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Saturday, July 27, 2024

समग्र व सन्तुलित विकास के पथ पर अग्रसर हिमाचल : जय राम ठाकुर

  • —हिमाचल प्रदेश के CM जय राम ठाकुर ने दी प्रदेशवासियों को बधाई
  • – 74वें हिमाचल दिवस पर CM ने लिखा विशेष लेख

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने हिमाचल दिवस की सभी प्रदेशवासियों को बधाई दी है। साथ ही कहा कि 15 अप्रैल, हम सभी हिमाचलवासियों के लिए, एक ऐतिहासिक और चिरस्मरणीय दिवस है। देश की आज़ादी के ठीक 8 माह बाद, सन 1948 को, आज ही के दिन, हमारा यह खूबसूरत पहाड़ी प्रदेश, 30 छोटी-बड़ी पहाड़ी रियासतों को विलय कर केन्द्रशासित ‘चीफ कमीशनर प्रोविन्स’ के रूप में अस्तित्व में आया। भारतीय सिविल सेवा के श्री एन.सी. मेहता को प्रदेश का प्रथम चीफ कमिश्नर और पैण्ड्रल मून को डिप्टी चीफ कमिश्नर नियुक्त किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि शिमला हिल स्टेटस की 26 रियासतों और ठकुराइयों को मिलाकर महासू ज़िला बनाया गया, जिसमें बाघल, बघाट, बलसन, रामपूर-बुशहर, खनेटी, देलेथ, बेजा, भज्जी, दरकोटी, धामी, जुब्बल, रावीं, ढाढी, क्यौंथल, ठियोग, कोटी, घूण्ड, मधान, रतेश, कुम्हारसेन, कुनिहार, कुठाड़, मांगल, महलोग, शांगरी, थरोच रियासतें शामिल थी। मण्डी-सुकेत रियासत का विलय कर मण्डी ज़िला बनाया गया। चम्बा व सिरमौर को अलग-अलग ज़िलों का दर्जा दिया गया। इन चारों जिलों में 23 तहसीलें बनाई गईं। प्रदेश का क्षेत्रफल 10,451 वर्ग किलोमीटर तथा जनसंख्या 11.09 लाख थी।

समग्र व सन्तुलित विकास के पथ पर अग्रसर हिमाचल : जय राम ठाकुर

तत्पश्चात 1 जुलाई, 1954 को पार्ट ‘सी’ स्टेट बिलासपुर का हिमाचल में विलय किया गया। 1 नवम्बर, 1966 को पंजाब के पहाड़ी क्षेत्रों को हिमाचल में मिलाया गया तथा प्रदेश का क्षेत्रफल 55,673 वर्ग किलोमीटर हो गया। वर्तमान में भी यही क्षेत्रफल है तथा प्रदेश में 12 जिलें व जनगणना 2011 के अनुसार प्रदेश की जनसंख्या 68.64 लाख हैं।
हिमाचल को एक अलग राज्य के रूप में स्थापित करने में तत्कालीन नेतृत्व के साथ-साथ प्रजामंडल आंदोलन के नायकों व आंदोलनकारियों और यहां की जागरूक जनता ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हिमाचल प्रदेश के गौरवमयी इतिहास में धामी गोली कांड, सुकेत सत्याग्रह, पछोता आंदोलन का विशेष स्थान है।
मैं इस अवसर पर सभी प्रदेशवासियों को हिमाचल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूँ तथा प्रदेश व प्रदेशवासियों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ।
मैं, ‘हिमाचल दिवस’ के अवसर पर हिमाचल निर्माता और प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री डाॅ. यशवन्त सिंह परमार तथा उन सभी महानुभावों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता हूँ, जिन्होंने इस प्रदेश की अलग पहचान बनाने के लिए अपना योगदान दिया है। इस अवसर पर मैं, इस वीर भूमि के उन बहादुर सैनिकों को भी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ, जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है। मैं, इस प्रदेश के मेहनती, ईमानदार व शान्तिप्रिय लोगों का विशेष रूप से आभार व्यक्त करता हूँ, जिनके निरन्तर प्रयासों से हिमाचल प्रदेश ने देश-विदेश में एक विशिष्ट पहचान बनाई है।
यह हम सब जानते हैं कि इस प्रदेश ने, अस्तित्व में आने के उपरान्त लगभग शून्य से अपनी विकास यात्रा आरम्भ की थी। उस समय यहां साक्षरता दर मात्र 4.8 प्रतिशत थी। शैक्षणिक संस्थान केवल शहरी क्षेत्रों तक ही सीमित थे। स्वास्थ्य स्ंास्थान केवल 88 ही थे। मात्र 288 किलोमीटर लम्बी सड़कें थीं, वह भी अधिकतर कच्ची। बिजली की सुविधा भी मात्र छः गांवों तक सीमित थी। उस समय प्रति व्यक्ति आय भी 240 रुपये थी। वर्ष 1971 में जब यह प्रदेश एक पूर्ण राज्य बना, उस समय तक भी, यहां कोई विशेष विकास नहीं हो पाया था। वर्ष 1971 में प्रदेश में 10,617 किलोमीटर लम्बी सड़कें तथा साक्षरता दर 31.96 प्रतिशत थी। प्रदेश में 4,693 शैक्षणिक संस्थान तथा 587 स्वास्थ्य संस्थान थे। बिजली की सुविधा भी 3,249 गांवों में उपलब्ध थी। प्रति व्यक्ति आय भी मात्र 651 रुपये थी।

