-सरकार की सिफारिश से चुनिंदा विदेशी शराब कंपनियों का कब्जा हो जाएगा
— विदेशी कंपनियों की तरह भारतीय कंपनियों को भी मिले एक समान मौका
—कंपनियों ने दिया सुझाव, फ्री प्राइजिंग क्राइटेरिया में कोई बदलाव न किया जाए
नई दिल्ली/ अदिति सिंह : भारत के प्रमुख शराब उत्पादक कंपनियों ने एक एक्सपर्ट कमेटी की ओर से नई आबकारी नीति को लेकर दी गई सिफारिशों पर कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है। इन भारतीय कंपनियों का कहना है कि इस सिफारिश से शराब क्षेत्र में केवल चुनिंदा विदेशी कंपनियों का कब्जा या वर्चस्व हो जाएगा। इससे एक ओर जहां दिल्ली सरकार को आलोचनाओं का सामना करना पड़ेगा. वहीं , इससे दिल्ली सरकार को राजस्व का भी नुकसान होगा। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को चार प्रमुख भारतीय कंपनियों रेडिको खेतान लिमिटेड, मोदी एल्बा इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, एल्कोब्रू डिस्टलरीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और जगतजीत इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने संयुक्त पत्र लिखकर इन सिफारिशों पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है। इन कंपनियों ने कहा है कि प्रस्तावित ब्रांड रजिस्ट्रेशन और रीप्राइजिंग नियम पूरी तरह से एक तरफा और गैर तार्किक है। यह प्रतिस्पर्धीयों को एक समान अवसर उपलब्ध कराने के मूल सिद्धांत के खिलाफ भी है।
इन चारों कंपनियों ने कहा है कि एक्सपर्ट कमेटी के कुछ सिफारिश स्वागत योग्य है. जबकि इसके कई प्रस्ताव पूरी तरह से गैर तार्किक और स्वीकार करने लायक नहीं है। इससे व्यापार को नुकसान होगा,जिसका असर राज्य के राजस्व पर भी होगा. इन सिफारिशों को अगर स्वीकार किया गया तो भारतीय शराब निर्माता कंपनियों को नुकसान होगा। इससे केवल कुछ बहुराष्ट्रीय कंपनियों को लाभ होगा। यह कंपनियां दिल्ली में अपनी परोक्ष या सब्सिडरी कंपनियों के माध्यम से कारोबार करेंगे। जबकि भारतीय कंपनियों को सीधा नुकसान होगा। इन कंपनियों की ओर से जारी संयुक्त बयान में रेडिको खेतान के वाइस चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर अभिषेक खेतान, जगतजीत इंडस्ट्रीज की चीफ रिस्ट्रक्चरिंग ऑफिसर रोशनी जायसवाल, मोदी डिस्टलरी के डायरेक्टर अभिषेक मोदी और एल्कोब्रू डिस्टलरी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक रमेश पंडित ने हस्ताक्षर किए हैं।
केवल कुछ बहुराष्ट्रीय कंपनियों का इस क्षेत्र में वर्चस्व स्थापित करेगा
इन सभी कंपनियों ने सुझाव दिया है कि फ्री प्राइजिंग क्राइटेरिया में कोई बदलाव न किया जाए। उन्होंने कहा है कि प्रस्तावित ब्रांड रजिस्ट्रेशन जिसमें यह कहा गया है कि 600 से कम कीमत की प्रति बोतल जिसमें 750ml शराब होगी और इनका बिक्री आंकड़ा एक लाख न्यूनतम होना चाहिए। इसे दिल्ली को छोड़कर अन्य जगह लागू करने की बात की गई है। जो पूरी तरह से गैर तर्कसंगत और एकतरफा है। यह इस क्षेत्र में मुक्त प्रतिस्पर्धा के मूल सिद्धांत के भी खिलाफ है। यह बाजार के अस्सी नब्बे प्रतिशत कारोबार को खत्म कर देगी। इससे राज्य सरकार को भी कोई राजस्व प्राप्त नहीं होगा। यह केवल कुछ बहुराष्ट्रीय कंपनियों का इस क्षेत्र में वर्चस्व स्थापित करेगा। बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियां आपस में एक गठजोड़ बनाकर छोटे कारोबारियों को इस क्षेत्र से बाहर कर देंगे। यह खुदरा व्यापार के साथ ही कॉरपोरेशन और प्राइवेट क्षेत्र में एकाधिकार को स्थापित करेंगी।
बहुराष्ट्रीय कंपनियों को ध्यान में रखकर लिखी गई है सिफारिश
चारों कंपनियों ने कहा है कि इन प्रस्तावों पर अमल से क्षेत्र में नए प्रतियोगियों का आना भी बंद हो जाएगा। जो आबकारी नीति के मूल सिद्धांत के भी खिलाफ है। यह सिफारिश भेदभाव पूर्ण है। इससे छोटी कंपनियों के अस्तित्व पर संकट खड़ा हो सकता है। यह कंपटीशन एक्ट 2002 और कंज्यूमर प्रोटक्शन एक्ट 2019 के भी खिलाफ है.। इन प्रस्तावों को देखकर ऐसा लगता है कि यह केवल बहुराष्ट्रीय कंपनियों को ध्यान में रखकर लिखी गई है।इन सिफारिशों को देते वक्त दिल्ली में बिकने वाली शराब, ब्रांड और उनके गुणवत्ता को भी किनारे कर दिया गया है। हालांकि इन चारों बड़ी भारतीय शराब उत्पादक कंपनियों ने उस प्रस्ताव का समर्थन किया है जिसमें शराब की दुकानों की संख्या बढ़ाने की बात की गई है। इसके अलावा दुकानों को बंद करने के प्रस्ताव को भी अनुचित करार दिया है। एक्सपर्ट कमिटी ने कहा है कि अगर शराब की दुकानों को बंद किया जाता है तो ग्राहकों को असली या जैनुअन ब्रांड को सही कीमत में ग्राहकों तक पहुंचाने में दिक्कत होगी।ऐसे में दुकानों को बंद करने के प्रस्ताव को स्वीकार ना किया जाए।
दिल्ली में शराब दुकानों की संख्या को बढ़ाकर 916 करने के प्रस्ताव
अपने पत्र में इन चारों कंपनियों ने कहा है कि शराब की लाइसेंस शुदा दुकानों में नकली और बिना ड्यूटी की शराब बिक्री की बिल्कुल भी गुंजाइश नहीं होती है। यहां पर ब्रांडेड और ड्यूटी पेड शराब ही मिलती है। दिल्ली में इसका ध्यान रखना और अधिक जरूरी हो जाता है। इसकी वजह यह है कि 3 राज्यों की सीमा दिल्ली से लगी हुई है। ऐसे में अगर यहां पर केवल चुनिंदा प्राइवेट दुकानों या फिर चुनिंदा सरकारी दुकान से ही शराब बेची जाती है तो इसका प्रतिकूल असर शराब उत्पादन और बिक्री पर होगा। इससे नकली शराब बिकने की भी आशंका उत्पन्न हो जाएगी। ऐसे में शराब की दुकानों को बंद नहीं करने संबंधी प्रस्ताव उचित है।इन कंपनियों ने दिल्ली में शराब दुकानों की संख्या को बढ़ाकर 916 करने के प्रस्ताव को भी बेहतर कदम करार दिया है। भारतीय शराब कंपनियों ने बीआईओ बॉटल्ड इन ओरिजन में किसी तरह के पक्षपात को भी अस्वीकार करने की अपील सरकार से की है।