–वर्ष 2022 में होगा जी-20 शिखर सम्मेलन, आईईसीसी का काम तेज
–पीएमओ की निगरानी में तैयार हो रहा है आलीशान प्रगति मैदान
–संपूर्ण परियोजना अक्तूबर 2021 तक हो जाएगी तैयार
–लॉकडाउन के चलते हुई देरी, अब कार्य ने पकड़ी रफ्तार
–कार्यकलापों के प्रगति की केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने की समीक्षा
नई दिल्ली/ टीम डिजिटल : दिल्ली के प्रगति मैदान में बन रहे विश्व स्तरीय समेकित प्रदर्शनी-सह-सम्मेलन केन्द्र (आईईसीसी) निर्माण कार्य तेजी से हो रहा है। निर्माणाधीन अधिकांश भवनों के मार्च 2021 तक पूरे हो जाने की संभावना है। इसके बाद भवनों को सौंपे जाने का कार्य जल्द ही चरणबद्ध तरीके से शुरू हो जाएगा। संपूर्ण परियोजना अक्तूबर 2021 तक हस्तांतरित कर दिए जाने की संभावना है। सबकुछ अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हो रहा है। यही कारण है कि भारत द्वारा 2022 में जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी किए जाने की उम्मीद है और आईईसीसी इसके लिए मुख्य स्थान होगा। इसी हिसाब से तैयारी चल रही है।
वैश्विक सम्मेलनों तथा प्रदर्शनियों के आयोजन के लिए एक आधुनिक, अद्यतन केन्द्र के रूप में प्रगति मैदान का पुनर्विकास किया जा रहा है। इसमें एक आधुनिक सम्मेलन केन्द्र का निर्माण भी हो रहा है, जिसमें सात हजार लोगों के बैठने की क्षमता होगी। इसकी मानीटरिंग खुद प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) कर रहा है। इसके अलावा मंत्रियों का एक समूह लगातार इसकी समीक्षा कर रहा है। इसी कड़ी में केन्द्रीय रेल एवं वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष ने शनिवार को हाईलेवल समीक्षा बैठक की। इसमें आवास एवं शहरी कार्य मंत्री एच एस पुरी, प्रधानमंत्री के प्रमुख सलाहकार पी के सिन्हा, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, आईटीपीओ, एनबीसीसी तथा कार्यकलाप से जुड़े अन्य एजेंसियों के अधिकरी मौजूद रहे।
बैठक में कार्यकलाप गतिविधियों की स्थिति पर प्रस्तुतियों एवं वीडियो देखने के बाद पीयूष गोयल ने प्रगति को लेकर संतोष व्यक्त किया। सभी प्रमुख कार्यकलाप नियंत्रण के अधीन हैं। उनके मुताबिक पहले जिन निर्माण कार्यकलापों को लॉकडाउन तथा उसके बाद श्रमिकों के प्रवासन के कारण नुकसान सहना पड़ा था, उनमें जून में गति आई और अब तेजी से काम हो रहा है। वर्तमान में साइट पर विभिन्न कार्यकलापों में लगभग 4800 श्रमिक कार्यरत है।
कोविड-19 के अनुकूल होंगे भवन, 6 अंडरपास और सुरंग होगी
क्षेत्र में ट्रैफिक की सुगम आवाजाही के लिए साइट में छह अंडरपास तथा एक मुख्य सुरंग होगी। इन भवनों में एसी सिस्टम ऐसा लगाया जा रहा है जो कोविड-19 के अनुकूल होगी। साथ ही बिजली की पर्याप्त उपलब्धता होगी और भवन लीकप्रूफ होंगे तथा जलनिकासी प्रणाली सुनिश्चित करेगी कि किसी भी परिस्थिति में कोई जलजमाव न हो। इसके अलावा आत्मनिर्भर अभियान के हिस्से के रूप में, परियोजना में आयातित वस्तुओं में लगातार कमी की जा रही है तथा वर्तमान में परियोजना लागत की यह केवल 9.55 प्रतिशत है।