हिमाचल की गिनती खुशहाल एवं प्रगतिशील राज्यों की श्रेणी में

आज हिमाचल की गिनती खुशहाल एवं प्रगतिशील राज्यों की श्रेणी में हो रही है। प्रदेश में सड़कों की लम्बाई बढ़कर 38,470 किलोमीटर हो चुकी है। 1,410 गांवों को सड़क सुविधा से जोड़ा जा चुका है। लगभग 99 प्रतिशत पंचायतें सड़कों से जुड़ चुकी हैं। शेष पंचायतों को शीघ्र सड़क से जोड़ने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। शिक्षण संस्थानों की संख्या भी बढ़कर 15,553 हो गई है तथा साक्षरता दर 82.80 पहुंच गई है। प्रदेश में 4,320 स्वास्थ्य संस्थानों का बड़ा नेटवर्क लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधा प्रदान कर रहा है। आज प्रदेश के सभी गांवों में बिजली उपलब्ध है। यहां तक कि हिमाचल प्रदेश आज ‘पावर सरप्लस राज्य’ बन चुका है। प्रति व्यक्ति आय भी बढकर 1,90,407 रुपये हो गई है।

‘प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना’ वरदान सिद्ध हुई

प्रदेश के गांवों-गांवों में सड़क सुविधा उपलब्ध करवाने में भारत रत्न श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा आरम्भ महत्त्वाकांक्षी ‘प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना’ वरदान सिद्ध हुई है। अटल टनल, रोहतांग भी उनकी दूरदर्शी सोच की ही देन है, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा 3 अक्तूबर, 2020 को किया गया।
प्रदेश की इस विकास यात्रा में, वर्तमान प्रदेश सरकार के सेवाकाल के तीन वर्ष विशेष महत्त्व रखते हैं। सरकार ने अनेक नई योजनाएं आरम्भ की हैं जिनके परिणामस्वरूप प्रदेश ने विकास की नई बुलंदियां छुई हैं और प्रदेश का समग्र व सन्तुलित विकास सुनिश्चित हुआ है।

