30.5 C
New Delhi
Monday, October 13, 2025

नारी शक्ति की बड़ी जीत, NDA में होगी महिलाओं की भर्ती

-Advertisement-
-Advertisement-
Join whatsapp channel Join Now
Join Telegram Group Join Now

-सशस्त्र बलों ने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में महिलाओं की भर्ती करने का फैसला किया
—महिलाओं के पास अधिकारी के तौर पर सशस्त्र बलों में प्रवेश करने का कोई माध्यम नहीं

नयी दिल्ली /खुशबू पाण्डेय। महिलाओं की यह बड़ी जीत है। केंद्र सरकार ने ऐतिहासिक कदम उठाते महिलाओं को भारत के सशस्त्र बलों में परमानेंट कमीशन के लिए राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में प्रवेश देने की अनुमति दे दी है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को यह जानकारी दी। केंद्र ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय (SC)को बताया कि सशस्त्र बलों ने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) में महिलाओं की भर्ती करने का फैसला किया है। केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ को बताया कि सरकार के साथ ही सशस्त्र बलों के उच्च स्तर पर फैसला लिया गया है कि एनडीए के जरिए स्थायी कमीशन के लिए महिलाओं की भी भर्ती की जाएगी। भाटी ने हलफनामे के जरिए जानकारी देने के लिए न्यायालय की अनुमति मांगी।

नारी शक्ति की बड़ी जीत, nda में होगी महिलाओं की भर्ती

- Advertisement -

न्यायालय ने कहा कि वह समय-समय पर प्राधिकारियों को खुद इसे करने के लिए प्रेरित करता रहा है और उसका मानना है कि वे इसे करने के लिए सबसे ज्यादा उपयुक्त हैं। पीठ ने कहा कि वह चाहेगा कि रक्षा बल अदालत से निर्देश मिलने के बजाय खुद लैंगिक समानता के प्रति ज्यादा सक्रिय रुख अपनाए। पीठ ने कहा, ऐसी राय है कि जब कुछ नहीं होता तो अदालत आगे आती है। आपको आश्वस्त कर दूं कि अदालत को हस्तक्षेप करने में खुशी नहीं होती और हम चाहेंगे कि सशस्त्र बल खुद यह करें।

यह भी पढें…सुप्रीम कोर्ट में महिला सशक्तिकरण की दिखी झलक, 3 महिला न्यायाधीशों ने ली शपथ

वे देश के सम्मानित बल हैं लेकिन लैंगिक समानता पर उन्हें और करने की आवश्यकता है और कभी-कभी प्रतिरोध अच्छा साबित नहीं होता।पीठ ने कहा, मैं खुश हूं कि सशस्त्र बलों के प्रमुख ने एक सकारात्मक फैसला लिया है। रिकॉर्ड में रखिए, हम मामले पर सुनवाई करेंगे। हम इस रुख से खुश हैं। हमें अगले हफ्ते मामले पर सुनवाई करने दीजिए। सुधार एक दिन में नहीं होते। हम इससे अवगत हैं। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने पीठ को बताया कि ऐसा विचार पहले ही चल रहा था लेकिन वह केवल शुरुआती स्तर पर था। मामले पर सुनवाई के लिए दो हफ्ते बाद की तारीख तय की गयी है। उच्चतम न्यायालय वकील कुश कालरा की याचिका पर सुनवाई कर रहा है।

यह भी पढें…सेना में महिला सैन्य अधिकारियों को बड़ी कामयाबी, पदोन्नत कर मिला कर्नल रैंक

इस याचिका में प्रतिष्ठित एनडीए में लैंगिक आधार पर योग्य महिलाओं को भर्ती नहीं करने का मुद्दा उठाते हुये इसे समानता के मौलिक अधिकार का कथित तौर पर उल्लंघन बताया गया था। याचिका में कहा गया है कि प्राधिकारियों ने 12वीं पास अविवाहित पुरुष उम्मीदवारों को राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और नौसेना अकादमी परीक्षा देने की अनुमति दी हुई है लेकिन योग्य और इच्छुक महिला उम्मीदवारों को केवल उनके लिंग के आधार पर यह परीक्षा देने की अनुमति नहीं है तथा इसके लिए संविधान में कोई ताॢकक या न्यायोचित स्पष्टीकरण भी नहीं है। इसमें आरोप गया है कि भेदभाव का यह कृत्य समान और गैर भेदभाव के संवैधानिक मूल्यों के प्रति संबंधित प्राधिकारियों द्वारा किया गया अपमान है। याचिका में कहा गया है कि इसके परिणामस्वरूप महिलाओं के पास अधिकारी के तौर पर सशस्त्र बल में प्रवेश करने का कोई माध्यम नहीं है। याचिका में कहा गया है कि संघ लोक सेवा आयोग राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और नौसेना अकादमी परीक्षा कराता है और योग्यता मापदंड के अनुसार आवश्यक शैक्षिक योग्यता और 15 से 18 साल की आयु का कोई भी अविवाहित पुरुष उम्मीदवार परीक्षा में बैठ सकता है।

यह भी पढें…महिलाओं की बड़ी जीत, राष्ट्रीय रक्षा अकादमी की परीक्षा में होगी एंट्री

इसमें कहा गया है कि परीक्षा पास करने और एनडीए में प्रशिक्षण सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद वे 19-22 साल की आयु तक स्थायी कमीशंड अधिकारी के तौर पर सेवा में शामिल होते हैं।
इससे पहले केस की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि महिलाओं को एनडीए परीक्षा में मौका न देना, उनके मूलभूत अधिकारों के हनन का मामला नहीं है। यही नहीं, केंद्र सरकार ने कहा था कि एनडीए के जरिए आने वाले पुरुष कर्मचारियों को उनके मुकाबले करियर में कोई स्पेशल बढ़त नहीं मिलती। महिलाओं के लिए सेना में एंट्री का एकमात्र रास्ता शॉर्ट सर्विस कमीशन ही रहा है।शीर्ष अदालत ने सेना से महिलाओं को भी परमानेंट कमीशन में लिए जाने को कहा था। यही नहीं अदालत ने सेना के नियमों को गलत करार देते हुए कहा था कि ये बेतुके और मनमाने हैं। दरअसल वकील कुश कालरा की ओर से महिलाओं को एनडीए और इंडियन नेवल अकादमी में शामिल किए जाने की मांग को लेकर अर्जी दाखिल की गई थी। फिलहाल इन दोनों अकादमियों में महिलाओं की भर्ती नहीं की जाती। सुप्रीम कोर्ट ने इस अर्जी पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा था।

-Advertisement-

Related Articles

Delhi epaper

Prayagraj epaper

Kurukshetra epaper

-Advertisement-

Latest Articles