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Wednesday, July 30, 2025

UP News: योगी सरकार का किसानों के लिए बड़ा कदम, बीज पार्क से मिलेगा अच्छा और सस्ता बीज, उपज में होगी वृद्धि

UP News लखनऊ, 29 जुलाई। योगी सरकार का किसानों के लिए बड़ा कदम, बीज पार्क से मिलेगा अच्छा और सस्ता बीज, उपज में होगी वृद्धि, कृषि के क्षेत्र में बीज किसी भी फसल की नींव होता है। अच्छे बीज के बिना न तो फसल की उपज अच्छी हो सकती है और न ही उत्पाद की गुणवत्ता। अगर बीज खराब निकल जाए, तो किसान की सारी मेहनत, खेत की तैयारी से लेकर खाद और बोआई तक का खर्च बेकार चला जाता है। खराब बीज के कारण दोबारा बोआई करनी पड़े, तो समय की बर्बादी के साथ-साथ उपज पर भी बुरा असर पड़ता है। कम अंकुरण (जर्मिनेशन) दर वाले बीज भी किसानों के लिए नुकसान का सबब बनते हैं।

उत्तर प्रदेश जैसे कृषि प्रधान राज्य में, जहां लाखों परिवार खेती पर निर्भर हैं, गुणवत्तापूर्ण बीज की उपलब्धता बेहद जरूरी है। योगी सरकार ने इस दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है, जिसके तहत प्रदेश में पांच बीज पार्क (Seed Park) स्थापित किए जाएंगे। यह पहल न केवल किसानों को सस्ते और अच्छे बीज उपलब्ध कराएगी, बल्कि उनकी आय बढ़ाने और राज्य के राजस्व में भी इजाफा करेगी।

उत्तर प्रदेश में कृषि का महत्व (UP News)

भारत में कृषि क्षेत्र लाखों लोगों की आजीविका का आधार है। आर्थिक सर्वे 2023-2024 के अनुसार, देश की 42.3 प्रतिशत आबादी खेतीबाड़ी पर निर्भर है। उत्तर प्रदेश में यह संख्या और भी अधिक है, क्योंकि यह राज्य कृषि प्रधान है। यहां करीब 3 करोड़ परिवार अपनी आजीविका के लिए खेती पर निर्भर हैं। उत्तर प्रदेश में 162 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है, जिसमें से 80 प्रतिशत से अधिक सिंचित है।

यह राज्य खाद्यान्न और दूध उत्पादन में देश में पहले स्थान पर है, जबकि फल और फूलों के उत्पादन में क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर। ऐसे में, खेती को बढ़ावा देने और किसानों की समस्याओं को हल करने के लिए उठाए गए कदमों का असर पूरे देश में दिखता है।

खराब बीज: किसानों की सबसे बड़ी चुनौती

किसानों के लिए खराब बीज एक बड़ी समस्या है। आंकड़ों के मुताबिक, 2023-2024 में बीज की गुणवत्ता जांच के लिए लिए गए 1,33,588 नमूनों में से 3,630 नमूने घटिया पाए गए। खराब बीज के कारण किसानों को आर्थिक नुकसान तो होता ही है, साथ ही कंपनियों की मुनाफाखोरी भी उनकी मुश्किलें बढ़ाती है। कई बार किसानों को महंगे दामों पर बीज खरीदने पड़ते हैं, लेकिन उनकी गुणवत्ता संदिग्ध होती है। इससे न केवल फसल की पैदावार कम होती है, बल्कि किसानों का विश्वास भी टूटता है। योगी सरकार की नई पहल इस समस्या का समाधान करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

बीज पार्क (Seed Park): किसानों के लिए वरदान

योगी सरकार ने किसानों को सस्ते और गुणवत्तापूर्ण बीज उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश में पांच बीज पार्क (Seed Park) स्थापित करने का फैसला किया है। इन पार्कों की स्थापना के लिए अगले तीन साल में 2,500 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। ये पार्क पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर बनाए जाएंगे और प्रदेश के अलग-अलग कृषि जलवायु क्षेत्रों—वेस्टर्न जोन, तराई जोन, सेंट्रल जोन, बुंदेलखंड और ईस्टर्न जोन—में स्थापित होंगे। इन पार्कों का नाम भारत के किसान मसीहा और पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह के नाम पर रखा जाएगा। इन पार्कों में बीज उत्पादन, प्रोसेसिंग, भंडारण, स्पीड ब्रीडिंग और हाइब्रिड लैब जैसी आधुनिक सुविधाएं होंगी।

लखनऊ में बनेगा पहला बीज पार्क (UP News)