वृद्धावस्था पेंशन की आयु सीमा घटाकर 70 वर्ष किया

27 दिसम्बर, 2017 को शपथ ग्रहण समारोह के उपरान्त पहले दिन ही प्रथम मंत्रिमण्डल की बैठक में वृद्धावस्था पेंशन पाने की आयु सीमा को 80 वर्ष से घटाकर 70 वर्ष किया गया तथा कोई आय सीमा भी नहीं रखी गई। प्रदेश में सामाजिक सुरक्षा पेंशन पर 642.58 करोड़ रुपये व्यय किए। प्रदेश सरकार द्वारा सामाजिक सुरक्षा पेंशन के 1,63,607 नए मामले स्वीकृत किए गए हैं। जनता से सीधा संवाद स्थापित करने तथा जन शिकायतों का त्वरित समाधान करने के लिए 3 जून, 2018 को आयोजित प्रथम जनमंच से अब तक सभी विधानसभा क्षेत्रों में 200 जनमंच आयोजित किए गए हैं, जिनमें 48,694 शिकायतें व मांगपत्र प्राप्त हुए। इन शिकायतों में से 91 प्रतिशत से भी अधिक शिकायतों का निपटारा किया जा चुका है।

1.36 लाख परिवारों को निःशुल्क गैस कनेक्शन प्रदान किए

16 सितम्बर, 2019 से आरम्भ मुख्यमंत्री सेवा संकल्प हेल्पलाइन-1100 पर 1,51,83 से अधिक जन शिकायतें प्राप्त हुई हैं जिनमें से 1.20 लाख से अधिक का समाधान किया जा चुका है। प्रदेश में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत 1.36 लाख परिवारों को निःशुल्क गैस कनेक्शन प्रदान किए गए जिस पर 21.76 करोड़ रुपये व्यय किए गए हैं। प्रदेश सरकार ने हिमाचल गृहिणी सुविधा योजना आरम्भ की है। योजना के अन्तर्गत 2.91 लाख महिलाओं को निःशुल्क गैस कनेक्शन उपलब्ध करवाए जा चुके हैं। दिसम्बर, 2019 में प्रदेश को धुंआ मुक्त राज्य घोषित किया गया था। इस प्रकार की उपलब्धि प्राप्त करने वाला हिमाचल देशभर में पहला राज्य बन गया है।

आयुष्मान भारत योजना में 3.34 लाख परिवारों ने गोल्डन कार्ड बनाए

आयुष्मान भारत योजना के तहत प्रदेश में 3.34 लाख परिवारों ने गोल्डन कार्ड बनाए हैं। योजना के तहत 77,549 लाभार्थियों को लगभग 81 करोड़ रुपये की निःशुल्क इलाज की सुविधा प्रदान की गई है।
प्रथम जनवरी, 2019 से आरम्भ हिमकेयर योजना के तहत 4.61 लाख परिवार पंजीकृत हुए हैं तथा 1.25 लाख लाभार्थियों को 129.27 करोड़ रुपये के निःशुल्क इलाज की सुविधा प्रदान की जा चुकी है। सहारा योजना के अन्तर्गत गंभीर बीमारियों से पीड़ित आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों को सहायता राशि के रूप में 3000 रुपये प्रतिमाह दिए जा रहे हैं। योजना के अन्तर्गत 11,187 लाभार्थियों को 13 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की गई है।

हिम स्टार्टअप योजना के तहत 10 करोड़ रुपये का वैंचर फंड स्थापित

प्रदेश के 18 से 45 वर्ष के युवाओं को स्वावलंबन से जीवनयापन करने के लिए आरंभ मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना के तहत 60 लाख रुपये तक की परियोजना लागत पर पुरूड्ढों को 25, महिलाओं को 30 तथा विधवाओं को 35 प्रतिशत का उपदान दिया जा रहा है। योजना के तहत 2,700 इकाइयां स्थापित की गई है, जिससे 8,500 लोगों को रोजगार मिला है। लगभग 70 करोड़़ रुपये का उपदान प्रदान किया जा चुका है। मुख्यमंत्री स्टार्टअप योजना के तहत 100 लाभार्थियों को लगभग 1.70 करोड़ रुपये प्रदान किए गए है। योजना के तहत नए उद्यम वाले युवाओं को एक वर्ष के लिए 25,000 रुपये प्रतिमाह दिए जा रहे हैं। हिम स्टार्टअप योजना के तहत 10 करोड़ रुपये का वैंचर फंड स्थापित किया गया है।

