(अदिति सिंह)
नई दिल्ली/टीम डिजिटल । देश की राजधानी दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, उत्तराखंड, राजस्थान, पंजाब समेत देश में अधिकांश जगहों पर करवा चौथ का चांद नजर आ गया है। चांद का दीदार करने के बाद सुहागिनों ने निर्जला व्रत तोड़ा। चंद्रमा को अर्घ्य देकर उन्होंने व्रत पूरा किया। दिल्ली-एनसीआर में स्मॉग की वजह से चांद अनुमानित समय से देर से दिखा।करवा चौथ पर चांद देखने के बाद ही वह अपना व्रत तोड़ती हैं। करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि में किया जाता है। महिलाएं पति के मंगल एवं दीघार्यु की कामना के लिए निर्जला रहकर इस व्रत को रखती हैं। चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत पूरा माना जाता है।
करवाचौथ का व्रत अमृत सिद्धि योग एवं शिव योग में मनाया जा रहा है। ज्योतिषाचार्य पं.शिवकुमार शर्मा के अनुसार आज मृगशिरा नक्षत्र होने से अमृत सिद्धि योग बन रहा है। इस दिन 28 योगों में शिव योग आ रहा है। शिव का अर्थ होता है कल्याणकारी। ऐसे योग में करवाचौथ का व्रत सौभाग्यवती महिलाओं के पति की दीर्घायु देने वाला होता है।
कहते हैं कि करवा चौथ व्रत सुहागन स्त्रियां अपने पति के हित के लिए रखती हैं। इस दिन व्रत रखकर करवा चौथ की विशेष कथा का पाठ किया जाता है। कथा के अनुसार, इस दिन व्रती महिलाओं को कैंची और चाकू का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही न ही नाखून काटने चाहिए। कहते हैं कि जो महिलाएं ऐसा करती हैं उनके व्रत का फल नष्ट हो जाता है।
बता दें कि करवा चौथ पर महिलाएं 16 श्रृंगार करती हैं। ये हैं सुहागिन महिला के 16 श्रृंगार- लाल रंग की साड़ी या लहंगा (या जो भी आप आउटफिट पहनना चाहें), सिंदूर, मंगलसूत्र, बिंदी, नथनी, काजल, गजरा, मेहंदी, अंगूठी, चूड़ियां, ईयररिंग्स (कर्णफूल), मांग टीका, कमरबंद, बाजूबंद, बिछिया और पायल।
सुहागिन स्त्रियों द्वारा पति की दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत और फिर चांद देखकर व्रत तोड़ने की परम्परा में अब पति भी बराबर के भागीदार बन रहे है और खुशहाल दाम्पत्य जीवन की कामना के साथ कई पुरूष भी अपनी जीवन संगिनी के साथ व्रत रखते है। आज यह पति-पत्नी के बीच के सामंजस्य और रिश्ते की ऊष्मा से दमक और महक रहा है। आधुनिक दौर भी इस परंपरा को डिगा नहीं सका है बल्कि इसमें अब ज्यादा संवेदनशीलता, समर्पण और प्रेम की अभिव्यक्ति की गहराई दिखाई देती है।