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Sunday, September 14, 2025

PM मोदी के ‘मन की बात’ सुनकर हर बार एक मिलता है नया अनुभव

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— बीजेपी राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ ने पीएम मोदी के मन की बात को सुना
—मन की बात में पीएम मोदी का स्वच्छता पर जोर रहा
—संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार करने वालों की पीएम ने की तारीफ 
—पीएम ने कोविड को लेकर किया देशवासियों को जागरुक, कहा—रखनी है सतर्कता

नई दिल्ली/ खुशबू पाण्डेय । भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ को सुना। उन्होंने कहा कि मन की बात सुनकर हर बार एक नया अनुभव मिलता है। पीएम नरेंद्र मोदी देश से, देश की भावनाओं से, देश के संकल्प से, देश की उपलब्धियों से हर बार नए नजरिए से परिचित कराते हैं। प्रधानमंत्री ने इस बार खासकर युवाओं को आगे बढने के लिए खेल पर फोकस करने को भी कहा। मन की बात कार्यक्रम का यह 80वां एपिसोड था। पीएम मोदी ने इस दौरान मेजर ध्यानचंद को उनकी जयंती के मौके पर याद किया।

तरूण चुघ ने कहा कि मन की बात में पीएम मोदी का स्वच्छता पर जोर रहा। पीएम मोदी ने कहा कि राष्ट्र निर्माण के लिए सबके प्रयास हमें प्रेरणा देते हैं. हम यह जानते हैं जब भी स्वच्छ भारत का नाम आता है तो इंदौर का नाम आता ही आता है। पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना काल में पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना संकट काल में मुझे स्वच्छता को लेकर जितनी बात होनी चाहिए थी, उसमें कुछ कमी रह गई।

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तरूण चुघ ने कहा कि संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार करने वालों की पीएम ने की तारीफ की। साथ ही कहा कि हमारी संस्कृत भाषा सरस भी है, सरल भी हैंं । संस्कृत अपने विचारों, अपने साहित्य के माध्यम से ये ज्ञान विज्ञान और राष्ट्र की एकता का भी पोषण करती है, उसे मजबूत करती है । संस्कृत साहित्य में मानवता और ज्ञान का ऐसा ही दिव्य दर्शन है जो किसी को भी आकर्षित कर सकता है। पीएम मोदी ने कहा कि हमारी विरासत को बचाना और उन्हें उन्हें आने वाली पीढ़ियों को बताना हमारा कर्तव्य है ।

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भाजपा महासचिव तरूण चुघ ने कहा कि मन की बात में पीएम मोदी ने कहा कि हमें एक बात और याद रखनी है, दवाई भी कड़ाई भी । देश में 62 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन की डोज दी जा चुकी है. फिर भी हमें सतर्कता रखनी है रखनी है ।
चुघ ने कहा कि प्रधानमंत्री ने युवाओं को संदेश दिया कि अवसर का फायदा उठाते हुए अलग-अलग प्रकार के खेलों में महारत भी हासिल करनी चाहिए। गाँव-गाँव खेलों की स्पर्धाएँ निरंतर चलती रहनी चाहिये। स्पर्धा में से ही खेल विस्तार होता है, खेल विकास होता है, खिलाड़ी भी उसी में से निकलते हैं। सभी देशवासी इस अभियान को जितना आगे बढ़ा सकते हैं, जितना योगदान हम दे सकते हैं, ‘सबका प्रयास’ इस मंत्र से साकार करके दिखाएँ।

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भाजपा महासचिव तरूण चुघ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि घर हो, बाहर हो, गाँव हो, शहर हो, हमारे खेल के मैदान भरे हुए होने चाहिये सब खेलें-सब खिलेंं । पीएम मोदी ने अपने लाल किले के भाषणा को भी याद दिलाया जिसमें कहा था – “सबका प्रयास” – जी हाँ, सबका प्रयास। सबके प्रयास से ही भारत खेलों में वो ऊंचाई प्राप्त कर सकेगा जिसका वो हकदार है। मेजर ध्यानचन्द जी जैसे लोगों ने जो राह बतायी है, उसमें आगे बढ़ना हमारी जिम्मेवारी है। वर्षों बाद देश में ऐसा कालखंड आया है कि खेलों के प्रति परिवार हो, समाज हो, राज्य हो, राष्ट्र हो – एक मन से सब लोग जुड़ रहे हैं। आज मेजर ध्यानचंद जी की जन्म जयंती है। और हमारा देश उनकी स्मृति में इसे राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाता भी है।
पीएम मोदी ने यह भी कहा कि मैं सोच रहा था कि शायद, इस समय मेजर ध्यानचंद जी की आत्मा जहां भी होगी, बहुत ही प्रसन्नता का अनुभव करती होगी। क्योंकि दुनिया में भारत की हॉकी का डंका बजाने का काम ध्यानचंद जी की हॉकी ने किया था। और चार दशक बाद, क़रीब-क़रीब 41 साल के बाद, भारत के नौजवानों ने, बेटे और बेटियों ने हॉकी के अन्दर फिर से एक बार जान भर दी। और कितने ही पदक क्यों न मिल जाएं, लेकिन जब तक हॉकी में पदक नहीं मिलता भारत का कोई भी नागरिक विजय का आनंद नहीं ले सकता है और इस बार ओलंपिक में हॉकी का पदक मिला, चार दशक के बाद मिला।

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