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Thursday, August 28, 2025

महिलाओं में माहवारी की हिचक को ख़त्म करना जरूरी

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नई दिल्‍ली। मासिक धर्म एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो हर लड़की की ज़िन्दगी में होती है मगर हर लड़की इस पर बात करने में हिचकती है। जिसकी वजह से उसकी ज़िन्दगी न चाहते इसके द्वारा जुडी भ्रांतियों से बंध जाती है। और इन भ्रन्तिओं को भेदना भी असंभव जान पड़ता है इसका मुख्य कारण लोगों में जागरूकता की कमी है,और दूसरा लोग माहवारी के बारे में बात करने में झिझकते हैं। हर साल 28 मई को पिछले कई सालों से पूरे विश्व में मेंस्ट्रुअल हाइजीन डे ( माहवारी स्वच्छता दिवस ) की तरह मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य लोगो में जागरूकता लाना व इससे जुडी हिचक को ख़त्म करना है ताकि एक सामान्य विषय पर सामान्य तरीके से बात हो सके। इस दिन सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों को मासिक धर्म से जुड़ी गलतफहमियों को मिटाने के लिए, अलग अलग तरह के प्रोग्राम करते है।


दिल्ली में स्थित सच्ची सहेली एक ऐसी संस्था है जो पिछले चार साल से सरकारी व प्राइवेट स्कूलों में माहवारी से जुडी जानकारी पर काम कर रही है। आज के दिन 28 मई को मनाने के लिए दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण (पूर्वी दिल्ली , उत्तर-पूर्वी दिल्ली, और शाहदरा) व सच्ची सहेली ने वर्कशॉप का आयोजन पूर्वी दिल्ली नगर निगम के सफाई कर्मचारियों के लिए किया। इस वर्कशॉप का मुख्य उद्देश्य सफाई कर्मचारियों को मासिक धर्म के बारे में बताना था।

महिलाओं में माहवारी की हिचक को ख़त्म करना जरूरी


मिरांडा हाउस की छात्रा मुस्कान ने पटपड़गंज (पूर्वी दिल्ली) ने हमारे विशेष अतिथियों को इस कार्यक्रम का उद्घाटन करने के लिए आमंत्रित किया। कवलजीत अरोड़ा (मेंबर सेक्रेटरी, DLSA ), गौतम मदन(मेंबर सेक्रेटरी,DLSA), डॉ सुरभि सिंह (संस्थापक,सच्ची सहेली), आकाश जैन (सेक्रेटरी, DLSA), पवन कुमार(सेक्रेटरी, DLSA) एवं अरविंद बंसल(सेक्रेटरी, DLSA) सहित अन्य अथितियों ने दीप प्रज्ज्वलित किया और कार्यक्रम का उद्घाटन किया। समारोह के बाद GGSSS, मयूर विहार फेज 3 के छात्रों ने माहवारी पर नृत्य प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन के बाद DLSA के मेमबर सेक्रेटरी कमलजीत अरोड़ा ने महिलाओं को जागरूक किया और माहवारी के बारे में जानकारी देते हुए कहा, पुरुषों को भी ऐसे कार्यक्रम में हिस्सा लेना चाहिए और माहवारी के बारे में बातचीत करनी चाहिए।


जिसके बाद सच्ची सहेली की संस्थापक डॉ सुरभि सिंह (स्त्री रोग विशेषज्ञ) ने एक विशेष सेशन लिया जिसमें उन्होंने महिलाओं से माहवारी के बारे में बातचीत की और उससे जुड़ी समस्याओं के बारे में भी चर्चा की और अपने अनुभवों के बारे में चर्चा करते हुए माहवारी से जुड़े मिथ्यों का भी खंडन किया।


डॉ सुरभि ने माहवारी के बारे में जानकारी देते हुए कहा, कभी स्टेज पर माहवारी की बात होते हुए सुनी है? माहवारी तकलीफ नहीं है क्योंकि, माहवारी की वजह से ही महिलाएं माँ बन पाती हैं इसलिए औरतों को शर्म छोड़कर अपने औरत होने की अस्तित्व पर गर्व करना चाहिए। इसके लिए हमें अपनी सोच को बदलना होगा। डॉ सुरभि के सेशन के बाद पवन कुमार जी ने DLSA के बारे में रोचक जानकारियाँ दी और महिलाओं के कानूनी अधिकारों और विभिन्न मुआवजों के बारे में भी बताया।

उन्होंने मुफ्त कानूनी सहायता और घरेलू हिंसा पर भी गहराई से बातचीत की।
इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय की नाटक मंडली ‘मुखौटा’ के छात्रों ने मासिक धर्म से जुड़ी भ्रांतियों पर एक मनोरंजक और ज्ञानवर्धक नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया। GGSSS शकरपुर की छात्राओं ने माहवारी का जश्न मानाने के लिए नृत्य प्रस्तुत किया और अंत में सारी महिला कर्मचारियों ने सच्ची सहेली द्वारा बनवाए गए बैनरों के साथ यह प्रण लिया कि वे अपनी बहु -बेटियों के साथ भी माहवारी के बारे में चर्चा करेंगी और माहवारी से जुड़ी भ्रांतियों का खंडन करेंगी।

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