नई दिल्ली /खुशबू पाण्डेय : उत्तराखंड विधानसभा (Uttarakhand Assembly) की पहली महिला अध्यक्ष ऋतु खंडूरी भूषण (Ritu Khanduri Bhushan) का मानना है कि महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए नागरिक संहिता विधेयक (UCC) देशभर में लागू होना जरूरी है। महिलाएं किसी भी धर्म की हों, उन्हें पूर्ण रूप से सशक्त बनाने के लिए यह कानून सबसे बड़ा हथियार के रूप में है। यह पहला विधेयक है जिसमें महिलाओं के अधिकारों की बात है। उनके मुताबिक 2047 तक भारत को सशक्त बनाने के लिए यूसीसी एक महत्वपूर्ण हिस्सा होगा। हमें यूसीसी के तहत बड़ा बदलाव लाना है। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि विधेयक में सभी धर्म-समुदायों में विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता और विरासत के लिए एक कानून का प्रावधान है। महिला-पुरुषों को समान अधिकारों की सिफारिश की गई है।
-यह कानून महिलाओं को कुरीतियों और रूढि़वादी प्रथा से दूर करेगा : ऋतु खंडूरी
-उत्तराखंड विधानसभा की पहली महिला अध्यक्ष ऋतु खंडूरी का दावा
-यूसीसी महिलाओं की किस्मत बदलने का बड़ा हथियार
-सभी राज्यों से अपील, जल्द लागू करवाएं नागरिक संहिता विधेयक
-बाल और महिला अधिकारों की यह कानून सुरक्षा करेगा।
अनुसूचित जनजातियों को इस कानून की परिधि से बाहर रखा गया है। समान नागरिक संहिता विधेयक के कानून बनने पर समाज में बाल विवाह, बहु विवाह, तलाक जैसी सामाजिक कुरीतियों और कुप्रथाओं पर रोक लगेगी, लेकिन किसी भी धर्म की संस्कृति, मान्यता और रीति-रिवाज इस कानून से प्रभावित नहीं होंगे। बाल और महिला अधिकारों की यह कानून सुरक्षा करेगा। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया जिसने यूसीसी विधानसभा में पारित कर इतिहास रच दिया। और इस की साक्षी वह खुद हैं, जो एक महिला हैं। वह कहती हैं कि समान नागरिक संहिता लागू होने से दशकों से चली आ रही कुरीतियां और कुप्रथाएं खत्म होंगी। सभी को एक समान अधिकार मिल सकेगा। बेटा-बेटी और स्त्री-पुरुष के बीच का भेदभाव खत्म होगा। यह एक ऐसा निर्णय है, जिसका पूरे देश में सकारात्मक प्रभाव पडऩे जा रहा है। इसमें बहुविवाह पर रोक लगाने, उत्तराखंड में बेटियों को बराबर हक देने और सभी धर्मों के लोगों के लिए गोद लेने और तलाक देने के मामलों में समान अधिकार सुनिश्चित करने की व्यवस्था स्वागत करने लायक है।
बकौल, ऋतु खंडूरी भूषण अन्य राज्यों से भी अपेक्षा की है वे भी इस कानून की दिशा में आगे बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि जब इस देश में क्रिमिनल लॉ सबके लिए एक समान हैं तो सिविल लॉ भी सभी के लिए एक समान क्यों नहीं होने चाहिए? यह प्रश्न अब तक सब लोगों को मथता रहता था। इसके लागू होने के बाद लोगों के इस प्रश्न का यह एक सही जवाब होगा। हमारा संविधान भी सभी के लिए समान अवसर और एक समान न्याय की बात और उसकी हिमायत करता है। उत्तराखंड विधानसभा की अध्यक्ष ऋतु खंडूरी भूषण ने कहा कि समाज का कोई भी धड़ा हो- चाहे महिला हो या पुरुष, अमीर हो या गरीब, जब हम सबके लिए एक नागरिक कानून की बात करते हैं तो यह सबको समान रूप से ट्रीटमेंट देने के लिए प्रेरित करता है। समाज का गरीब वंचित और सदियों से ठुकराया गया तबका जिसकी कहीं कोई सुनवाई नहीं है, अगर वह संविधान में दिए गए सभी के लिए समान अधिकार की जद में आता है तो उसे एक हौसला मिलता है और इससे देश के विकास में उसका योगदान भी सुनिश्चित करने में सफलता मिलती है। समान नागरिक संहिता के बहाने कहीं असल मुद्दों से देश का ध्यान हटाने की कोशिश तो नहीं पर उन्होंने स्पष्ट कहा कि इसे राजनीति से जोड़कर देखने की जरूरत ही कहां है। देशहित का कोई भी मुद्दा दलगत राजनीति से ऊपर है। इसे विधानसभा में पारित कर मेरे विचार से हमारी सरकार ने देश को मजबूत कंधा देने की कोशिश की है, जिसका सभी को स्वागत करना चाहिए। जहां तक असली मुद्दे की बात है तो जनसामान्य की बराबरी की बात करना कहां से जनसामान्य के मुद्दों से ध्यान भटकाना है। उन्होंने कहा कि क्या आपको लगता है कि इस देश का युवा किसी के भटकाने से भटकता है? अगर अठारह साल का युवा राम के साथ जुड़ा, तो उसे जबरदस्ती थोड़े ही जोड़ा गया। वह उस आइडियॉलजी के साथ जुड़ा।
