नई लाइन बिछाने, दोहरीकरण, रेल लाइनों को बदलने का काम खूब किया
—वर्ष 2019-2020 के दौरान 1,46,507करोड़ रूपए के पूंजीगत व्यय का उपयोग
—562 किमी रेल लाइन निर्माण, 15 महत्वपूर्ण परियोजनाएं पूरी की
—5782 किमी लंबे रेल मार्ग का किया विद्युतीकरण
खुशबू पाण्डेय
नई दिल्ली/ टीम डिजिटल : भारतीय रेल ने वर्ष 2019-2020 में बुनियादी ढांचे के विकास पर नए सिरे से जबरदस्त जोर दिया है। इस बीच 1,46,507करोड़ रूपए के पूंजीगत व्यय का उपयोग किया। जिसमें करीब 562 किमी रेल लाइन का निर्माण किया। साथ ही 15 महत्वपूर्ण परियोजनाएं पूरी की और कुछ परियोजनाअेां को शुरू किया। इसके अलावा करीब 5782 किमी लंबे रेल मार्ग का विद्युतीकरण किया। इस दौरान नई लाइन, रेल लाइनों का दोहरीकरण, रेल लाइनों को बदलने का काम (गेज परिर्वतन) भी खूब किया गया। भारतीय रेलवे (Indian Railways) ने बुनियादी ढाँचे के विकास पर हुए क्रांतिकारी बदलाव कुशल प्रबंधन और बेहतरीन टीम वर्क से संभव हो पाया है।
जानकारी के मुताबिक वर्ष 2019-2020 के संशोधित बजट में पूंजीगत व्यय के लिए 1,61,351, करोड़ रूपए का आवंटनकिया गया था जो 2018-2019 के मुकाबले 20.1 प्रतिशतअधिक था। मार्च 2020 के अंत तक इसमें से 1,46,507 करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय का उपयोग किया गया , जो कुल आवंटन का 90.8प्रतिशतहै। बजट-2019 में 2030 तक 50 लाख करोड़ रुपये के प्रस्तावित निवेश के साथ, भारतीय रेल को देश का विकास इंजन बनाने कारोड मैप तैयार किया गया है। वित्त वर्ष 2019-20 में, कुल 5,782 किमी मार्ग पर रेलवे विद्युतीकरण कार्य पूरा कर लिया गया, जिसमें से 31 मार्च 2020 तक 4,378 किमी मार्ग पर इसे चालू किया जा चुका है।
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नई लाइन बनाने, लाइनों के दोहरीकरण और उनके गेज परिवर्तन तथा उन्हें शुरु करने का काम 2019-20 में बढ़कर 2,226 किलोमीटर हो गया , जो कि 2009-14 (1,520 किमी / वर्ष) के दौरान प्राप्त औसत वार्षिक कमीशनिंग के संदर्भ में लगभग 50 प्रतिशत अधिक है। 2019-20 के दौरान, रेलवे द्वारा नई लाइन, गेज परिवर्तन और दोहरीकरण परियोजनाओं पर 39,836 करोड़ रुपये खर्च किये गए जो कि भारतीय रेल के इतिहास में अब तक का सबसे अधिक व्यय है।
1458 किमी रेल लाइन का दोहरीकरण
वित्त वर्ष 2019-20 में अकेले रेल लाइन दोहरीकरण परियोजनाओं पर रेलवे द्वारा 22,689 करोड़ रुपये खर्च किए गए जो 2009-14 (2,462 करोड़ रुपये) के दौरान किए गए औसत वार्षिक खर्च से 9 गुना अधिक है। वित्त वर्ष 2019-20 की अवधि में कुल 1458 किलोमीटर रेल लाइन का दोहरीकरण और परिचालन शुरु कर दिया गया जो कि 2009-14 के सालाना औसत(375 किमी/प्रति वर्ष) से लगभग चार गुना अधिक है।
15 अत्याधिक महत्वपूर्ण परियोजनाओं का पूरा किया
भारतीय रेलवे ने महत्व और प्रगति कार्यों के आधार पर रेललाइनों के दोहरीकरण की अपनी 15 अत्याधिक महत्वपूर्ण परियोजनाओं को पूरा करने और उन्हें चालू करने को प्राथमिकता दी। इसपर ध्यान केंद्रित करते हुए उसने लगभग 562 किलोमीटर लंबी 15 महत्वपूर्ण परियोजनाओं का काम5,622 करोड़ रुपये की लागत से पूरा किया और शुरु किया। इनमें से 13 को वित्त वर्ष 2019-20 में शुरु कर दिया गया था।
पूर्वोत्तर क्षेत्र पर रेल मंत्रालय का रहा विशेष ध्यान
