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Wednesday, August 6, 2025

गर्भवती महिला और बच्‍चे की मृत्‍यु न होने दें’

-कंडोम और गर्भनिरोधक दवाओं का उपयोग बढाएं

विश्‍व जनसंख्‍या दिवस पर अंतरराष्‍ट्रीय सम्‍मेलन
—आइए, हम सब रोकथाम के लिए आगे बढे
—जनसंख्‍या स्थिरीकरण के लिए समर्पित करें एक महीना

(खुशबू पाण्डेय)

नई दिल्ली।(विशेष संवाददाता) : केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आज विश्व जनसंख्या दिवस, 2019 के अवसर पर जनसंख्‍या एवं विकास पर अंतरराष्‍ट्रीय सम्‍मेलन (आईसीपीडी) से संबंधित राष्‍ट्रीय कार्यशाला @ 25ईयर्स – लिवरेजिंग पार्टनरशिप्‍स का उद्घाटन किया। इस मौके पर उन्होंने कहा, ’आइए, हम सब रोकथाम की जा सकने वाली बीमारियों से किसी गर्भवती महिला और बच्‍चे की मृत्‍यु न होने दें’। 25 साल पहले 1994 में आज ही के दिन काहिरा में महत्‍वपूर्ण आईसीपीडी का आयोजन हुआ था। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के गतिशील और दूरदर्शी नेतृत्‍व में देश 2022 तक न्‍यू इं‍डिया के निर्माण का साक्षी बनेगा जिसमें विकास का सकारात्‍मक निर्णायक तत्‍व-स्‍वास्‍थ्‍य होगा। उन्‍होंने कहा, ‘सरकार स्‍वास्‍थ्‍य से जुड़े मसलों का समाधान करने, इसके स्‍तर में सुधार लाने और गुणवत्‍तापूर्ण सेवाओं तक सभी की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।’

गर्भवती महिला और बच्‍चे की मृत्‍यु न होने दें’

भारत सरकार ने बेहतर मातृ-शिशु स्‍वास्‍थ्‍य हासिल करने के लिए जन्‍म-अंतर पर विशेष जोर दिया है। इसे ध्‍यान में रखते हुए नये संवाद/आईईसी सामग्री डिजाइन की गई है और इसे आज लांच किया गया है। जन्‍म-अंतर को बढ़ाने के लिए इन प्रकियाओं के संबंध में मिथकों और गलत धारणाओं को दूर किया जाना जरूरी है। खाने वाली गर्भनिरोधक गोलियां की श्रेणी को फिर से शुरू किया जाना चाहिए। कंडोम और सुई से दी जाने वाली गर्भनिरोधक दवा के उपयोग को बढ़ाया जाना चाहिए।

जनसंख्‍या स्थिरीकरण बेहद महत्‍वपूर्ण


डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि जनसंख्‍या स्थिरीकरण गुणवत्‍तापूर्ण जीवन और संपूर्ण स्‍वास्‍थ्‍य कवरेज के लक्ष्‍यों को प्राप्‍त करने की दिशा में बेहद महत्‍वपूर्ण है। ‘हमें स्‍वास्‍थ्‍य को सभी सार्वजनिक नीतियों के संघटक के तौर पर रखना चाहिए। यह अवसर महिला-पुरुष समानता, मातृ और शिशु स्‍वास्‍थ्‍य, मानवाधिकारों और गरीबी तथा विकास के अन्‍य निर्धारकों से जुड़े विषयों के बारे में चर्चा करने के लिए महत्‍वपूर्ण और प्रबल मंच भी उपलब्‍ध कराता है।’ ‘हमें कामयाब कहानियों के अनुभवों से सीखना होगा और चुनौतियों से सबक लेना होगा। हमें अपने लक्ष्‍यों की प्राप्ति के लिए इस इस तरह के ज्ञान और संसाधनों पर निर्भर करना होगा।’

जनसंख्‍या स्थिरीकरण के लिए समर्पित करें एक महीना

डॉ. हर्षवर्धन ने एनजीओ और समाजिक संगठनों को प्रत्‍येक वर्ष एक महीने का समय जनसंख्‍या स्थिरीकरण के लिए समर्पित करें। अकेले कार्य करके शिशु-मां की मृत्‍यु को रोका नहीं जा सकता तथा मातृ-शिशु के स्‍वास्‍थ्‍य को बेहतर नहीं बनाया जा सकता। यदि हमें इन लक्ष्‍यों को प्राप्‍त करना है तो सरकार, सिविल सोसायटी, निजी और कार्पोरेट क्षेत्र, समुदाय के नेता और मीडिया को महत्‍वपूर्ण भूमिका निभानी पड़ेगी।

समारोह में स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने परिवार नियोजन पर नये जागरूकता अभियान का शुभारंभ किया। सूचना और संवाद को महत्‍व देते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने का सबसे प्रभावी तरीका है- लोगों को निरंतर अच्‍छी गुणवत्‍ता वाली सूचना प्रदान करना और उन्‍हें प्रोत्‍साहित करना।

परिवार नियोजन के लिए जागरूकता जरूरी : चौबे


केन्‍द्रीय स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण राज्‍य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि परिवार नियोजन और जनसंख्‍या स्थिरीकरण के लिए लोगों को जागरूक बनाया जाना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि किसी राष्‍ट्र के विकास के लिए जनसंख्‍या और स्‍वास्‍थ्‍य महत्‍वपूर्ण घटक है। परिवार नियोजन एक महत्‍वपूर्ण निर्धारक है। परिवार नियोजन केवल जनसंख्‍या स्थिरीकरण तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि यह महिलाओं, परिवारों और समुदायों के बेहतर स्‍वास्‍थ्‍य को भी सुनिश्चित करता है।

कंडोम जैसे गर्भनिरोधक के उपयोग को बढ़ाना जरूरी

गर्भवती महिला और बच्‍चे की मृत्‍यु न होने दें’

विश्‍व जनसंख्‍या दिवस, 2019 पर ऐतिहासिक अंतर्राष्‍ट्रीय जनसंख्‍या और विकास सम्‍मेलन (आईसीपीडी) 1994, काहिरा के 25 वर्ष पूरे हो रहे हैं। इस सम्‍मेलन में ऐतिहासिक निर्णय लिये गए थे, जिनके केन्‍द्रबिन्‍दु में व्‍यक्ति और उसकी इच्‍छा, उसके अधिकार तथा उसका सशक्तिकरण थे। आईसीपीडी की 25वीं वर्षगांठ उपयुक्‍त समय है जब विश्‍व समुदाय लैंगिक और प्रसव स्‍वास्‍थ्‍य तथा अधिकारों के बारे में हुई प्रगति का लेखा-जोखा प्रस्‍तुत कर सकता है तथा शेष चुनौतियों से निपटने के लिए तैयारी कर सकता है।

भारत सरकार ने बेहतर मातृ-शिशु स्‍वास्‍थ्‍य हासिल करने के लिए जन्‍म-अंतर पर विशेष जोर दिया है। इसे ध्‍यान में रखते हुए नये संवाद/आईईसी सामग्री डिजाइन की गई है और इसे आज लांच किया गया है। जन्‍म-अंतर को बढ़ाने के लिए इन प्रकियाओं के संबंध में मिथकों और गलत धारणाओं को दूर किया जाना जरूरी है। खाने वाली गर्भनिरोधक गोलियां की श्रेणी को फिर से शुरू किया जाना चाहिए। कंडोम और सुई से दी जाने वाली गर्भनिरोधक दवा के उपयोग को बढ़ाया जाना चाहिए।

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