बिहार के सहरसा जिले में एक छोटी सी महिला की कहानी ऐसी है, जिसने सरकार की मदद से अपनी जिंदगी बदल ली है। यह कहानी है अर्चना कुमारी की, जिन्होंने आर्थिक तंगी का सामना कर रहे अपने परिवार को संभालने के लिए ‘मुख्यमंत्री उद्यमी योजना’ का सहारा लिया। अब वह अपना खुद का कारोबार कर रही हैं और अपने अनुभव से दूसरी महिलाओं के लिए भी प्रेरणा बन गई हैं। आइये जानते हैं कि कैसे इस योजना ने उनकी जिंदगी को बदल दिया।
अर्चना कुमारी की जद्दोजहद और सफलता की कहानी
अर्चना कुमारी का परिवार गरीबी से जूझ रहा था। उनके पति की नौकरी साल 2024 में खत्म हो गई, जिससे घर की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई। परिवार की जरूरतें पूरी करना मुश्किल हो रहा था। ऐसे में उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि आगे क्या करें। इसी समय उन्हें सरकार की ‘मुख्यमंत्री उद्यमी योजना’ का पता चला। इस योजना का मकसद छोटे व्यवसाय शुरू करने वाले लोगों को वित्तीय मदद देना है।
अर्चना ने बिना हिम्मत हारे इस योजना के लिए आवेदन किया। योजना से मिली रकम से उन्होंने कप बनाने का काम शुरू कर दिया। सरल भाषा में कहें तो, घर बैठकर ही वह अपने बिजनेस को संभालने लगीं। पहले तो कुछ ही गुना कप बनाना शुरू किया, लेकिन तेजी से उनके काम को अच्छा रिस्पांस मिला। अब उनका कारोबार जोरों पर है।
उनके रोज का आमदनी लगभग 20 हजार रुपए हो गई है। यही नहीं, वह अपने व्यवसाय के जरिए कई महिलाओं को भी रोजगार दे रही हैं। इससे वे ना केवल अपनी आर्थिक स्थिति सुधार रही हैं, बल्कि अपने आसपास के क्षेत्र में भी अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रही हैं।
अर्चना ने कहा, ‘यह योजना मेरी जिंदगी बदल गई। मैंने सोचा नहीं था कि मैं इतना कुछ कर सकती हूं। पहले आय का कोई जरिया नहीं था, अब मैं आत्मनिर्भर हूं।’
उनके पति, देवर और परिवार के बाकी सदस्यों का पूरा सहयोग है। उनके परिवार के सदस्य मिलकर मेहनत कर रहे हैं ताकि उनका बिजनेस सफल हो सके।
योजना का प्रभाव और नई उम्मीदें
अर्चना की कहानी सिर्फ एक महिला की नहीं है बल्कि उन लाखों महिलाओं के लिए भी प्रेरणा है, जो गरीबी और बेरोजगारी से जूझ रही हैं। वह बताती हैं कि सरकार की इस योजना से उन्हें उम्मीद जागी है। उनके जैसे कई लोग हैं, जो इन सरकारीय योजनाओं का सही तरीके से फायदा उठाकर अपने जीवन को सुधार सकते हैं।
जो युवा और महिलाएं अब भी बेरोजगार हैं, उनके लिए यह योजना एक नया आसमान खोल सकती है। सिर्फ व्यवसाय शुरू करने का नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर बनने का भी मौका है।
सीखने वाली बात यह है कि, मेहनत और सरकार की सहायता से कोई भी अपने जीवन की दिशा बदल सकता है। अर्चना का कहना है, ‘मैं अब अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दे पा रही हूं, वह भी बिना किसी चिंता के।’
सहरसा की इस महिला की सफलता से क्या सीखें?
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि जब मेहनत, ईमानदारी और सही योजना हो, तो गरीबी भी दूर हो सकती है। सरकार की योजनाएं सही तरीके से लागू हों तो हर गरीब और बेरोजगार युवाओं का जीवन सुधार सकता है।
अगर आप भी कोई व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं तो आप सोचिए मत। योजनाओं का फायदा उठाइए, ख्वाब सच कीजिए। जैसे ही आपने कदम बढ़ाया, सफलता आपके करीब होगी।
अंत में, अर्चना कहती हैं कि आज वह आत्मनिर्भर हैं और हर किसी को भी प्रोत्साहित करती हैं कि कोशिश करें और अपनी किस्मत खुद बनाएं।
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