Women Express (प्रेम बजाज) : सैक्स या सम्भोग (Sex) इस पर स्त्रियां क्यों खुलकर बात नहीं कर सकती ? कारण हमारी संस्कृति, हमारी सभ्यता। एक औरत को संस्कृति , सभ्यता की दुहाई दी जाती है , कभी कोई स्त्री अगर सबके सामने अपने पति को गालपर किस यानि पप्पी लेती है तो एक औरत ही उसकी सास, मां या अन्य कोई स्त्री ही उसे निर्लज्ज, बेशर्म का तमगा दे देती है, जब खुलेआम किसी पत्र-पत्रिका में सेक्स के बारे में पढ़ते हैं, तो बात करने में क्यों झिझक। हमारे देश में औरत को अपने मन की बात कहने का पूरा अधिकार ही नहीं । जब एक स्त्री अपनी सन्तान से, माता-पिता से बहन – भाईयों से खुलेआम प्यार जता सकती है तो अपने जीवन साथी से क्यों नहीं?
हमारे देश में 80 प्रतिशत औरतें अपने मन में कुंठा लिए जीती हैं। ना तो वो खुलकर सैक्स पर बात कर सकती है एवं ना ही फ्री माइंड होकर अर्थात खुलकर सहवास करती है। महज एक ड्यूटी निभाने जैसा काम करती हैं। अपनी इच्छा अपनी चाह, उत्कंठा को ताक पर रखकर केवल पति की ही इच्छानुसार सहवास मे सहभागी होती हैं।
चरमसीमा का आनन्द क्या है लगभग हर स्त्री इससे नावाकिफ सी है, खुद से पति को सैक्स या सहवास (SEX) के लिए कहना तो औरत के लिए बहुत बड़ा गुनाह माना जाता है। अगर स्त्री पहल करें तो उसे चरित्रहीन समझा जाता है। क्या ये एकाधिकार केवल पुरुष का ही है, स्त्री को नहीं ? जबकि काम इच्छा दोनो के अन्दर एक ही होती है, दोनों का तन ही सम्भोग की इच्छा रखता है।
अक्सर सम्भोग के बाद पुरुष संतुष्ट होकर मुहं फेर लेते हैं, जबकि अधिकतर स्त्रियां संतुष्टि ना होते हुए भी खुद से समझौता करती हैं। जब एक स्त्री अपनी अन्य बातें पुरुष के साथ सांझा कर सकती है तो सैक्स की बात करना या सैक्स की पहल क्यों नहीं?
अपने पार्टनर से खुलकर सैक्स (SEX) की बात करें
अपने पार्टनर से खुलकर बात करें, अगर आप खुलकर बताएंगे नहीं तो आपका साथी कैसे आपकी भावनाओं को समझेगा, अपने एक्सप्रेशन छुपाए नहीं, इससे अधिक संतुष्टि मिलेगी । अक्सर स्त्री कहना चाह कर भी झिझकती है, उन्हें लगता है शायद उनका कहना ग़लत समझा जाएगा। 40 तक आते-आते अधिकतर स्त्रियों में सेक्स से रूचि कम होने लगती, जबकि 55 के बाद तो लगभग स्त्रियां सेक्स की बात से ही चिढ़ने लगती हैं, कारण वहीं असंतुष्टि या झिझक। जबकि ओशो के अनुसार पति – पत्नी के रिश्ते को ओशो मन्दिर से जोड़ते हैं।
…सैक्स (SEX) की शक्ति ही प्रेम बनती है
ओशो कहते हैं पति को पत्नी के पास मन्दिर समझ कर जाना चाहिए जबकि पत्नी को पति के पास परमात्मा समझ कर जाना चाहिए। ओशो के अनुसार जब वो प्रेमी संभोग करते हैं तो वास्तव में परमात्मा के मन्दिर से होकर गुजरते हैं ।
ओशो के अनुसार प्रेम का प्राथमिक बिंदु ही काम है। सैक्स की शक्ति ही प्रेम बनती है । लेकिन ये हमारे दुर्भाग्य कि हम सैक्स को गाली के सिवाय दूसरा सम्मान देते ही नहीं। जिस दिन हमारे देश में सेक्स की सहज स्विकृति उस दिन एक बहुत बड़ी उर्जा मुक्त होगी और जिससे हम आइन्सटाइन पैदा कर सकते हैं । आज के समय की मांग को देखते हुए हमें अपनी बेटियों से भी खुलकर सैक्स से संबंधित बात करनी चाहिए, ताकि कोई उनका फायदा ना उठा सकें, आज की बेटी को सब ज्ञान होना चाहिए, उन्हें खुलकर सेक्स के बारे में समझाना होगा।