यूसीसी के लिए धामी सरकार ने सभी को कनेक्ट किया
विधानसभा की पहली महिला अध्यक्ष ऋतु खंडूरी के मुताबिक यूसीसी को लागू करवाने के लिए पुष्कर धामी सरकार ने बड़े काम किए। प्रदेश के सभी जिलों में सभी वर्गों के लोगों से सुझाव प्राप्त किए गए। कुल 43 जनसंवाद कार्यक्रम किए गए। प्रवासी उत्तराखंडी भाई-बहनों के साथ 14 जून, 2023 को नई दिल्ली में चर्चा के साथ ही संवाद कार्यक्रम पूर्ण हुआ। इसके ड्राफ्ट को तैयार करने के लिए गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट तैयार करने में समाज के हर वर्ग से सुझाव आमंत्रित करने के लिए 8 सितंबर, 2022 को एक वेब पोर्टल भी लॉन्च किया था। राज्य के सभी नागरिकों से मेसेज द्वारा भी सुझाव आमंत्रित किए गए। इसके तहत समिति को 2,32,961 सुझाव प्राप्त हुए, जो कि प्रदेश के लगभग 10 फीसदी परिवारों के बराबर है। लगभग 10 हजार लोगों से संवाद और प्राप्त लगभग 2 लाख 33 हजार सुझावों का अध्ययन करने को समिति ने 72 बैठकें कीं।
कुप्रथाओं पर लगेगी रोक : ऋतु खंडूरी
विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी के मुताबिक समान नागरिक संहिता विधेयक के कानून बनने पर समाज में बाल विवाह, बहु विवाह, तलाक जैसी सामाजिक कुरीतियों और कुप्रथाओं पर रोक लगेगी, लेकिन किसी भी धर्म की संस्कृति, मान्यता और रीति-रिवाज इस कानून से प्रभावित नहीं होंगे। बाल और महिला अधिकारों की यह कानून सुरक्षा करेगा।
यह कानून किसी के विरुद्ध नहीं
विधानसभा अध्यक्ष ऋतु भूषण खंडूरी के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक भारत श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना ने इस समानता के कानून को लागू करने की प्रेरणा दी है। यह कानून समानता और एकरूपता का कानून है। यह कानून किसी के विरुद्ध नहीं है। बल्कि यह कानून महिलाओं को कुरीतियों और रूढि़वादी प्रथा से दूर करते हुए सर्वांगीण उन्नति का रास्ता है। इस कानून में विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता, उत्तराधिकार और दत्तक ग्रहण जैसे मुद्दों को शामिल किया गया है।
ये है धाकड़ धामी के यूसीसी के जरूरी प्रावधान
-विवाह का पंजीकरण अनिवार्य। पंजीकरण नहीं होने पर सरकारी सुविधाओं से होना पड़ सकता है वंचित। पति-पत्नी के जीवित रहते दूसरा विवाह पूर्णत: प्रतिबंधित।
-सभी धर्मों में विवाह की न्यूनतम उम्र लड़कों के लिए 21 वर्ष और लड़कियों के लिए 18 वर्ष निर्धारित।
-वैवाहिक दंपत्ति में यदि कोई एक व्यक्ति बिना दूसरे व्यक्ति की सहमति के अपना धर्म परिवर्तन करता है तो दूसरे व्यक्ति को उस व्यक्ति से तलाक लेने व गुजारा भत्ता लेने का पूरा अधिकार होगा।
-पति पत्नी के तलाक या घरेलू झगड़े के समय 5 वर्ष तक के बच्चे की कस्टडी उसकी माता के पास ही रहेगी।
-सभी धर्मों में पति-पत्नी को तलाक लेने का समान अधिकार।
-सभी धर्म-समुदायों में सभी वर्गों के लिए बेटी-बेटी को संपत्ति में समान अधिकार।
-मुस्लिम समुदाय में प्रचलित हलाला और इद्दत की प्रथा पर रोक।
-संपत्ति में अधिकार के लिए जायज और नाजायज बच्चों में कोई भेद नहीं किया गया है। नाजायज बच्चों को भी उस दंपति की जैविक संतान माना गया है।
-किसी व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात उसकी संपत्ति में उसकी पत्नी व बच्चों को समान अधिकार दिया गया है। उसके माता-पिता का भी उसकी संपत्ति में समान अधिकार होगा। किसी महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे के संपत्ति में अधिकार को संरक्षित किया गया ।
-लिव-इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण अनिवार्य। पंजीकरण कराने वाले युगल की सूचना रजिस्ट्रार को उनके माता-पिता या अभिभावक को देनी होगी।
-लिव-इन के दौरान पैदा हुए बच्चों को उस युगल का जायज बच्चा ही माना जाएगा और उस बच्चे को जैविक संतान के समस्त अधिकार प्राप्त होंगे।