योजना के तहत पहला बीज पार्क (Seed Park) लखनऊ के अटारी स्थित राजकीय कृषि प्रक्षेत्र की 130.63 एकड़ भूमि पर बनाया जा रहा है। इस परियोजना पर सरकार करीब 266.70 करोड़ रुपये खर्च करेगी। इस पार्क में 26 सीड ब्लॉक बनाए जाएंगे, जहां उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का उत्पादन होगा। लखनऊ बीज पार्क की कार्ययोजना तैयार हो चुकी है और इस पर तेजी से काम शुरू हो गया है। यह पार्क न केवल स्थानीय स्तर पर बीज उपलब्ध कराएगा, बल्कि किसानों को उनकी जरूरत के हिसाब से उपयुक्त बीज भी प्रदान करेगा।

बीज पार्क (Seed Park) में निवेशकों को मिलेंगी ये सुविधाएं

योगी सरकार बीज पार्कों में निवेश करने वालों को प्रोत्साहन के लिए कई रियायतें देगी। निवेशकों को 30 साल की लीज पर जमीन दी जाएगी, जिसे जरूरत पड़ने पर 90 साल तक बढ़ाया जा सकता है। एक बीज पार्क से करीब 1,200 लोगों को प्रत्यक्ष और 3,000 लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा। साथ ही, लगभग 40,000 बीज उत्पादक किसान इन पार्कों से सीधे जुड़ेंगे। पूरे प्रदेश में पांच बीज पार्कों से 6,000 प्रत्यक्ष और 15,000 अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होंगे। इससे न केवल किसानों को फायदा होगा, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।

उत्तर प्रदेश में बीज की मौजूदा स्थिति

उत्तर प्रदेश में कुल 162 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है, जिसके लिए हर साल करीब 139.43 लाख क्विंटल बीज की जरूरत पड़ती है। लेकिन, वर्तमान में प्रदेश की प्रमुख फसलों के लिए 50 प्रतिशत बीज दक्षिण भारत के राज्यों, खासकर तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश से मंगवाए जाते हैं। इन बीजों पर हर साल करीब 3,000 करोड़ रुपये खर्च होते हैं। आंकड़ों के अनुसार, गेहूं के 20 प्रतिशत, धान के 51 प्रतिशत, मक्का के 74 प्रतिशत, जौ के 95 प्रतिशत, दलहन के 50 प्रतिशत और तिलहन के 52 प्रतिशत बीज बाहर से आते हैं।

बीज पार्क (Seed Park) से होगी 3,000 करोड़ की बचत

बीज पार्कों के जरिए उत्तर प्रदेश बीज उत्पादन में आत्मनिर्भर बनेगा। इससे हर साल 3,000 करोड़ रुपये की बचत होगी, जो अभी बाहर से बीज मंगवाने पर खर्च होते हैं। साथ ही, बीज पार्कों से स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। बीज की गुणवत्ता और उपलब्धता बढ़ने से सीड रिप्लेसमेंट दर (एसएसआर) में सुधार होगा, जिसका सीधा असर फसल की उपज पर पड़ेगा। इससे न केवल किसानों की आय बढ़ेगी, बल्कि राज्य का राजस्व भी बढ़ेगा।

गुणवत्तापूर्ण बीज से कम होगा उत्पादन का अंतर

उत्तर प्रदेश में सबसे उर्वर भूमि और सर्वाधिक सिंचित क्षेत्र होने के बावजूद प्रति हेक्टेयर उपज के मामले में राज्य पीछे है। आंकड़ों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में गेहूं का प्रति हेक्टेयर उत्पादन 26.75 क्विंटल है, जबकि पंजाब में यह 40.35 क्विंटल है। इसी तरह, धान का उत्पादन उत्तर प्रदेश में 37.35 क्विंटल है, जबकि हरियाणा में 45.33 क्विंटल। चना और सरसों के उत्पादन में भी ऐसा ही अंतर है। गुणवत्तापूर्ण बीजों की उपलब्धता से इस अंतर को 15 से 20 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।

उत्तर प्रदेश: खेतीबाड़ी का केंद्र (UP News)

उत्तर प्रदेश में कृषि योग्य भूमि का सबसे बड़ा रकबा (162 लाख हेक्टेयर) है। यहां की 80 प्रतिशत से अधिक भूमि सिंचित है। प्रदेश के करीब 3 करोड़ परिवारों की आजीविका खेती पर निर्भर है। उत्तर प्रदेश खाद्यान्न और दूध उत्पादन में देश में नंबर एक है, जबकि फल और फूलों के उत्पादन में दूसरे और तीसरे स्थान पर। ऐसे में, बीज पार्क (Seed Park) जैसी योजनाएं न केवल किसानों के लिए, बल्कि पूरे राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए गेम-चेंजर साबित होंगी।

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