(करन सिंह)
भारत में मोटे अनाज खाने की पुरानी परम्परा रही है। मोटे अनाज अत्यधिक फाइवर युक्त होते हैं, जो मानव जीवन शैली से जुड़ी बीमारियों को कम करने में लाभदायक होते हैे। क्योंकि इनमें विटामिन, एमीनोएसिड, खनिज पदार्थ, एन्टीऑक्सीडेंट गुण विद्यमान रहते हैं और इन्हीं गुणों के कारण मोटे अनाज अच्छी सेहत का खजाना बन चुके हैं। प्राचीन समय में मोटे अनाज गरीबों का आहार माने जाते थे, वही आज यह अनाज विश्व भर में लोंगों की पसन्द बन चुका है। चूंकि मोटे अनाज में पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा होती है। इसलिए इनको सुपरफूड भी कहा जाता है।
इसमें प्रचूर मात्रा में विटामिन, खनिज, सूक्ष्म पोषक तत्व, पादप रसायन और आहार फाइबर के उच्च घनत्व के कारण मोटे अनाजों को बच्चों में कुपोषण, रोगों से लड़ने के लिए और स्तनपान कराने वाली महिलाओं की सेहत पर सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए प्रयोग किया जाता है।
मोटे अनाजों में प्रोबायोटिक अधिक मात्रा में पाये जाते हैं, जो हमारी आन्तरिक ऑत की वातावरण को बनाये रखने में, कब्ज से बचाने में, कोलन को हाइड्रेट करने में और उच्च फाईबर स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में सहायक है।
मोटे अनाज में मधुमेह विरोधी गुण पाया जाता है। क्योंकि इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है। इसलिए मधुमेह के खतरे को कम करने में मदद करता है।
सभी मोटे अनाज फाइबर से भरपूर होते हैं, इसलिए ये आंत में भोजन के पारगमन समय को बढ़ाता है और शरीर में आंत रोग सम्बंधित सूजन कब्ज अतिरिक्त गैस और ऐंठन जैसी समस्याओं को दूर करने में सहायक है।
मोटे अनाज में नियासिन पाया जाता है। जो कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। जिससे रक्तचाप नियंत्रित रहता है।
इनमें कम क्रॉस लिक्ंड प्रोलामाइन होते हैं, जो पाचन शक्ति को और अतिरिक्त रूप से बढ़ाते हैं। यह गुर्दे, यकृत और प्रतिरक्षा प्रणाली के स्वास्थ्य को अनुकूलित करने में मदद करते हैं। मोटे अनाज का प्रयोग हृदय रोग सम्बंधी प्रोटीन सी0-रिएक्टिव और ट्राइग्लिसराइड्स को कम करता है, जिससे हृदय सम्बंधी रोगों का खतरा कम हो जाता है।
मोटे अनाज में कैंसर-रोधी गुण होता है। इसके अर्क का कैंसर कोशिका रेखा पर एंटी-प्रोलिफिक प्रभाव होता है और डी0एन0ए0 क्षति को रोकता है।
मोटे अनाज एलर्जी प्रतिक्रियाओं को रोकने में फायदेमन्द होता है। मोटे अनाज एनीमिया नियंत्रण में सहायक होते हैं। फिंगर मिलेट प्राकृतिक आयरन का एक बहुत अच्छा स्त्रोत है।
पेट के अल्सर और पित्त की पथरी के इलाज में मोटे अनाज का सेवन लाभदायक होता है। मोटा अनाज पेट को क्षारीय बनाता है और पेट में अल्सर बनने से रोकता है।
मोटे अनाज ग्लूटेन मुक्त होते हैं, इसलिए इनका उपयोग सीलिएक रोग के रोगियों के लिए किया जाता है।
उच्च आहार फाइबर युक्त मोटे अनाज का सेवन भूख की संतुष्टि और तृप्ति को बढ़ाता है। जिससे मोटापे की घटना कम हो जाती है।
मोटे अनाज/श्री अन्नः-
—मुख्य मोटे अनाज – ज्वार, बाजरा, मंडुवा/रागी
—लघु मोटे अनाजः- मादिरा/सांवा/झंगोरा, काकुन/कॉगनी, चीना, कुढकी, कोदो
—धान्य अनाज :रायदाना/चौलाई/राजगीरा, कुट्टू
श्री अन्न का महत्वः
मोटे अनाज पोषक तत्व का खजाना है। जैसे मैग्नीशियम, मैग्नीज, कैल्शियम, फास्फोरस, रेसा, विटामिन बी आदि।
-मोटे अनाजों की खेती कम वर्षा वाले क्षेत्रों में कम उपजाऊ मृदा में सफलता पूर्वक की जा सकती है।
-मोटे अनाज वाली फसलों में सूखा सहन करने की अधिक क्षमता होती है।
-दूसरी फसलों की तुलना में कम उत्पादन लागत आती है।
-इन फसलों पर कीट – बीमारियों का प्रकोप कम होता है।
-मोटे अनाज वाली फसलों में उर्वरकों की मॉग न्यूनतम होती है।
-कम फसल अवधि (70-110 दिन) जिससे सभी प्रकार के फसल चक्र में अपनाने में आसानी हो जाती है।
-मोटे अनाज वाली फसलें प्रतिकूल मौसम मंें भी पर्याप्त उपज देने की क्षमता रखती हैं।
-सरकारों द्वारा किसानों को मोटे अनाज की फसलें उगाने हेतु सरकार प्रतिएक वर्ष नयूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाती हैं।
मौसम के अनुसार मोटे अनाज का सेव
हमारी पारंपरिक खाद्य प्रणाली मौसम के अनुसार खाद्य पदार्थाें के सेवन पर जोर देती है। जिसके अनुसार मोटे अनाजों का सेवन सही मौसम में फायदेमन्द रहता है। मोटे अनाज को मौसम के अनुरूप प्रयोग निम्न प्रकार से करें।
ठण्ड के मौसम में बाजरा और मक्का को गुड़ और घी के साथ खायें। गर्मियों में ज्वार का सेवन ज्यादा करेें।
रागी/मडुए का प्रयोग वर्षभर विभिन्न व्यंजनों में किया जा सकता है। मोटे अनाज का सेवन व्रत एंव त्यौहारों में भी किया जा सकता है। जैसे सांवा की खीर, कुट्टू आदि।
लेखक:एस0एस0 इण्टर कालिज नरौली में प्रधानाचार्य के पद पर कार्यरत हैं