(बाल मुकुंद ओझा)
जयपुर/नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में जबरदस्त खेला हो गया । मोदी का जादू ध्वस्त कर ममता दीदी तीसरी बार बंगाल की सत्ता पर टीएमसी का कब्ज़ा बरक़रार रख खेला होबे’ का डंका तो बजा दिया मगर बंगाल की सबसे हाई प्रोफाइल सीट नंदीग्राम में कांटे की टक्कर में अपने पूर्व केबिनेट सहयोगी और भाजपा उम्मीदवार सुवेंदु अधिकारी से लगभग दो हज़ार वोटों से हार गई। सुवेंदु कई राउंड की गिनती के दौरान दीदी से आगे चल रहे थे। मगर आखिरी राउंड में दीदी द्वारा
सुवेंदु को हराने की खबर आयी। मगर कुछ देर बाद चुनाव आयोग ने अधिकृत परिणाम घोषित करते हुए ममता के हारने की खबर दी। दीदी ने नंदीग्राम का परिणाम स्वीकार कर लिया मगर उनकी पार्टी की मांग पर दुबारा मतगणना की
जानकारी मिली है। दीदी समर्थक इस खबर को पचा नहीं पा रहे है।
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सुवेंदु ने घोषणा की थी की चुनाव हारने पर वे राजनीति से सन्यास ले लेंगे। निवर्तमान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी ने खेला कर 215 सीटें जीतने में जबरदस्त सफलता हासिल की। भाजपा 75 के आसपास सिमट गयी। बंगाल विधानसभा चुनाव के रुझान के बाद कोलकाता में टीएमसी समर्थक जश्न मनाते नजर आ रहे हैं। मगर ममता के हारने से उनमें घबराहट हो रही है। बंगाली बनाम बाहरी का खेल खेलकर दीदी खुद जरूर हार गयी है मगर अपने विरोधियों को मात दी है । मोदी के कटाच्छ को दीदी ने अपने पक्ष में भुना कर बंगाली मतदाताओं की सहानुभूति अर्जित की। दीदी के पक्ष में मुस्लिम मतदाता एक जुट हो गए मगर भाजपा हिन्दू मतदाताओं का पूरी तरह ध्रुवीकरण करने में नाकाम रही। कभी बंगाल पर एक छत्र राज करने वाले वाम मोर्चा और कांग्रेस का यहाँ पूरी तरह सफाया हो गया।
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ओवेसी और पीरजादा को भी मुस्लिम मतदाताओं ने नकार दिया। दीदी ने अपने पैर में लगी चोट के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया था। गैर भाजपा नेताओं ने दीदी को बंगाल में टीएमसी की शानदार जीत के लिए बधाई दी है। पश्चिम बंगाल में भले ही बीजेपी सरकार बनाने से काफी दूर रह गई हो लेकिन बीजेपी के लिए खुश होने की कई बातें हैं। ममता को नंदीग्राम में हराने के बाद बीजेपी बंगाल में खुद को एक मजबूत विपक्ष के तौर पर पेश करने की कोशिश में कामयाब रही है। पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में ज्यादातर लोगों की नजरें पश्चिम बंगाल पर लगी हुई थी । भाजपा के मुख्य स्टार दिग्गज प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह थे। जिन्होंने सोनार बांग्ला का नारा देकर 200 सीटें पार का दावा किया था। राजनीतिक विश्लेषकों का
मानना है की भाजपा नेताओं का दीदी पर निजी हमला और तंज़ मतदाताओं को रास नहीं आया। वहीँ तमिलनाडु में डीएमके, असम और पुडुचेरी में भाजपा और केरल में वाम मोर्चा ने बाज़ी मार ली । कांग्रेस नेता राहुल गाँधी को भी इन चुनाव में मतदाताओं ने नकार दिया। गाँधी ने अपनी बहिन प्रियंका के साथ केरल और असम में पूरा जोर लगाया था
मगर उनकी पार्टी वहां सफल नहीं हुई।