नई दिल्ली/जकिया रूही:आज के डिजिटल युग में सोशल मीडिया जनजीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। किफायती दाम में मिलने वाले स्मार्टफोन और डाटा पैक के माध्यम से सोशल मीडिया आमजन की पहुँच में आ चुका है। अधिकांश लोग सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म – फेसबुक, एक्स, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप्प का उपयोग कर अपने परिजन और दोस्तों के साथ जुड़ कर त्वरित रूप से सूचना का आदान प्रदान कर रहे हैं।
सोशल मीडिया समसामयिक घटनाओं की जानकारी उपलब्ध कराता है और नई रचनात्मक चीजे सीखने में मदद करता है। सोशल मीडिया के निस्संदेह कई फायदे हैं, परन्तु इसके बढ़ते हुए उपयोग के चलते इसकी लत भी बढ़ती जा रही है जो व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं।
सोशल मीडिया के आदी उपयोगकर्ताओं में FOMO अर्थात कुछ छूट जाने का डर के कारण तनाव, चिंता और अवसाद जैसे लक्षण बढ़ रहे हैं। सोशल मीडिया पर दिखने वाली आदर्शवादी छवियों से स्वयं की तुलना करने में आत्मविश्वास कम हो रहा है। सोशल मीडिया के अत्यधिक उपयोग से नींद पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, रात को देर तक सोशल मीडिया का उपयोग करने से नींद पूरी नही होना और आँखों पर बल पड़ना आम समस्या बन गई हैं।
लंबे समय तक एक ही मुद्रा में झुककर सोशल मीडिया इस्तेमाल करने से युवाओं और बच्चों में मोटापा, कमर गर्दन और जोड़ों में दर्द की समस्याएँ भी आम बन गई हैं। अधिक समय तक स्क्रीन के सामने बैठने से जहां एक ओर शारीरिक गतिशीलता कम हुई है, वहीँ दूसरी ओर वास्तविक जीवन में लोगों से बातचीत करने के बजाय सोशल मीडिया पर अधिक समय बिताने से अकेलापन की समस्या से जूझ रहे हैं। सोशल मीडिया की लत से विशेषकर बच्चों में रचनात्मकता की कमी देखी जा रही है। ट्रेंडी रील बनाने और हर समय नोटिफिकेशन चेक करने की लत से युवा अपना महत्वपूर्ण समय बर्बाद कर रहे हैं।
सोशल मीडिया के सामाजिक दुष्परिणाम भी हैं। इसके माध्यम से फर्जी खबर और झूठी जानकारी तेजी से फैलती हैं, जिससे देश के विभिन्न हिस्सों में कानून व्यवस्था की अप्रिय स्थिति बन चुकी हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से व्यक्तिगत जानकारी को सांझा करने से साइबर अपराध जैसे हैकिंग, फ़िशिंग, साइबर बुलिंग और उत्पीड़न की घटनाएं भी बढ़ रही हैं।
सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं को अपने पासवर्ड और व्यक्तिगत डेटा सुरक्षित रखने के लिए सावधानी बरतनी चाहिये और डिवाइस में साइबर सुरक्षा सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल करना चाहिए। साइबर अपराधों की घटना होने पर इसकी तत्काल रिपोर्ट करनी चाहिए जिसके लिए राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल https://cybercrime.gov.in/ या हेल्पलाइन नंबर 1930 या पुलिस साइबर डेस्क से संपर्क किया जा सकता है।
सोशल मीडिया के अन्य दुष्प्रभावों से बचने के तरीके के लिए इसका सीमित उपयोग करने के साथ वैकल्पिक गतिविधियों जैसे खेल, संगीत और नृत्य में सक्रीय रूप से भाग लेना चाहिए। मानसिक स्वास्थ्य बेहतर बनाने के लिए योग और ध्यान जैसी गतिविधियों को दिनचर्या का हिस्सा बनाना चाहिए।
बच्चों द्वारा सोशल मीडिया का उपयोग अभिभावकों की निगरानी में करना चाहिए जिसके लिए एप्स में पैरेंटल कंट्रोल सेटिंग्स करना आवश्यक हुआ है, और समय प्रबंधन के लिए एंड्राइड के डिजिटल वेलबीइंग, आईओएस के स्क्रीन टाइम फीचर अथवा थर्डपार्टी एप जैसे फ्रीडम, ओपल, इत्यादि का प्रयोग किया जा सकता है। सामाजिक परिवर्तन के लिए सोशल मीडिया एक बेहतरीन साधन हो सकता है लेकिन उपयोगकर्ताओं को जागरूक होकर इसकी चुनौतियों से प्रभावी तरीके से निपटना होगा।
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