–गुरुद्वारा कमेटी की नीतियों एवं नेताओं के रवैये से थे आहत, उठा चुके हैं सवाल
–मंजीत सिंह जीके पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर कुर्सी से उतारा था
–शंटी का अगला निशाना कौन होगा, जल्द होगा खुलासा
नई दिल्ली/ टीम डिजिटल : दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के आम चुनावों से ठीक पहले आज सत्ताधारी शिरोमणि अकाली दल (बादल) को एक बड़ा झटका लगा है। पार्टी के वरिष्ठ नेता गुरमीत सिंह शंटी ने मंगलवार केा पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। शंटी पार्टी की नीतियों को लेकर कई दिनों से नाराज चल रहे थे, यही कारण है कि उन्होंने पार्टी छोडऩे का फैसला कर दिया। गुरमीत सिंह शंटी ने खुद पार्टी कार्यालय जाकर अपना इस्तीफा सौंपा। हालंाकि शंटी 2017 का दिल्ली कमेटी चुनाव आजाद उम्मीदवार के तौर पर जीते थे, उसके बाद कमेटी के अध्यक्ष मंजीत सिंह जीके पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया था।
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जीके के द्वारा अकाली दल छोडऩे के बाद अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने दिल्ली विधानसभा चुनाव से एैन पहले शंटी को पार्टी में दाखिल कराया थ्रा। उस समय यह माना जा रहा था कि शंटी को मोतीनगर विधानसभा सीट से अकाली दल अपना उम्मीदवार बनाएगा। लेकिन भाजपा ने इस बार अकाली दल को उसके कोटे की चार सीटें भी नहीं दी। जिस वजह से शंटी को चुनाव लडऩे का संकट पैदा हो गया। शंटी को आम तौर पर जुझारू नेता के तौर पर जाना जाता है। साथ ही वह किसी मसले को लेकर हमेशा से चर्चा में रहते आए हैं।
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सूत्रों के मुताबिक 2013 कमेटी चुनाव से पहले कमेटी का महासचिव रहते हुए गुरमीत सिंह शंटी ने अपने ही प्रधान परमजीत सिंह सरना पर बाला साहिब अस्पताल को लेकर गंभीर आरोप लगाए थे। शंटी ने यह भी उस समय दावा किया था सरना अस्पताल की डील उनको नहीं दिखा रहे हैं। शंटी के बोलने को ही अकाली दल ने मुददा बनाया था और उस समय भी शंटी अकाली दल में शामिल हो गए थे। बताया जाता था कि उस समय सुखबीर बादल ने शंटी को कमेटी की सत्ता मिलने पर कमेटी का महासचिव बनाने का वायदा भी किया था। शंटी की बगावत के कारण ही कहीं न कहीं अकाली दल सत्ता प्राप्त करने में कामयाब रहा था। लेकिन चार साल तक अकाली दल का कमेटी सदस्य रहने के बावजूद शंटी ने कोई भी चेयरमैनी नहीं ली।
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साथ ही 2017 में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव जीता था। उसके बाद तत्कालीन अध्यक्ष मंजीत सिंह जीके के खिलाफ भ्रष्टाचार के कथित आरोपों में अदालत में जाकर एफआईआर भी दर्ज करवाई थी। अब देखना दिलचस्प होगा कि शंटी का अगला निशाना कौन होगा। क्योंकि शंटी की आदत के अनुसार वह कुर्सी पर बैठे ताकतवर आदमी से उलझ कर उसे घर बिठाने के लिए जाने जाते हैं।
सरना और जीके इसके सबूत भी हैं। कमेटी चुनाव के ऐन पहले शंटी के द्वारा पार्टी छोडऩा कई सवाल पैदा कर रहा है। हालांकि, पिछले दो महीने से शंटी ने कमेटी अध्यक्ष मनजिंदर ङ्क्षसह सिरसा एवं हरमीत सिंह कालका को कई पत्र लिखकर लंगर ऑन व्हील से लेकर कमेटी सदस्यों का फंड रोकने तक पर सवाल उठाए हैं। लिहाजा, अब शंटी का निशाना कौन होगा,आने वाले समय में इसका खुलासा हो सकता है।