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Saturday, September 13, 2025

‘सुशीला कार्की नहीं, नई पीढ़ी के नेता बने प्रधानमंत्री’, नेपाली जनता की मांग

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काठमांडू, 11 सितंबर। नेपाल की राजनीति में इन दिनों भारी उथल-पुथल मची हुई है। जनरेशन-जेड के युवाओं के विरोध प्रदर्शन और देश की अस्थिर स्थिति के बीच सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाने की अफवाहें जोर पकड़ रही हैं। पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की का नाम सामने आते ही स्थानीय लोगों में मिली-जुली प्रतिक्रियाएं उभर आई हैं। कोई उन्हें विवादास्पद बता रहा है, तो कोई नई पीढ़ी के नेताओं को मौका देने की बात कर रहा है। इस बीच, काठमांडू के मेयर और रैपर से राजनेता बने बालेंद्र शाह ने शांति की अपील की है। आइए, जानते हैं नेपाल राजनीतिक संकट की पूरी कहानी।

नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता ने आम लोगों को परेशान कर दिया है। सुशीला कार्की को अंतरिम पीएम बनाने का प्रस्ताव आते ही सड़कों पर बहस छिड़ गई है। एक स्थानीय नागरिक ने साफ कहा, “सुशीला कार्की पीएम नहीं बन सकतीं। वह पहले ही कई विवादों में घिरी रहीं हैं। लोगों को वह पसंद नहीं। हम चाहते हैं कि नई पीढ़ी का कोई युवा नेता सत्ता संभाले। हमारी पसंद बालेंद्र शाह जैसे चेहरे हैं।” यह आवाज अकेली नहीं है। कई लोग इसी सोच के साथ आगे बढ़ रहे हैं।

लोगों की राय: नई पीढ़ी को मौका दो

दूसरे नागरिक ने भी यही राय जाहिर की। उन्होंने कहा, “हमें सुशीला कार्की को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर नहीं देखना। बालेंद्र शाह या किसी युवा नेता को यह जिम्मेदारी मिलनी चाहिए। देश को नई ऊर्जा की जरूरत है।” नेपाल के युवा, खासकर जनरेशन जेड, सड़कों पर उतर आए हैं। वे पुरानी व्यवस्था से तंग आ चुके हैं और बदलाव की मांग कर रहे हैं। एक अन्य नेपाली ने भावुक होकर कहा, “हमारा देश संकट में है। व्यक्ति से ऊपर देश को रखना चाहिए। जो भी पीएम बने, फैसला नेपाली जनता के हित में हो। इससे देश की भलाई होगी।”

यह प्रतिक्रियाएं नेपाल की सड़कों से उठ रही हैं, जहां लोग नेपाल राजनीतिक संकट से जूझ रहे हैं। सुशीला कार्की का नाम आते ही पुराने विवाद फिर से ताजा हो गए हैं। लोग पूछ रहे हैं कि क्या यह सही कदम होगा? या फिर युवाओं को आगे लाने का समय आ गया है?

बालेंद्र शाह की अपील: शांति और धैर्य रखें

इन सबके बीच काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह ने युवाओं को संदेश दिया है। रैपर से राजनेता बने शाह ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा कि देश एक अभूतपूरी राजनीतिक दौर से गुजर रहा है। उन्होंने अंतरिम सरकार नेपाल के गठन का समर्थन किया। खास बात यह कि उन्होंने सुशीला कार्की को अंतरिम पीएम बनाने के प्रस्ताव का भी साथ दिया। शाह ने इसे युवाओं का परिपक्व और विचारशील फैसला बताया।

उन्होंने लिखा, “आपकी जागरूकता, विवेक और एकता का सम्मान।” शाह ने राजनीतिक दलों को चेतावनी दी कि जल्दबाजी न करें। उन्होंने कहा, “तुम्हारी ऊर्जा दीर्घकालिक बदलाव के लिए है, न कि अस्थायी व्यवस्था के लिए। चुनाव होंगे, धैर्य रखो।” यह अपील नेपाल युवा आंदोलन को शांत करने की कोशिश लगती है। बालेंद्र शाह की लोकप्रियता युवाओं में खासी है, और उनकी यह आवाज बदलाव की उम्मीद जगाती है।

नेपाल में यह संकट नया नहीं है। पहले भी कई बार सरकारें बदली हैं, लेकिन इस बार जनरेशन जेड विरोध ने रंग बदल दिया है। युवा सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं और अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं। सुशीला कार्की का प्रस्ताव स्वीकार होगा या नहीं, यह तो वक्त बताएगा। लेकिन साफ है कि नेपाल को स्थिरता की सख्त जरूरत है। अंतरिम सरकार का गठन नए चुनावों की राह प्रशस्त कर सकता है।

लोगों का कहना है कि देश के हित में जो भी फैसला हो, वह सभी के भले के लिए हो। बालेंद्र शाह जैसे युवा नेताओं की अपील से उम्मीद है कि शांति बनी रहेगी। नेपाल की जनता अब बदलाव की प्रतीक्षा में है। क्या सुशीला कार्की अंतरिम पीएम बनेंगी? या नई पीढ़ी सत्ता संभालेगी? यह सवाल हर नेपाली के मन में है।

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