–बम धमाकों में 49 लोग मारे गए थे, 127 लोग घायल हुए थे
—बम धमाकों में कुल 51 आरोपी थे, सभी एक समाज से जुडे
—इसमें से 5 को फर्जी मुठभेड़ में मारा गया, 15 की मृत्यु हो चुकी
(खुशबू पाण्डेय)
नई दिल्ली / टीम डिजिटल : राजधानी दिल्ली में वर्ष 1985 में दिल्ली के अलग-अलग स्थानों पर हुए ट्रांजिस्टर बम धमकों के सभी 31 आरोपी आज बरी हो गए। करीब 35 साल की लंबी चली लड़ाई के बाद साकेत कोर्ट ने सबूतों के अभाव में सभी आरोपियों को बरी कर दिया। सभी लोग एक ही समाज से जुड़े हैं। इस बम धमाकों में 49 लोग मारे गए थे। जबकि लगभग 127 लोग घायल हुए थे। इसमें कई लोग बहुत गंभीर हालत में थे। दरअसल 1984 सिख दंगों के बाद दिल्ली में सिखों में एक घबराहट थी और सिखो को चरमपंथियों के तौर पर देखा जाता था। जिस वजह से दिल्ली में रहते सिख अपने आप को असहज महसूस करते थे। माना जाता है कि इसी वजह से दिल्ली में कई जगह पर लावारिस ट्रांजिस्टरों के सहारे बम धमाके कई जगह पर हुए थे। उस समय रेडियो का ज्यादा चलन था। किसी भी स्थान पर लावारिस पड़े ट्रांजिस्टर को उठाकर यदि कोई चालू करता था तो तुरंत धमाका हेा जाता था। इस मामले में सबसे ज्यादा एफआईआर दिल्ली पुलिस के थाना पटेल नगर, मेाती नगर व वसंत विहार में हुई थी।
इस मामले में कई सिक्खों को पुलिस ने आरोपी बनाया था। कईयों से पूछताछ करके छोड़ भी दिया था। इन धमाकों के बाद दिल्ली में रहने वाला सिक्ख अपने आप को सहज महसूस करने लग गया था। साथ ही लोगों के बीच यह संदेश भी गया था कि सिख दिल्ली को आसानी से छोडऩे वाले नहीं हैं।
जानकारी के मुताबिक इस केस में कुल 51 आरोपी बनाए गए थे। इसमें से 5 की पुलिस मुठभेढ़ में मारे गए थे, ऐसा हवाला मिलता है। जबकि 15 लोगों की केस की सुनवाई के दौरान प्राकृतिक तरीके से मृत्यु हो गई थी। बचे 31 लोगों को साकेत कोर्ट के एडीजे संदीप यादव की कोर्ट ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है।
इस केस की असली फाइल भी पुलिस से गुम हो गई थी। नतीजन अभी तक यह केस फोटो स्टेट प्रति के आधार पर चल रहा था। यही कारण है कि केस कमजोर होता गया। इस केस में मुख्य आरोपियों के रूप में करतार सिंह नारंग,महिन्द्र सिंह ओबराय,इंदरपाल सिंह खालसा,मनजीत सिंह गोबिंदपुरी,हरचरण सिंह गुलशन,गुरमीत सिंह फेडरेशन तथा कुलबीर सिंह आदि शामिल थे। इस मामले में पीडि़तों की तरफ से एडवोकेट राकेश महाजन, सीमा गुलाटी एवं आरएन तिवारी केस लड़ रहे थे।
बता दें कि इस केस में आरोपी रहे मंजीत सिंह गोविंदपुरी दिल्ली सिख गुरुद्वारा कमेटी के सदस्य भी रहे। उनकी भी सुनवाई के दौरान मौत हो गई थी। इन केसों की लड़ाई शुरू से ही दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी अपने वकीलों के माध्यम से लड़ती रही है।
मंजीत सिंह जीके ने आरोपियों को बचाने की बडी पहल की थी
1985 में दिल्ली में हुए सीरियल ट्राजिस्टर बम कांड के सभी आरोपियों को बचाने के लिए दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के तत्कालीन अध्यक्ष मंजीत सिंह जीके ने बडी पहल की थी। जीके ने वैसे तो कमेटी अध्यक्ष् बनने के साथ ही काम शुरू कर दिया
था। बाद में 25 नवम्बर 2016 को दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा लगातार दूसरी बार कथित 31 आरोपियों को आर्थिक सहायता दी थी। तब गुरुद्वारा बंगला साहिब में हुए विशेष कार्यक्रम के दौरान कमेटी प्रधान मनजीत सिंह जी.के., पूर्व कमेटी अध्यक्ष अवतार सिंह हित, तथा धर्मप्रचार कमेटी चेयरमैन परमजीत सिंह राणा ने अदालती कार्यवाही का सामना कर रहे उक्त आरोपियों को 50 हजार रूपये प्रति आरोपी के हिसाब से कुल 16 लाख 50 हजार रूपये के चेक वितरित किये थे। कमेटी की ओर से तत्कालीन लीगल सेल के चेयरमैन जसविंदर सिंह जौली ने सभी आरोपियों को जुटा कर केस को अंजाम तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई थी।