–सुप्रीम कोर्ट ने कहा बच्चों को 14 साल का होने तक नि:शुल्क शिक्षा उपलब्ध कराए
–पीडि़ता को आवास उपलब्ध कराने के लिए विचार करे सरकार
नयी दिल्ली/टीम डिजिटल : उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को रांची के उपायुक्त को एक बलात्कार पीडि़ता के नाबालिग बच्चों को उनके 14 साल का होने तक नि:शुल्क शिक्षा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। यह उल्लेख करते हुए कि किसी बलात्कार पीडि़ता को न सिर्फ मानसिक आघात का, बल्कि समाज से भेदभाव का भी सामना करना पड़ता है। न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने उपायुक्त को यह भी निर्देश दिया कि वह प्रधानमंत्री आवास योजना या किसी अन्य केंद्रीय या राज्य की योजना के तहत आवास उपलब्ध कराने के याचिकाकर्ता के मामले पर विचार करें।
पीठ ने कहा कि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रांची, और अन्य सक्षम अधिकारी याचिकाकर्ता को मिली पुलिस सुरक्षा की समय-समय पर समीक्षा करेंगे और ऐसे कदम उठाएंगे जो उपयुक्त और उचित हों। इसने कहा कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, रांची याचिकाकर्ता के निवदेन पर उसे उसके हित की रक्षा के लिए उचित कानूनी सेवा सुनिश्चित करेगा। याचिकाकर्ता को बलात्कार पीडि़ता के रूप में मुआवजे के भुगतान के मुद्दे पर शीर्ष अदालत ने कहा कि झारखंड में दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 357ए के तहत पहले से ही सांविधिक योजना लागू है जो मुआवजा प्रदान करने की प्रक्रिया उपलब्ध कराती है। शीर्ष अदालत ने कहा, याचिकाकर्ता ने उक्त योजना के तहत मुआवजे के लिए पहले ही आवेदन कर दिया था और उसे मुआवजा पहले ही मिल चुका है।
गुजारा भत्ता मांगा तो मिल गया तलाक
उच्चतम न्यायालय एक महिला द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसने खुद के झारखंड की एक जनजाति से संबंधित होने का दावा किया है। उसे एक व्यक्ति अपने साथ ले गया था। इसके बाद उसके पिता ने शिकायत दर्ज कराई थी। व्यक्ति को बाद में पकड़ लिया गया था, लेकिन पीडि़ता के पिता और पुलिस ने आरोपी और महिला की शादी करा दी थी। महिला ने अपने पति के खिलाफ शिकायत दायर की थी और गुजारा भत्ता भी मांगा था जिसके बाद उसे तलाक मिल गया तथा उसके बेटे का संरक्षण व्यक्ति को दे दिया गया। मामले के अनुसार आठ जून 2002 को महिला अपने बेटे से मिलने डाल्टनगंज गई थी जहां चार लोगों ने उससे बलात्कार किया था।