वित्त वर्ष 2019-20 में त्रिपुरा में 112 किलोमीटर लंबी नई रेल लाइन राष्ट्रीय परियोजना “अगरतला-सबरूप ” को पूरा और चालू किया गया। इसकेे अलावा लुमडिंग से होजई तक 45 किलोमीटर लंबी दोहरीकरण परियोजना को पूरा और चालू किया गया। असम में लुंबडिंग से होजई तक 44.92 किमी लंबी सुपर क्रिटिकल दोहरीकरण परियोजना।
वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान चालू हुई परियोजनाएं
वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान 1273 किलोमीटर लंबी कुल 28 महत्वपूर्ण परियोजनाएं पूरी और चालू की गईं। इसमें राजस्थान में 58.5 किमी लंबी थैयात हमीरा –सानू नई रेल लाइन परियोजना। बिहार मेंछपराग्रामीण से खइराली तक 10.7 किमी लंबी बाई पास परियोजना। बिहार मेंइस्लामपुर-नतेशर सहित 67.07 किमी लंबी राजगीर-हिसुआ-तिलैया नई रेल लाइन परियोजना।
बिहार में हाजीपुर से रामदयालु नगर तक 47.72किमी लंबी रेल लाइनदोहरीकरण की अत्याधिक महत्वपूर्ण परियोजना। हरियाणा-राजस्थान में 320.04 किलोमीटर लंबी जयपुर-रिंगस-सीकर-चूरू और सीकर-लोहारू तक 320.04 किमी लंबी रेल लाइन गेज परिवर्तन परियोजना।
नई दिल्ली से तिलक ब्रिज तक छठी लाइन
दिल्ली में नई दिल्ली से तिलक ब्रिज तक 7 किमी लंबी रेल लाइन(5 वीं और छठी लाइन) दोहरीकरण की लंबित पड़ी अत्याधिक महत्वपूर्ण परियोजना। हरियाणा और दिल्ली में तुगलकाबाद-पलवल नाम से चौथी लाइन के दोहरीकरण की34 किमी लंबी सुपर क्रिटिकल परियोजना। आंध्रप्रदेश में कृष्णापत्तनम बंदरगाह को जोड़ने वाली 113 किमी लंबी नई रेल लाइन परियोजना। उत्तर प्रदेश में मेरठ और मुजफ्फरनगर के बीच 55.47 किमी लंबी रेल लाइन का दोहरीकरण। मध्यप्रदेश में कटनी यार्ड को बाइपास कर निकलने वाली 2 किमी लंबी जुखेरी बाईपास कॉर्ड लाइन। छत्तीसगढ़ में खरसिया-कोरीछापर की 42.57 किमी लंबी नई कोल लाइन परियोजना। उत्तर प्रदेश में 8 किमी लंबी बिल्ली-चोपन सुपर क्रिटिकल रेल लाइन दोहरीकरण परियोजना।
बिहार—बंगाल पर विशेष फोकस किया
बिहार में बाढ़ स्थित एनटीपीसी के थर्मल पावर संयंत्र तक कोयले की ढुलाई के लिएबख्तियारपुर-बाढ़ नाम से19 किमी लंबी कोयला रेल लाइन परियोजना। बिहार में पीरापेंती से भागलपुर तक 51.07किमी लंबी रेल लाइन दोहरीकरण की परियोजन। पश्चिम बंगाल में 7.25 किमी लंबी अंदुल-बल्तिकुरी रेल लाइन दोहरीकरण की अत्याधिक महत्वपूर्ण परियोजना। पश्चिम बंगाल में मोहिशिला से कालीपहाड़ी तक 2.86किमी लंबी रेल लाइन दोहरीकरण की अत्याधिक महत्वूपर्ण परियोजना एवं पश्चिम बंगाल में 2.62 किमी लंबी कंकनारा -नईहाटी चौथी लाइन परियोजना। पश्चिम बंगाल में सियालदाह के उप नगरीय इलाके के न्यू अलीपुर माइल 5बी के नाम से 1.67 किमी लंबी रेल लाइन के दोहरीकरण की परियोजना।
राजस्थान—महाराष्ट्र् —मध्यप्रदेश पर विशेष जोर
राजस्थान के आबू रोड से स्वरूपगंज के बीच 26 किमी लंबी रेल लाइन दोहरीकरण परियोजना एवं राजस्थान में आबू रेाड से सरोतरा तक 23.55 किमी लंबी रेल लाइन दोहरीकरण परियेाजना।
राजस्थान में 60.37 किमी लंबी रेल लाइन दोहरीकरण परियेाजना। इसी प्रकार महाराष्ट्र में दाउंद-मनमाड रेल मार्ग पर 1.025 किमी लंबी बाईपास संपर्क की काफी दिनों से लंबित पड़ी परियोजना। महाराष्ट्र में 81.43 किमी लंबी मुडखेड-परभणी रेल लाइन दोहरकरण परियोजना। एवं मध्यप्रदेश में 7 किमी लंबी सोनताली-भगरतावा परियोजना मध्यप्रदेश में 25 किमी लंबी इटारसी-बुधनी सुपर क्रिटिकल रेल लाइन दोहरीकरण परियोजना। आंध्रप्रदेश में कलुरू-गुंटकल नाम से 41 किमी लंबी सुपर क्रिटिकल लाइन दोहरीकरण परियोजना।