नई राहें-नई मंजिलें योजना के अन्तर्गत 150 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत

धर्मशाला मेें 7 व 8 नवम्बर, 2019 को आयोजित की गई ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट के दौरान 96,721 करोड़ रुपये निवेश के 703 समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित हुए। इस मीट में कुल 36 देशों के 200 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। तत्पश्चात 13,656 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का पहला ग्राउंड बे्रकिंग समारोह भी आयोजित किया जा चुका है।
नई राहें-नई मंजिलें योजना के अन्तर्गत 150 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है। योजना के तहत कांगड़ा जिला के बीड़-बिलिंग को पैराग्लाइडिंग गंतव्य, शिमला जिला की प्रसिद्ध चांशल घाटी को स्की गंतव्य जबकि जिला मण्डी के जंजैहली को ईको-पर्यटन गंतव्य के रूप में विकसित किया जा रहा है। योजना के तहत अब करगाणु-सेरजगास व नौहराधार-चूड़धार का भी विकास किया जा रहा है। योजना के तहत अटल टनल, रोहतांग के आसपास हेलीपेड सहित आवश्यक सुविधाएं विकसित की जा रही है। जिला मण्डी के कंगनीधार में 40 करोड़ रुपये की लागत से भव्य शिवधाम के प्रथम चरण का निर्माण कार्य किया जा रहा है। मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत 4,417 मकान निर्मित किए गए जिस पर लगभग 60 करोड़ रुपये व्यय किए गए। प्रदेश में विभिन्न आवास योजनाओं के अन्तर्गत 10,000 नए आवासों का निर्माण किया जाएगा।

सशक्त महिला योजना के तहत 4.22 करोड़ रुपये की राशि व्यय

सशक्त महिला योजना के तहत 4.22 करोड़ रुपये की राशि व्यय की जा चुकी है। मुख्यमंत्री दस्तकार सहायता योजना के तहत दस्तकारों को 30 हजार रुपये तक की कीमत के औजार 75 प्रतिशत अनुदान पर प्रदान किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ग्राम कौशल योजना के तहत प्रशिक्षक को 7500 रुपये तथा प्रशिक्षु को 3000 रुपये प्रतिमाह दिया जा रहा है।

घरों को नल से स्वच्छ एवं पर्याप्त पेयजल उपलब्ध करवाने का लक्ष्य

मुख्यमंत्री रोशनी योजना के तहत 5,862 लाभार्थी बिजली के कनैक्शन प्राप्त कर चुके हैं। प्रदेश में 326.25 मेगावाट की क्षमता वाली विभिन्न परियोजना शुरू की जा चुकी है और 162.29 मेगावाट की क्षमता वाली परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं।
अगस्त, 2019 से आरम्भ जल जीवन मिशन के तहत प्रथम चरण में लगभग 2,900 करोड़ रुपये की लागत की 327 योजनाओं को स्वीकृति प्रदान की गई है। इसके उपरान्त वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 530 और वर्ष 2020-21 के लिए 696 योजनाएं स्वीकृत की गई हैं। लगभग 2.12 लाख घरों को नल से जल उपलब्ध करवाया जा चुका है। इस मिशन के तहत वर्ष 2024 तक देश के सभी ग्रामीण घरों को नल से स्वच्छ एवं पर्याप्त पेयजल उपलब्ध करवाने का लक्ष्य रखा गया है। प्रदेश में यह लक्ष्य जुलाई, 2022 तक प्राप्त करने के प्रयास जारी है।

