–एनआरआई दूल्हों द्वारा छोड़ी गई लड़कियां भी मनाएंगी त्यौहार
–दूसरी महिलाओं की तरह करेंगे श्रृंगार, बनेंगे समाज का हिस्सा
–पीडि़तों ने समाज पर कसा तंज-पूछा-सूखी कलियों का रखवाला कौन?
–करीना फिल्लौर को ‘ मिस तीज’ के खिताब से नवाजा
(Khushboo Pandey)
नई दिल्ली, 12 अगस्त : एनआरआई दूल्हों के द्वारा छोड़ी गई लड़कियों की जिंदगी संवारने, उन्हें बाकी महिलाओं, लड़कियों की तरह जिंदगी जीने का पूरा हक दिलाने के लिए एक नई पहल शुरू हुई है। यह कदम कोई और नहीं बल्कि इन महिलाओं के हक की लड़ाई लड़ रहे संगठन… अब नहीं वेलफेयर सोसायटी, ने ही उठाया है। संगठन में खुद पीडि़त महिलाएं ही शामिल हैं। इन लोगों ने मिलकर पहली बार तीज महोत्सव का आयोजन किया, और आगे की दशा…दिशा तय करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया। समाज के तानों से आहत इन लड़कियों के लिए ऐसा मंच उपस्थित करवाया गया, जहां वह खिलखिला कर हंसी और जमकर गिद्दा भी डाले। साथ ही कुपित समाज को एक कड़ा संदेश देते हुए पूछा कि …सूखी कलियों का रखवाला कौन? एनआरआई दूल्हों के द्वारा छोड़ी गई लड़कि यों ने संजना-संवरना भी छोड़ दिया था।
वह समाज की मुख्य धारा से भी धीरे-धीरे हटने लगे थे। लेकिन, सालों से लड़ाई लडऩे वाली लुधियाना की सतविंदर कौर सत्ती ने इन पीडि़त महिलाओं को मानसिक सहारा दिया और उन्हें गीत-संगीत से सराबोर एक मंच पर इकट्ठा किया। सतविंदर कौर संगठन की अध्यक्ष भी हैं। उन्हीं की अगुवाई में यह नई प्रथा की शुरुआत हुई है। यही कारण है कि कार्यक्रम में एनआरआई दूल्हों के द्वारा छोड़ी गई महिलाओं और उनके बच्चों ने भी हिस्सा लिया।

खास बातचीत में उन्होंने बताया कि सोसायटी ने यह कार्यक्रम उनके मानसिक बदलाव लाने के लिए किया है। यही उसका मुख्य मकसद था। इन लड़कियों ने त्यौहार मनाना और सजना-संवरना (श्रृंगार) भी छोड़ दिया था। इसीलिए तीज के मौके पर सभी महिलाओं को प्रोत्साहित किया कि आप लोग त्यौहार मनाओ। धोखा हम लोगों ने नहीं बल्कि हमारे पतियों ने किया है। हमें आज भी अपने पतियों का इंतजार है। कार्यक्रम के दौरान एक प्रतियोगिता भी आयोजित हुई, जिसमें मिस करीना फिल्लौर को मिस तीज चुना गया। सभी लड़कियों ने मिलकर एन नई जिंदगी जीने का रास्ता चुना और गीत-संगीत के जरिये खूब कार्यक्रम का लुत्फ उठाया।
NRI दूल्हों से पीडि़त महिलाओं ने भाग लिया
कार्यक्रम के दौरान एनआरआई दूल्हों से पीडि़त महिलाओं में सुखराज कौर अमृतसर, सर्बजीत कौर गुरदासपुर, कुलबीर कौर एवं पलविंदर कौर लुधियाना, नीतू, निशा एवं करीना फिल्लौरसे, रिंकी बठिंडा, कुलविंदर कौर पटियाला, हरप्रीत कौर राजपुरा, हरविंदर कौर जगराओं, डलप्रीत कौर रायकोट, सीमा जगराओं, मंजीत कौर मोगा, हरशरण कौर जालंधर, आदि लड़कियों ने भाग लिया।
समाज के कुछ लोगों ने भी बढ़ाया लड़कियों का हौंसला
इस मौके पर लड़कियों का हौंसला बढ़ाने के लिए बाबा दीप सिंह सासोयटी के चेयरमैन सरदार कुलवंत सिंह सिद्वू एवं उनकी पत्नी रीत इंदर कौर सिद्धू, पंजाब पुलिस के डीआईजी लखविंदर सिंह जाखड़, फोक सिंगर मक्खन प्रीत, शमशेर सिंह मल्ली भी पहुंचे। ऐसे कार्यक्रम पंजाब के अलग-अलग शहरों, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर सहित उन सभी राज्यों में भी किए जाएंगे, जहां एनआरआई पीडि़त लड़कियां मुश्किल में जिंदगी काट रही हैं।
ठाना है, समाज का नजरिया बदलना है : सतविंदर कौर
वेलफेयर की अध्यक्ष सतविंदर कौर सत्ती चाहती हैं कि ये लडकियां अपने आप को समाज से कभी अलग न समझे। क्योंकि हम लोग शादी-विवाह एवं पार्टियों में जब भी जाते हैं तो लोग गहरी नजरों से देखते हैं। अगर हमने श्रृगांर किया हो तो लोग सोचते है कि हमारा पतियों से झगड़ा चल रहा है तो हम किसके लिए श्रृंगार कर रही हैं। हां, अगर हम बिना श्रृंगार के जाते हैं तो हमें लोग हेय दृष्टि से देखते हैं। लिहाजा हम सोसायटी का नजरियां चेंज करना चाहते हैं। ताकि सभी लड़कियां खुली हवा में सांस लें सकें और बाकी लोगों की तरह हर दुख सुख का हिस्सा बन सकें।
हाथों में चूडिय़ां और मेंहदी लगते ही रो पड़ी लड़कियां
एनआरआई दूल्हों के द्वारा छोड़ी गई हरविंदर कौर ने 20 साल बाद जब हाथों में चूडिय़ां डाली और मेंहदी लगाई तो उनके आंखों से आंसू निकल पड़े। हरविंदर 20 साल से पति के इंतजार में सुहागन का चोला ही नहीं पहना। यही हार लुधियाना की सतविंदर कौर का है, जिन्होंने 10 साल बाद हाथों में रंगीन चूडिय़ा डाली और मेहंदी लगाई। कुलविंदर कौर, मनजीत कौर ने का भी ऐसा ही हाल रहा। सुगाहन की निशानी माने जाते मेंहदी और चूड़ी डालने के बाद लड़कियों का एक ही सवाल था कि समाज क्या कहेगा…।
V.nice
Thanks sir