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Saturday, October 12, 2024

बलात्कार के बाद गर्भवती होने वाली लड़कियों का सहारा बनेगी केंद्र सरकार

नयी दिल्ली/खुशबू पाण्डेय : महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी (Smriti Irani)ने  कहा कि केंद्र ने सोमवार को उन नाबालिगों को आश्रय, भोजन और कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए एक योजना शुरू की, जिन्हें बलात्कार के बाद गर्भधारण (pregnancy after rape) करने के चलते उनके परिवारों ने छोड़ दिया है।  स्मृति ईरानी ने  कहा कि निर्भया योजना (Nirbhaya plan) के तत्वावधान में शुरू की गई नयी योजना का उद्देश्य उन गर्भवती नाबालिग पीड़ितों के लिए संस्थागत और वित्तीय सहायता सुनिश्चित करना है, जिनके पास खुद की देखभाल करने का कोई साधन नहीं है। उन्होंने कहा, इसके अतिरिक्त हमने जमीनी स्तर पर नाबालिग पीड़ितों तक मदद पहुंचाने के लिए राज्य सरकारों और बाल देखभाल संस्थानों के सहयोग से ‘मिशन वात्सल्य’ की प्रशासनिक संरचना का भी भरपूर इस्तेमाल किया है। 2021 में शुरू किया गया ‘मिशन वात्सल्य’ बच्चों की सुरक्षा और कल्याण पर केंद्रित है।

-परिवार की ओर से त्यागी गई नाबालिगों के लिए योजना शुरू करेगा केंद्र
-युवतियों को आश्रय, भोजन और कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए की पहल

ईरानी ने कहा कि नयी योजना के तहत यह अतिरिक्त सहायता बाल देखभाल संस्थानों (CCI) के स्तर पर 18 वर्ष तक की लड़कियों और 23 वर्ष तक की युवतियों के लिए देखभाल केंद्रों पर उपलब्ध होगी। उन्होंने कहा कि कानूनी सहायता के साथ-साथ पीड़िता को अदालती सुनवाई में शामिल होने के लिए सुरक्षित परिवहन भी उपलब्ध कराया जाएगा।

मंत्री ने कहा कि केंद्र ने देश में 415 पॉक्सो (यौन अपराध से बच्चों का संरक्षण) त्वरित अदालतें स्थापित करके नाबालिग पीड़िता की न्याय तक पहुंच आसान कर दी है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़े के अनुसार 2021 में पॉक्सो अधिनियम के तहत 51,863 मामले दर्ज किए गए, जिनमें 64 प्रतिशत मामले पेनेट्रेटिव’ और गंभीर ‘पेनेट्रेटिव’ यौन उत्पीड़न के हैं। नयी योजना में इस तरह की बलात्कार पीड़ित नाबालिगों को भी शामिल किया गया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस योजना का उद्देश्य नाबालिग पीड़िता और उसके नवजात शिशु के लिए पुलिस सहायता, परामर्श, कानूनी सहायता और बीमा कवर सहित कई सेवाओं तक तत्काल, आपातकालीन और गैर- आपातकालीन पहुंच की सुविधा प्रदान करना है। अधिकारी ने कहा कि योजना के लाभार्थियों के लिए उपलब्ध चिकित्सा लाभों में मातृत्व, नवजात और शिशु देखभाल शामिल हैं। योजना के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए पीड़िता को प्राथमिकी की प्रति प्रस्तुत करना अनिवार्य नहीं है। अधिकारी ने कहा, हालांकि योजना के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि पुलिस को सूचित किया जाए और प्राथमिकी दर्ज की जाए। योजना के लाभार्थियों के लिए बाल देखभाल गृहों में अलग स्थान आवंटित किया जाए क्योंकि उनकी जरूरतें वहां रहने वाली अन्य नाबालिगों से अलग होंगी।

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