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Sunday, September 14, 2025

भारत, ब्रिटेन COVID-19 उपचार को बढ़ावा देने के लिए अश्वगंधा का करेंगे परीक्षण

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  • अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (आयुष मंत्रालय के तहत) और ब्रिटेन के लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए
  • ब्रिटेन के तीन शहरों – लीसेस्टर, बर्मिंघम और लंदन में 2,000 कोविड-19 रोगियों पर नैदानिक परीक्षण किए जाएंगे
  • लांग कोविड और पोस्ट-कोविड प्रबंधन में अश्वगंधा के सकारात्मक प्रभाव देखे गए
  • अश्वगंधा एक पारंपरिक भारतीय जड़ी बूटी है, जो ऊर्जा को बढ़ाती है, तनाव को कम करती है और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाती है

नई दिल्ली। पारंपरिक भारतीय चिकित्सा प्रणाली को मजबूती प्रदान करने के मकसद से आयुष मंत्रालय ने कोविड -19 संक्रमित रोगियों के उपचार में अश्वगंधा की प्रभावशीलता पर अध्ययन के लिए ब्रिटेन के लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन (एलएसएचटीएम) के साथ एक समझौता किया है। आयुष मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त निकाय अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) और एलएसएचटीएम ने हाल ही में ब्रिटेन के तीन शहरों – लीसेस्टर, बर्मिंघम और लंदन (साउथॉल और वेम्बली) में 2,000 लोगों पर अश्वगंधा के नैदानिक परीक्षण करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

‘अश्वगंधा’ (विथानिया सोम्निफेरा), जिसे आमतौर पर ‘इंडियन विंटर चेरी’ के नाम से जाना जाता है, एक पारंपरिक भारतीय जड़ी—बूटी है जो ऊर्जा को बढ़ाती है, तनाव को कम करती है और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाती है। यह यूके में आसानी से उपलब्ध और पोषण पूरक है और स्वास्थ्य सुरक्षा की दृष्टि से इसकी उपयोगिता भी प्रमाणित है। अश्वगंधा के सकारात्मक प्रभाव लॉन्ग कोविड के मामलों में देखे गए हैं, जो एक बहु-प्रणाली रोग है और जिसके प्रभावी उपचार या प्रबंधन का कोई सबूत नहीं है।

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अश्वगंधा पर परीक्षण का सफल होना एक बड़ी सफलता हो सकती है। इससे भारत की पारंपरिक औषधीय प्रणाली को वैज्ञानिक वैधता हासिल हो सकती है। विभिन्न बीमारियों में इसके लाभों को समझने के लिए अश्वगंधा पर कई अध्ययन किए गए हैं लेकिन यह पहली बार है जब आयुष मंत्रालय ने कोविड -19 रोगियों पर इसकी प्रभावशीलता की जांच के लिए किसी विदेशी संस्थान के साथ सहयोग किया है। एआईआईए के निदेशक और परियोजना में सह-अन्वेषक डॉ तनुजा मनोज नेसारी के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय परियोजनाओं के कोआर्डिनेटर डॉ राजगोपालन के अनुसार 2000 प्रतिभागियों को चुना गया है। एलएसएचटीएम के डॉ संजय किनरा अध्ययन के प्रमुख अन्वेषक हैं।

डॉ नेसारी ने बताया— “तीन महीनों के लिए, 1,000 प्रतिभागियों के एक समूह को अश्वगंधा (एजी) की गोलियां दी जाएंगी जबकि 1,000 प्रतिभागियों के एक दूसरे समूह को एक प्लेसबो दिया जाएगा, जो दिखने और स्वाद में एजी से अलग नहीं है। इस डबल-ब्लाइंड ट्रायल में रोगियों और डॉक्टरों दोनों में से किसी को इस समूह के उपचार के बारे में जानकारी नहीं होगी।” प्रतिभागियों को दिन में दो बार 500 मिलीग्राम की गोलियां लेनी होंगी। इसके बाद प्रतिभागियों द्वारा जीवन में बदलाव को लेकर दी गई रिपोर्ट, मसलन, दैनिक जीवन की गतिविधियों में हानि, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य लक्षण, पूरक उपयोग और प्रतिकूल घटनाओं आदि का मासिक अध्ययन किया जाएगा।

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नेसारी ने कहा कि एमओयू पर हस्ताक्षर करने के लिए राजनयिक और नियामक दोनों चैनलों के माध्यम से लगभग 16 महीनों में 100 से अधिक बैठकें हुईं। उन्होंने कहा कि अध्ययन को मेडिसिन एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी एजेंसी (एमएचआरए) द्वारा अनुमोदित किया गया है और डब्ल्यूएचओ-जीएमपी द्वारा प्रमाणित किया गया है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त जीसीपी (गुड क्लिनिकल प्रैक्टिस) दिशानिर्देशों के अनुसार इसका संचालन और निगरानी की जा रही है।

हाल ही में, भारत में मनुष्यों में अश्वगंधा के कई परीक्षणों ने चिंता और तनाव को कम करने, मांसपेशियों की ताकत में सुधार करने और पुरानी स्थितियों के इलाज वाले रोगियों में थकान के लक्षणों को कम करने में इसकी प्रभावकारिता को महसूस किया गया है। यह नॉन—रेस्टोरेटिव नींद के इलाज में भी प्रभावकारी साबित हुई है, जो पुरानी थकान की वजह से होती है। इसके लिए वर्तमान में परीक्षण भी चल रहे हैं। विट्रो और जानवरों में इसके औषधीय और इम्यूनोमॉड्यूलेटरी प्रभावों पर पर्याप्त साहित्य के साथ, अध्ययन से पता चलता है कि अश्वगंधा कोविड -19 के दीर्घकालिक लक्षणों को कम करने के लिए एक संभावित चिकित्सीय विकल्प है।

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परीक्षण की सफलता के बाद, अश्वगंधा, संक्रमण को रोकने के लिए एक प्रमाणित औषधीय उपचार के रूप में स्थापित होगी और दुनिया भर के वैज्ञानिक समुदाय द्वारा मान्यता प्राप्त भी होगी। वैक्सीन के सफल विकास के बावजूद, COVID-19 ब्रिटेन और विश्व स्तर पर स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा बना हुआ है। यूके में जहां अश्वगंधा पर नैदानिक परीक्षण होने जा रहे हैं, 15% से अधिक वयस्क और विश्व स्तर पर 10% से अधिक लोग Sars-Cov-2 वायरस से संक्रमित हैं।

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