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Sunday, December 8, 2024

Indian Railway ने 11 महीने में 77 अफसरों को जबरन घर भेजा, जून की लिस्ट तैयार

नई दिल्ली /खुशबू पाण्डेय : देशभर में तैनात भारतीय रेलवे (Indian Railway) के कामचोर, लापरवाह और भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों एवं कर्मचारियों की छंटनी तय है। अब उन्हें रेलवे में नौकरी नहीं करने दिया जाएगा। ऐसे कर्मचारियों एवं अधिकारियों की सफाई भी रेल मंत्रालय, रेलवे बोर्ड ने शुरू कर दी है। रेल मंत्रालय अब हर महीने निकम्मे एवं लापरवाह अधिकारियों एवं कर्मचारियों की जबरन घर भेजेगा, जो कर्तव्यनिष्ठा के साथ अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं। रेल मंत्रालय में ऐसे कर्मचारियों की एक लंबी लिस्ट तैयारी की है, जिसकी स्क्रूटनी के बाद उन्हें रेलवे से बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है। हम बात करें सिर्फ 11 महीने की जिसमें अब तक 77 अधिकारियों एवं बडे पदों पर बैठे कर्मचारियों को जबरन रिटायर करते हुए घर भेज दिया गया है। जून 2022 में भी 2 अधिकारियों का नाम फाइनल हो गया है, जिन्हें जबरिया घर भेजा जाएगा।

-77 टॉप अधिकारियों में 1 महाप्रबंधक, 2 सेक्रेटरी भी घर भेजे गए
-ज्वाइंट सेक्रेटरी स्तर के हैं कई अधिकारी,दिया रिटारयमेंट
-निकम्मे एवं लापरवाह अधिकारियों की रेलवे में जगह नहीं
-रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव के कार्यकाल में बदली कार्य संस्कृति

मजेदार बात यह है कि यह सबकुछ नौकरशाह से रेलमंत्री बने अश्विनी वैष्णव के जिम्मेदारी संभालने के बाद शुरू हुआ है। रेलमंत्री वैष्णव का सीधा और स्पष्ट कहना है कि रिजल्ट नहीं देने वाले अधिकारी एवं कर्मचारियों के लिए भारतीय रेलवे के मानचित्र में कतई जगह नहीं है, लिहाजा वह बिना देरी किए तुरंत रेलवे छोडकर घर चले जाएं।
रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक 11 महीने में देशभर के जिन 77 टॉप अधिकारियों को जबरन रिटारयमेंट दिया गया है, उसमें 1 महाप्रबंधक, 2 सेक्रेटरी (बोर्ड सदस्य) भी शामिल हैं। नौकरी से जबरन घर भेजने की कार्रवाई जुलाई 2021 से लेकर मई 2022 तक के बीच की है।
रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक जबरन रिटायर किए गए अफसरों में जुलाई 2021 में नौ, अगस्त में 6, सितंबर में 7, अक्टूबर में 7, नवंबर में 9, दिसंबर में छह, जनवरी 2022 में 11, फरवरी में 8, मार्च में 7, अप्रैल में 5 और मई में तीन अधिकारियों को जबरिया वीआरएस दी गयी है।

यह भी पढें…Indian Railway ने एक दिन में 19 वरिष्ठ अधिकारियों को नौकरी से निकाला

इन 77 अधिकारियों एवं कर्मचारियों को दक्षता में कमी एवं भ्रष्टाचार आदि अन्य कारणों से पहले ही स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) देकर घर भेजा गया है। अगले महीने यानि जून में दो और अधिकारियों को वीआरएस दिया जाएगा। रेल मंत्रालय में हुई इस कार्रवाई को लेकर में रेलवे सिस्टम में हड़कंप मच गया है।
केन्द्र सरकार के किसी भी विभाग में अब तक इतनी बड़े पैमाने पर अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई इससे पहले कभी नहीं हुई है। इन्हें अगस्त 2020 में अद्यतन की गयी केन्द्रीय कार्मिक नियमावली के नियम 56 जे के तहत जबरिया वीआरएस देकर सेवा मुक्त किया गया है।
अब तक सेवामुक्त होने वाले अधिकारियों में एक रेल कोच फैक्टरी के महाप्रबंधक और दो सचिव यानी रेलवे बोर्ड के सदस्य भी शामिल हैं। आज घर वापसी करने वाले अधिकारियों में दस से अधिक संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी हैं। इनमें से इलैक्ट्रिकल एवं सिगनलिंग के चार-चार, मेडिकल एवं सिविल के तीन-तीन, कार्मिक के दो, भंडारण, यातायात एवं मैकेनिकल के एक-एक अधिकारी शामिल हैं।
सूत्रों ने बताया कि रेलवे बोर्ड की एक तीन सदस्यीय समिति ने कार्मिक विभाग की नियमावली (56 जे) के अंतर्गत सभी अधिकारियों के प्रदर्शन की समीक्षा की है और इन लोगों को कार्यप्रणाली में बाधा के रूप में पाया गया। इनमें से कइयों के विरुद्ध भ्रष्टाचार की शिकायतों को लेकर जांच भी की गई है। सूत्रों ने कहा कि इस कार्रवाई के जरिये सरकारी कर्मचारियों एवं अधिकारियों को संदेश गया है कि उन्हें अपने कामकाज में दक्षता लानी होगी और परिणाम देने होंगे।

19 अधिकारियों को नौकरी से निकाला

रेल मंत्रालय ने  जिन 19 अधिकारियों एवं कर्मचारियों को नौकरी से निकाला है उसमें वेस्टर्न रेलवे के नागपुर मंडल से 1, वेस्टर्न रेलवे, कोर इलाहाबाद, एमसीएफ कोच फैक्टरी, रायबरेली, सेंट्रल रेलवे, एनएफ रेलवे, सेंट्रल रेलवे, सीएलडब्ल्यू, साउथ सेंट्रल रेलवे, एनएफ रेलवे, ईस्टर्न रेलवे के मालदा डिविजन से 1 अधिकारी, एसडब्ल्यूआर से एसएजी, डीएलडब्ल्यू वाराणसी, उत्तर मध्य रेलवे इलाहाबाद से सेलेक्शन ग्रेड का अधिकारी, आरडीएसओ लखनऊ से 1 अधिकारी, ईडी सेल से 1 अधिकारी, नायर से 1 अधिकारी एवं आरसीएफ से एसएसी स्तर के अधिकारी को नौकरी से हमेशा के लिए छुटटी की गई है। इसमें 10 ज्वाइंट सेके्रटरी (जेएस) स्तर के टॉप अधिकारी हैं। इनके खिलाफ कई तरह के आरोप, जांच एवं विजलेंस कार्रवाई चल रही थी।
भारतीय रेलवे के इतिहास में शायद यह पहला मौका होगा,जब एक दिन में इतने बड़े स्तर पर अधिकारियों को नौकरी से निकाला गया होगा। ये सभी कर्मचारी अलग-अलग प्रोडक्शन यूनिटों, क्षेत्रीय रेलवे, उपक्रम से जुड़े हैं।

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