प्रदेश में 38,470 किलोमीटर लम्बी सड़के तथा 2,226 पुल है

आज प्रदेश में 38,470 किलोमीटर लम्बी सड़के तथा 2,226 पुल है। वर्ष 2020-21 में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 1,915 किलोमीटर लम्बी, 283 सड़कों का निर्माण किया गया जो पिछले सभी वर्षों में सर्वाधिक है।
वर्ष 2020-21 में इस योजना के तहत सड़क निर्माण में लक्ष्य के उपलिब्ध प्रतिशत में प्रदेश को पहला स्थान प्राप्त हुआ है जबकि सड़क निर्माण में हिमाचल दूसरे स्थान पर है। ज़िला मण्डी को सबसे अधिक नई सड़कों के निर्माण में देश के सभी ज़िलों में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है। गत तीन वर्षों में योजना के तहत 4,468 किलोमीटर सड़कों का कार्य पूर्ण किया गया जिस पर 2,500 करोड़ रुपये व्यय किए गए हैं।
सामरिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण अटल टनल, रोहतांग का निर्माण देश व प्रदेश के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। यह टनल पूरे साल जनजातीय क्षेत्र लाहौल-स्पीति तथा लेह के लिए सड़क सुविधा उपलब्ध करवाएगी।

बागवानी को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रयास किए

प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान के तहत 5,595 हेक्टेयर क्षेत्र को लाया गया है तथा लगभग 1 लाख किसानों ने प्राकृतिक खेती को अपनाया है। मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना के तहत सोलर व कांटेदार तार की बाड़बन्दी से 3,873 किसानों को 105 करोड़ रुपये के लाभ प्रदान किए गए। बागवानी को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। इस समय फलों का उत्पादन 2.33 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में किया जा रहा है। फलों का उत्पादन बढ़कर 8.45 लाख मीट्रिक टन हो गया। प्रदेश में 1134 करोड़ रुपये की हिमाचल प्रदेश बागवानी विकास परियोजना तथा 1000 करोड़ रुपये की एच.पी. शिवा परियोजना चलाई जा रही हैे। हिमाचल पुष्प क्रांति योजना के तहत 1,134 पुष्प उत्पादकों को 23.60 करोड़ रुपये का अनुदान दिया गया है।

कोविड-19 महामारी से हमारा प्रदेश भी अछूता नहीं

गत एक वर्ष से पूरी दुनिया कोविड-19 महामारी से जूझ रही है और हमारा प्रदेश भी इससे अछूता नहीं है। कोविड-19 की चुनौतियों के बावजूद सरकार ने आपके सहयोग से मूलभूत सुविधाओं को सुचारू रूप से संचालित कर प्रदेश की आर्थिकी को पुनः पटरी पर लाने की कोशिश की। प्रदेश में एक्टिव केस फाइडिंग अभियान के अन्तर्गत 70 लाख लोगों की घर-द्वार पर स्वास्थ्य जानकारी प्राप्त की गई। सरकार द्वारा लाॅकडाउन के कारण दूसरे राज्यों में फंसे हिमाचल के 2.50 लाख लोगों को प्रदेश वापिस लाया गया।

कोविड-19 महामारी के दृष्टिगत प्रदेश सरकार तेजी से अ्ग्रसर

कोविड-19 महामारी के दृष्टिगत प्रदेश सरकार ने ई-संजीवनी ओपीडी आरम्भ की जिसके अन्तर्गत प्रदेश के विभिन्न मेडिकल काॅलेजों के 16 डाॅक्टरों की टीम मरीजों को निःशुल्क आॅनलाईन चिकित्सा परामर्श प्रदान कर रही है।
हमें इस बात पर गर्व है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के मजबूत नेतृत्व में कोरोना महामारी की चुनौती का सामना करते हुए आप सभी प्रदेशवासियों के सहयोग से इसके संक्रमण को रोकने में हम काफी हद तक सफल हुए हैं। अब हमारे वैज्ञानिकों के अथक प्रयासों से वैक्सीन आ चुकी है, जिससे इस वायरस से सहमी जनता को बड़ी राहत मिली है। हमें वैक्सीन लगाने के अभियान में तो शामिल होना ही है, साथ में ‘दवाई भी-कड़ाई भी’ के मंत्र को अपनाना है और किसी भी प्रकार की कोताही नहीं बरतनी है।

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