30.1 C
New Delhi
Monday, September 15, 2025

ट्रंप का ‘नाटो’ देशों को ओपन लेटर, रूस से तेल खरीद पर जताई नाराजगी

Join whatsapp channel Join Now
Join Telegram Group Join Now

वॉशिंगटन, 13 सितंबर। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने शनिवार को सभी नाटो देशों को एक खुला पत्र लिखा, जिसमें रूस के खिलाफ भारी आर्थिक प्रतिबंध लगाने की बात कही है। यह पत्र रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच आया है, जहां ट्रंप ने नाटो सदस्यों से एकजुट होकर रूस से तेल खरीद बंद करने की अपील की है। ट्रंप का कहना है कि अगर नाटो देश ऐसा नहीं करेंगे, तो रूस पर दबाव कम हो जाएगा और युद्ध लंबा खिंचेगा।

ट्रंप ने पत्र में साफ कहा है कि ये प्रतिबंध तभी लगेंगे, जब सभी नाटो देश रूस से तेल आयात एक साथ रोक दें। उन्होंने कुछ नाटो सदस्यों की आलोचना की, जो अभी भी रूस से तेल खरीद रहे हैं। ट्रंप का मानना है कि इससे नाटो की ताकत कम हो रही है। “यह चौंकाने वाला है कि कुछ सहयोगी रूस से तेल ले रहे हैं, जो हमारी एकजुटता को कमजोर कर रहा है,” ट्रंप ने लिखा। यह पत्र रूस पर आर्थिक प्रतिबंध और नाटो की एकता जैसे मुद्दों पर वैश्विक ध्यान खींच रहा है।

चीन पर टैरिफ का सुझाव: रूस को कमजोर करने की रणनीति

ट्रंप ने पत्र में चीन को भी निशाने पर लिया। उन्होंने सुझाव दिया कि नाटो देशों को चीन पर 50 से 100 फीसदी तक टैरिफ लगाने चाहिए। खासतौर पर उन चीजों पर, जो चीन रूस से खरीदता है, जैसे पेट्रोलियम उत्पाद। ट्रंप का कहना है कि चीन का रूस पर प्रभाव बहुत ज्यादा है, और ये टैरिफ उस प्रभाव को तोड़ सकते हैं। “ये टैरिफ रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म होने के बाद हटा लिए जा सकते हैं,” उन्होंने लिखा।

यह सुझाव चीन-रूस संबंध को निशाना बनाता है। ट्रंप मानते हैं कि चीन रूस को आर्थिक मदद देकर युद्ध को लंबा खींच रहा है। अगर नाटो और सहयोगी देश एक साथ कदम उठाएं, तो रूस को झुकना पड़ेगा। लेकिन सवाल यह है कि क्या यूरोपीय देश, जो ऊर्जा के लिए रूस पर निर्भर हैं, इस पर सहमत होंगे? ट्रंप का यह पत्र वैश्विक ऊर्जा संकट और तेल कीमतें पर असर डाल सकता है।

युद्ध को बाइडन-जेलेंस्की का बताया, भारी जानमाल का जिक्र

ट्रंप ने पत्र में साफ कहा कि यह उनका युद्ध नहीं है। “अगर मैं राष्ट्रपति होता, तो यह युद्ध कभी शुरू ही न होता,” उन्होंने लिखा। उन्होंने इसे जो बाइडन और वोलोडिमिर जेलेंस्की का युद्ध बताया। ट्रंप ने दावा किया कि पिछले हफ्ते ही इस युद्ध में 7,118 लोग मारे गए हैं। यह आंकड़ा युद्ध की भयावहता को दिखाता है।

ट्रंप ने नाटो देशों से अपील की कि सब मिलकर रूस से तेल खरीद बंद करें। “सभी एक साथ कदम उठाएं, ताकि रूस-चीन का आर्थिक गठजोड़ा टूटे,” उन्होंने कहा। उनका उद्देश्य युद्ध जल्द खत्म करना और लाखों जिंदगियां बचाना है। अगर ऐसा न हुआ, तो ट्रंप ने चेतावनी दी कि इससे अमेरिका का समय, पैसा और ऊर्जा बर्बाद होगी। यह बयान रूस-यूक्रेन संघर्ष में अमेरिका की भूमिका पर सवाल खड़े करता है।

नाटो की एकजुटता पर सवाल, वैश्विक प्रभाव की चिंता

ट्रंप का यह पत्र ऐसे समय में आया है, जब रूस-यूक्रेन युद्ध ने दुनिया की अर्थव्यवस्था को हिला दिया है। तेल और गैस की कीमतें आसमान छू रही हैं, और नाटो देशों में ऊर्जा निर्भरता को लेकर बहस तेज है। कुछ यूरोपीय देश अभी भी रूस से ऊर्जा ले रहे हैं, जो ट्रंप को पसंद नहीं। लेकिन क्या सभी नाटो सदस्य इस अपील पर सहमत होंगे? यह साफ नहीं है।

विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप का यह कदम नाटो एकता को मजबूत करने की कोशिश है, लेकिन व्यावहारिक चुनौतियां बहुत हैं। चीन पर टैरिफ लगाने से वैश्विक व्यापार प्रभावित हो सकता है। फिर भी, ट्रंप का पत्र रूस पर दबाव बढ़ाने का एक नया तरीका लगता है। दुनिया की नजरें अब नाटो की अगली बैठक पर हैं, जहां इस मुद्दे पर चर्चा हो सकती है।

युद्ध खत्म करने के लिए ट्रंप की यह अपील सराहनीय है, लेकिन क्या यह कामयाब होगी? समय बताएगा। फिलहाल, यह पत्र अंतरराष्ट्रीय राजनीति में नया मोड़ ला रहा है।

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Women Express पर. Hindi News और India News in Hindi  से जुड़े अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook पर ज्वॉइन करें, Twitter पर फॉलो करें और Youtube Channel सब्सक्राइब करे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Related Articles

Delhi epaper

Prayagraj epaper

Kurukshetra epaper

Latest Articles