लखनऊ, 29 जुलाई UP News। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वह हर बच्चे की शिक्षा को प्राथमिकता देती है। खासकर उन दिव्यांग बच्चों के लिए, जिनके लिए स्कूल का सफर आसान नहीं होता। योगी सरकार की एस्कॉर्ट एलाउन्स योजना (Escort Allowance Scheme) के तहत 13,991 गंभीर और बहु-दिव्यांग बच्चों को शिक्षा के रास्ते पर लाने के लिए ₹839.46 लाख की धनराशि स्वीकृत की गई है। यह योजना न केवल आर्थिक सहायता प्रदान करती है, बल्कि यह समावेशी शिक्षा की दिशा में एक बड़ा कदम है।
₹839.46 लाख की स्वीकृति: शिक्षा को बनाएगी सुलभ (UP News)
एस्कॉर्ट एलाउन्स योजना (Escort Allowance Scheme) के तहत योगी सरकार ने कक्षा 1 से 8 तक पढ़ने वाले परिषदीय प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और कंपोजिट विद्यालयों के 13,991 दिव्यांग बच्चों के लिए ₹839.46 लाख की राशि मंजूर की है। इस योजना का उद्देश्य उन बच्चों को स्कूल तक पहुंचाने में मदद करना है, जो अपनी शारीरिक अक्षमता के कारण अकेले स्कूल नहीं जा सकते। योजना के तहत दृष्टिहीन, बौद्धिक रूप से दिव्यांग, सेरेब्रल पाल्सी और जेई/एईएस प्रभावित बच्चों को हर महीने ₹600 की सहायता 10 महीनों तक दी जाएगी। यह राशि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के जरिए सीधे उनके बैंक खातों में पहुंचेगी।
प्रेरणा और समर्थ पोर्टल: डिजिटल पारदर्शिता की पहल (UP News)
इस योजना को लागू करने में प्रेरणा पोर्टल और समर्थ पोर्टल की अहम भूमिका होगी। इन पोर्टलों के माध्यम से बच्चों की पात्रता तय की जाएगी। पात्रता के लिए 40% या उससे अधिक की दिव्यांगता का प्रमाण पत्र अनिवार्य होगा। साथ ही, नियमित स्कूल उपस्थिति भी इस योजना का लाभ लेने की शर्त होगी। यह डिजिटल प्रक्रिया न केवल पारदर्शी है, बल्कि यह सुनिश्चित करती है कि सही बच्चों तक सहायता पहुंचे।
बहुस्तरीय निगरानी: पारदर्शिता और जिम्मेदारी का मॉडल
योजना को पूरी तरह निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने के लिए हर स्तर पर जिम्मेदारी तय की गई है।
- विद्यालय स्तर: स्कूल के प्रधानाध्यापक पात्र बच्चों की पहचान करेंगे।
- खंड स्तर: खंड शिक्षा अधिकारी उनकी पात्रता का सत्यापन करेंगे।
- जिला स्तर: जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अंतिम अनुमोदन देंगे।
इसके बाद PFMS (पब्लिक फाइनेंशियल मैनेजमेंट सिस्टम) के जरिए आधार सत्यापन और बैंक खाता वेरिफिकेशन के बाद भुगतान सुनिश्चित होगा। यह प्रक्रिया न केवल तेज है, बल्कि इसमें किसी भी तरह की गड़बड़ी की गुंजाइश नहीं है।
30 सितंबर तक पूरी होगी प्रक्रिया (UP News)
एफएमएंडपी मैनुअल-2024 के दिशा-निर्देशों के अनुसार, इस योजना को 30 सितंबर 2025 तक पूरी तरह लागू कर दिया जाएगा। सभी भुगतान संबंधित मद के तहत ही किए जाएंगे। अगर दोहरा भुगतान या धनराशि के दुरुपयोग की स्थिति बनती है, तो संबंधित अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया जाएगा। यह कदम योजना की पारदर्शिता और विश्वसनीयता को और मजबूत करता है।
समावेशी शिक्षा का मॉडल: तकनीक और संवेदना का संगम
बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने इस योजना को एक सोच और संवेदना का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा, “यह योजना सिर्फ आर्थिक मदद नहीं है, बल्कि यह हर बच्चे को शिक्षा का अधिकार देने की हमारी प्रतिबद्धता है। चाहे वह बच्चा चलने में सक्षम हो या न हो, शिक्षा उसका हक है।” इस योजना में तकनीक और संवेदना का अनूठा संगम देखने को मिलता है। प्रेरणा और समर्थ पोर्टल जैसे डिजिटल उपकरण जहां प्रक्रिया को आसान बनाते हैं, वहीं यह योजना उन बच्चों के प्रति सरकार की करुणा को भी दर्शाती है, जो समाज में सबसे कमजोर माने जाते हैं।
शिक्षा सबके लिए: योगी सरकार की प्रतिबद्धता
योगी सरकार की यह पहल न केवल दिव्यांग बच्चों को स्कूल तक लाने में मदद करेगी, बल्कि यह उनके आत्मविश्वास को भी बढ़ाएगी। यह योजना उन बच्चों के लिए उम्मीद की किरण है, जो शारीरिक अक्षमताओं के कारण शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। समग्र शिक्षा योजना के तहत यह कदम उत्तर प्रदेश को समावेशी शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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