नई दिल्ली /खुशबू पाण्डेय: दिल्ली के तीनों नगर निगम फिर से अब एक हो जाएंगे। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दिल्ली के तीनों नगर निगमों के एकीकरण से संबंधित विधेयक को आज मंजूरी दे दी। अब इस विधेयक को मौजूदा सत्र में अगले सप्ताह ही संसद में पेश किया जाएगा। इसके बाद राजधानी के दक्षिणी, उत्तरी और पूर्वी नगर निगमों का विजय कर पहले की तरह एक ही नगर निगम होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को पारित किया गया। सरकार के सूत्रों ने बताया कि मंत्रिमंडल ने दिल्ली नगर निगम संशोधन अधिनियम 2022 को मंजूरी दे दी है। वर्तमान में तीनों नगर निगमों में भारतीय जनता पार्टी की सत्ता है।
सूत्रों के मुताबिक एकीकृत नगर निगम पूरी तरह से सम्पन्न निकाय होगा। इसमें वित्तीय संसाधनों का सम विभाजन होगा, जिससे तीन नगर निगमों के कामकाज को लेकर व्यय की देनदारियां कम होंगी। साथ ही राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में नगर निकाय की सेवाएं बेहतर होंगी। इसके तहत 1957 के मूल अधिनियम में भी कुछ और संशोधनों को मंजूरी दी गई है, ताकि वृहद पारर्दिशता, बेहतर प्रशासन और दिल्ली के लोगों के लिये प्रभावी सेवाओं को लेकर ठोस आपूॢत ढांचा सुनिश्चित किया जा सके। इस संशोधन के माध्यम से वर्तमान तीन नगर निगमों को एक एकीकृत नगर निगम में समाहित किया जायेगा।
-प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने एकीकरण विधेयक पर लगाई मुहर
-संसद में जल्द पेश किया जाएगा नगर निगम संशोधन विधेयक
-एकीकृत नगर निगम पूरी तरह से सम्पन्न निकाय होगा : सूत्र
-वित्तीय संसाधनों का सम विभाजन होगा, व्यय की देनदारियां कम होंगी
-2011-12 में शीला दीक्षित सरकार ने बनाए थे तीन नगर निगम
सूत्रों के मुताबिक तीनों नगर निगमों को एकीकरण करने के पीछे केंद्र सरकार ने तर्क दिया है कि वर्ष 2011 में दिल्ली नगर निगम को तीन हिस्सों में बांटने के बाद से उनका आर्थिक संकट बढ़ता जा रहा था। कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिल पा रहा था। नगर निगमों की जरूरतें ज्यादा थीं, जबकि संसाधन कम थे। सेवानिवृत्त कर्मियों के लिए पेंशन जैसी कोई सुविधाएं नहीं दी जा पा रही थीं। आम लोग जरूरी बुनियादी सुविधाओं के लिए परेशान हो रहे थे।
लिहाजा यह तय किया गया है कि सरकार संसद के बजट सत्र के दौरान दिल्ली म्यूनिसिपल कारपोरेशन (एमेंडमेंट) 2022 लाएगी। इस बिल में दिल्ली के लिए एक एकीकृत नगर निकाय के गठन का प्रस्ताव है। वर्ष 2011 में एमसीडी को तीन हिस्सों में बांटा गया था। एमसीडी को तीन हिस्सों में बांटने का तरीका सही ना होने की वजह से हर नगर निगम अपनी क्षमता के मुताबिक राजस्व नहीं जुटा पा रहा था। इस वजह से तीनों नगर निगमों में जरूरत के मुकाबले संसाधनों की काफी ज्यादा कमी थी। सूत्रों के मुताबिक वित्तीय संकट की वजह से राजधानी दिल्ली में नागरिक सुविधाएं सही तरीके से आम लोगों तक नहीं पहुंच पा रही थीं।
केंद्र सरकार ने यह कदम दिल्ली नगर निगम चुनाव से ठीक पहले उठाया है। इसको लेकर दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी और सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के बीच टकराव बढ़ गया है।
शीला दीक्षित के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के दौरान हुआ था बंटवारा
बता दें कि दिल्ली नगर निगम के चुनाव अप्रैल में होने थे और राज्य चुनाव आयोग ने इसकी तिथियों की घोषणा करने के लिए तैयारी भी कर ली थी। बाद मेें राज्य चुनाव आयोग ने जानकारी दी कि केंद्र सरकार की ओर से तीनों निगमों के एकीकरण के संबंध में जानकारी मिली है इसलिए अभी चुनाव की तारीख की घोषणा नहीं की जा रही है।
गौरतलब है कि दिल्ली में तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के दौरान 2011- 2012 में दिल्ली नगर निगम को तीन निगमों में विभाजित कर दक्षिणी दिल्ली नगर निगम, उत्तरी दिल्ली नगर निगम एवं पूर्वी दिल्ली नगर निगम का गठन किया गया था। बाद में संसद ने राजधानी में तीन नगर निगम बनाने से संबंधित विधेयक को 2012 में ही पारित किया था।