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Monday, September 15, 2025

Khajuraho Festival : भारतीय संस्कृति की गौरवशाली परंपरा से विश्व परिचित हो रहा

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खजुराहो/ रंजन श्रीवास्तव। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (Chief Minister Dr. Mohan Yadav) ने खजुराहो नृत्य समारोह भारतीय संस्कृति को संरक्षित और संवर्धित करने का समारोह है। खजुराहो के मंदिर 1000 वर्ष से पुराने गौरवशाली इतिहास को गर्व और गौरव से प्रदर्शित करते हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव खजुराहो में 50वें खजुराहो नृत्य समारोह के शुभारंभ समारोह को संबोधित कर रहें थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि खजुराहो नृत्य समारोह के माध्यम से भारतीय संस्कृति की गौरवशाली परंपरा से विश्व परिचित हो रहा है। आने वाले समय में इसे और अधिक भव्य और दिव्य स्वरूप में आयोजित किया जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रज्वलंकर नृत्य समारोह का शुभारंभ किया।

-संस्कृति को संरक्षित और संवर्धित करने वाला है खजुराहो नृत्य समारोह : मुख्यमंत्री
 -खजुराहो में एलोपैथिक हॉस्पिटल, आयुर्वेदिक कॉलेज और हॉस्पिटल बनाने की घोषणा 
-खजुराहो नृत्य समारोह का हुआ भव्य शुभारंभ 

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मध्यप्रदेश राज्य रूपंकर कला पुरस्कार भी प्रदान किए। इसके अंतर्गत सुश्री कमता बाई, भोपाल को भील पित्थोरा-गातला देव के लिए देवकृष्ण जटाशंकर जोशी पुरस्कार, रोशनी श्याम भोपाल को हिरण और बच्चे के लिए मुकुन्द सखाराम भाण्ड पुरस्कार, श्री झुमुक दास मानिकपुरी भोपाल को अनटाइटल—6 के लिए सैयद हैदर रज़ा पुरस्कार, अनूप शिवहरे ग्वालियर को अनटाइटल्ड के लिए दत्तात्रेय दामोदर देवलालीकर पुरस्कार, बलवन्त सिंह भदौरिया ग्वालियर को सिटी स्केप-1 के लिए जगदीश स्वामीनाथन पुरस्कार, उमेन्द्र वर्मा ग्वालियर को शिव साधना-1 के लिए विष्णु चिंचालकर पुरस्कार, अनुराग जडिया ग्वालियर को यात्रा-2 के लिए नारायण श्रीधर बेन्द्रे पुरस्कार, दिव्या व्यास खरगोन को भये प्रगट कृपाला के लिए रघुनाथ कृष्णराव फड़के पुरस्कार, शिखा गोयल इन्दौर को राममनोहर सिन्हा पुरस्कार और अक्षय साकला देवास को वाय आई एम सो क्युरियस के लिए लक्ष्मीशंकर राजपूत पुरस्कार प्रदान किया गया।

मुख्यमंत्री डॉ यादव ने खजुराहो नृत्य समारोह के विभिन्न पहलुओं पर आधारित पुस्तक ‘सोपान’ एवं कॉफी टेबल बुक बुंदेलखंड का लोकार्पण भी किया।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने खजुराहो नृत्य समारोह के दौरान ही खजुराहो को विकास की विभिन्न सौगातें दी ।मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने खजुराहो में एलोपैथिक हॉस्पिटल, आयुर्वेदिक कॉलेज और हॉस्पिटल बनाने की घोषणा की। खजुराहो नगर परिषद को जनसंख्या के अनुपात के आधार पर नगर पालिका बनाने की घोषणा की।

खजुराहो अध्यात्म और कला की धरती

संस्कृति पर्यटन और धार्मिक न्यास एवं धर्मस्य राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री धर्मेंद्र लोधी ने भारतीय सनातन संस्कृति के महत्व को बताते हुए खजुराहो नृत्य समारोह के योगदान को रेखांकित किया। सांसद खजुराहो  वी.डी. शर्मा ने कहां की खजुराहो अध्यात्म और कला की धरती है। उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. यादव का खजुराहो को जनजातीय और लोक कलाओं के प्रशिक्षण के लिए देश का पहला गुरुकुल देने के लिए खजुराहो की जनता की तरफ से आभार व्यक्त किया। प्रमुख सचिव संस्कृति और पर्यटन   शिव शेखर शुक्ला ने खजुराहो नृत्य समारोह के अब तक के गौरवशाली इतिहास के बारे में जानकारी देते हुए कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। इस अवसर पर वन तथा पर्यावरण राज्यमंत्री  दिलीप अहिरवार, क्षेत्रीय विधायक, स्थानीय प्रशासन और संबंधित अधिकारी सहित बड़ी संख्या में कला प्रेमी उपस्थित रहे।

रास रंग की प्रस्तुति राग मिश्र खमाज ताल एकताली-खेमता में दी

50वें खजुराहो नृत्य महोत्सव के शुभारंभ अवसर पर पद्मश्री रंजना गौहर की कोरियोग्राफी में ओडिसी नृत्य की प्रस्तुति दी गई। इस प्रस्तुति में सबसे पहले भगवान काशी विश्वेश्वर के प्रति अथाह प्रेम एवं भक्ति—भाव को प्रकट किया गया। इस प्रस्तुति में प्रदर्शित किया गया कि यदि हम भगवान काशी विश्वेश्वर से प्रेम करते हैं तो जन्म और मृत्यु के चक्र को समझ सकते हैं। इस प्रस्तुति में पवित्र मां गंगा को भी परिलक्षित किया गया, साथ ही त्रिशूल की भी महिमा की गई। यह प्रस्तुति राग आसावरी में निबद्ध थी और ताल खेमता में प्रस्तुत की गई। इसके बाद राग पहाड़ी और ताल जाति में सखी हे केशी मथन मुदरम की प्रस्तुति दी गई। तत्पश्चात रास रंग की प्रस्तुति राग मिश्र खमाज ताल एकताली—खेमता में दी गई। इस प्रस्तुति में गायन  सरोज मोहंती, मर्दल पर श्री प्रफुल मंगराज, बांसुरी पर  धीरज पाण्डेय, वायलिन पर   अग्निमित्र बेहेरा और खोल/मंगीरा पर  प्रदीप्त मोहराना थे।

पद्मश्री रंजना गौहर की ओडिसी नृत्य

पद्मश्री रंजना गौहर की ओडिसी नृत्य की प्रस्तुति के बाद सुश्री सुधाना शंकर एवं साथी, नई दिल्ली की भरतनाट्यम की प्रस्तुति हुई। इस प्रस्तुति में सर्वप्रथम देवी स्तुति की गई, जिसमें स्त्री का सौंदर्य और सिद्धांत दर्शाए गए, साथ ही बताया की एक स्त्री किसी भी राक्षस को खत्म करने के लिए सक्षम हैं। इसके बाद उन्होंने द्रौपदी और मुरली नाद सुनायो प्रस्तुति दी। इस प्रस्तुति में गायन में श्री सुजेश मेनन, वायलिन पर मंगला वैद्यनाथन और मृदंगम पर प्रजेश नायर ने साथ दिया।

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