोनों पदाधिकारी गदगद हैं। खुश हों भी क्यों ना, क्योंकि इनके पास कोई बड़ा अधिकार अब तक फैसला लेने का नहीं था। हर फैसले सिरसा और कालका ही करते रहे हैं। अब देखना होगा कि बीबी रणजीत और कुलवंत बाठ सिरसा की गैर मौजूदगी में कुछ बड़े फैसले लेते हैं या सिर्फ खड़ाऊं रखकर सत्ता चलाएंगे।