31 C
New Delhi
Saturday, July 27, 2024

समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता की चिंताएं दूर करने को बनेगी कमेटी

नई दिल्ली/ खुशबू पाण्डेय । केंद्र सरकार ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि वह कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित करेगी, जो समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता देने के मुद्दे को छुए बिना ऐसे जोड़ों की कुछ ‘वास्तविक मानवीय चिंताओं’ को दूर करने के प्रशासनिक उपाय तलाशेगी। केंद्र ने यह दलील न्यायालय द्वारा 27 अप्रैल को पूछे गये एक सवाल के जवाब में दी। न्यायालय ने केंद्र से पूछा था कि क्या समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता दिये बगैर ऐसे जोड़ों को बैंक में संयुक्त खाता खुलवाने, भविष्य निधि में जीवन साथी नामित करने, ग्रेच्युटी और पेंशन जैसी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिया जा सकता है।

— कानूनी मान्यता दिये बगैर जोड़ों को कैसे मिलेगा सरकारी लाभ
—बैंक में संयुक्त खाता खुलवाने, भविष्य निधि में जीवन साथी नामित करने
— ग्रेच्युटी और पेंशन आदि का मामले में होगा पेंच

केंद्र सरकार की ओर से न्यायालय में पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ से कहा कि इस तरह के जोड़ों की कुछ वास्तविक मानवीय चिंताओं और उनका प्रशासनिक स्तर से समाधान किये जा सकने के बारे में पिछली सुनवाई में चर्चा हुई थी। मेहता ने पीठ से कहा, मैंने निर्देश लिये हैं और सरकार सकारात्मक है। हमने जो कुछ भी फैसला किया है, वह बेशक आपकी मंजूरी पर निर्भर करेगा। हालांकि, एक से अधिक मंत्रालयों में समन्वय बनाने की जरूरत पड़ेगी। इसलिए, कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित की जाएगी। पीठ के सदस्यों में न्यायमूर्ति एस. के. कौल, न्यायमूर्ति एस. आर. भट, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा भी शामिल हैं। शीर्ष न्यायालय समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग करने वाली याचिकाओं के एक समूह पर सातवें दिन सुनवाई कर रहा था। न्यायालय में जब याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने दलील दी कि देश भर में युवा समलैंगिक जोड़े विवाह करना चाहते हैं, तब पीठ ने कहा, ‘‘हम इस पर नहीं जाएंगे कि समाज के एक बड़े हिस्से को या समाज के एक छोटे हिस्से को क्या स्वीकार्य है, बल्कि संविधान के अनुसार विचार करेंगे।” सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि याचिकाकर्ता खुद के द्वारा सामना की जा रही समस्याओं के बारे में या अपने सुझाव उन्हें दे सकते हैं और समिति उन पर गौर करेगी तथा कानून के दायरे में उसका समाधान करने के लिए यथासंभव प्रयास करेगी। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता अटार्नी जनरल को या सॉलिसिटर जनरल को अपने सुझाव दे सकते हैं। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि दोनों पक्षों की ओर से पेश हुए वकील एक बैठक कर सकते हैं, जिसमें इन मुद्दों पर चर्चा की जा सकती है। मेहता ने कहा, उनका (दूसरे पक्ष का) स्वागत है। लेकिन केवल यह समस्या होगी कि हमारे पास पहले से तैयार समाधान नहीं हो सकता है। हमारा मतलब वकीलों से है।  इस पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा, हम समझ रहे हैं क्योंकि आपने कहा है कि सरकार कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली एक समिति गठित करेगी। याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि बैठक करना और सुझाव देना समस्या नहीं है, बल्कि विषय में महत्वपूर्ण मुद्दे शामिल हैं और जो कुछ सुझाया जा रहा है वह सुझावों के आधार पर एक समिति द्वारा की जाने वाली महज एक प्रशासनिक कवायद होगी। सिंघवी ने कहा, पूर्वाग्रह के बगैर हम निश्चित तौर पर (सुझाव) देंगे, लेकिन व्यक्तिगत रूप से मुझे नहीं लगता कि उनके (सरकार के) पास कोई ठोस समाधान होगा। बेहतर होगा कि न्यायालय विषय पर फैसला देने के लिए आगे बढ़े। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता इस बारे में सुझाव दे सकते हैं कि समलैंगिक जोड़े किन अड़चनों का सामना कर रहे हैं।

99 प्रतिशत समलैंगिक चाहते हैं कि वे वि़वाह करें 

न्यायालय में दलीलें पेश किये जाने के दौरान कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सौरभ कृपाल ने कहा कि उन्होंने विभिन्न संगोष्ठियों में समलैंगिक लोगों से बात की और उनमें से 99 प्रतिशत ने कहा कि वे केवल यह चाहते हैं कि वे वि़वाह करें। कुछ याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहीं वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी ने भी कहा कि उन्होंने विभिन्न कार्यक्रमों में समलैंगिकों से बात की और पाया कि युवा समलैंगिक जोड़े विवाह करना चाहते हैं। सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि याचिकाकर्ता विवाह करने का अधिकार चाहते हैं और न्यायालय भी इस तथ्य के प्रति सचेत है, लेकिन सिर्फ विवाह के अधिकार की घोषणा कर देना मात्र खुद में पर्यापत नहीं होगा, जबतक कि इसे सांविधिक प्रावधान द्वारा लागू नहीं किया जाता। दलीलें नौ मई को भी जारी रहेंगी।

latest news

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Related Articles

epaper

Latest Articles