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Sunday, May 19, 2024

खत्म हुआ सदियों का इंतजार, सियावर रामचंद्र की जय

—प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर की आधारशिला रखी
— शुरुआत सियावर रामचंद्र की जय और जय सिया राम के उद्घोष से की
–कहा-बरसों से टाट और टेंट के नीचे रह रहे हमारे रामलला
—हमारे रामलला के लिए अब एक भव्य मंदिर का निर्माण होगा
— राम मंदिर राष्ट्रीय एकता व भावना का प्रतीक है
—भारतीय संस्कृति की समृद्ध विरासत का द्योतक भी है राम मंदिर

(खुशबू पाण्डेय)
अयोध्या/ टीम डिजिटल । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को यहां भूमि पूजन कर श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण की आधारशिला रखी और कहा कि आज सदियों का इंतजार खत्म हुआ है। राम मंदिर को राष्ट्रीय एकता व भावना का प्रतीक और भारतीय संस्कृति की समृद्ध विरासत का द्योतक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह न सिर्फ आने वाली पीढिय़ों को आस्था और संकल्प की प्रेरणा देगा, बल्कि अनंतकाल तक पूरी मानवता को प्रेरित करेगा। दशकों तक हिन्दू-मुस्लिम समुदायों के बीच विवाद का केंद्र रहे श्री राम जन्मभूमि स्थल पर जब मोदी पूजा-अर्चना कर रहे थे, उस वक्त देशभर के लोग अपने घरों में टेलीविजन से चिपके रहे और इस पल के गवाह बने। पिछले साल उच्चतम न्यायालय ने इस विवाद का निपटारा कर दिया था। प्रधानमंत्री ने इस मौके पर यह भी कहा कि जिस प्रकार स्वतंत्रता दिवस लाखों बलिदानों और स्वतंत्रता की भावना का प्रतीक है, उसी तरह राम मंदिर का निर्माण कई पीढिय़ों के अखंड तप, त्याग और संकल्प का प्रतीक है।

श्री राम जन्मभूमि मंदिर का शिलान्यास करने के बाद प्रधानमंत्री ने एक समारोह को संबोधित किया और इसकी शुरुआत सियावर रामचंद्र की जय और जय सिया राम के उद्घोष से की। उन्होंने कहा कि यह उद्घोष सिर्फ राम की नगरी में ही नहीं, बल्कि इसकी गूंज पूरे विश्व में सुनाई दे रही है। उन्होंने सभी देशवासियों को और विश्व में फैले करोड़ों राम भक्तों को इस पवित्र अवसर पर कोटि कोटि बधाई दी। प्रधानमंत्री ने कहा कि बरसों से टाट और टेंट के नीचे रह रहे हमारे रामलला के लिए अब एक भव्य मंदिर का निर्माण होगा। उन्होंने कहा, टूटना और फिर उठ खड़ा होना, सदियों से चल रहे इस व्यतिक्रम से राम जन्मभूमि आज मुक्त हो गई है। पूरा देश रोमांचित है, हर मन दीपमय है। सदियों का इंतजार आज समाप्त हो रहा है। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के अंत में ‘सियापति रामचंद्र का जयकारा लगाया।

मोदी ने कहा कि राम सबके हैं, सब में हैं और उनकी यही सर्वव्यापकता भारत की विविधता में एकता का जीवन चरित्र है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि श्रीराम के नाम की तरह ही अयोध्या में बनने वाला भव्य राम मंदिर भारतीय संस्कृति की समृद्ध विरासत का द्योतक होगा। मोदी ने कहा, राम का मंदिर भारतीय संस्कृति का आधुनिक प्रतीक बनेगा, हमारी शाश्वत आस्था का प्रतीक बनेगा, राष्ट्रीय भावना का प्रतीक बनेगा। ये मंदिर करोड़ों-करोड़ों लोगों की सामूहिक शक्ति का भी प्रतीक बनेगा। यहां निॢमत होने वाला राम मंदिर भारतीय संस्कृति की समृद्ध विरासत का द्योतक होगा, अनंतकाल तक पूरी मानवता को प्रेरणा देगा और मार्गदर्शन करता रहेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि भगवान राम की अछ्वुत शक्ति देखिए कि इमारतें नष्ट कर दी गईं, अस्तित्व मिटाने का प्रयास भी बहुत हुआ, लेकिन राम आज भी हमारे मन में बसे हैं, हमारी संस्कृति का आधार हैं। उन्होंने कहा, श्रीराम भारत की मर्यादा हैं, श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। पारंपरिक धोती-कुर्ता पहने प्रधानमंत्री ने इससे पहले भूमि पूजन कर राम मंदिर निर्माण की आधारशिला रखी। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के अंत में ‘सियापति रामचंद्र का जयकारा लगाया। अयोध्या पहुंचने के बाद उन्होंने सबसे पहले हनुमानगढ़ी पहुंचकर हनुमान जी की पूजा-अर्चना की और फिर राम जन्मभूमि क्षेत्र पहुंचकर भगवान राम को दंडवत प्रणाम किया और पारिजात का पौधा लगाया। गत वर्ष नवम्बर में उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या में उस स्थान पर राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ किया था जहां 16वीं शताब्दी की बाबरी मस्जिद को 1992 के दिसम्बर महीने में गिरा दिया गया था। अदालत ने रामजन्मभूमि स्थल को एक न्यास के जरिए मंदिर बनाने को सौंपा, वहीं अयोध्या में ही किसी स्थान पर पांच एकड़ जमीन नई मस्जिद के निर्माण के लिए आवंटित करने का आदेश दिया था।

मंदिर के लिए कई पीढिय़ों ने सब कुछ सर्मिपत कर दिया

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की स्वतंत्रता के लिए चले आंदोलन के समय कई-कई पीढिय़ों ने अपना सब कुछ सर्मिपत कर दिया था। गुलामी के कालखंड में कोई ऐसा समय नहीं था जब आजादी के लिए आंदोलन न चला हो, देश का कोई भूभाग ऐसा नहीं था जहां आजादी के लिए बलिदान न दिया गया हो। उन्होंने कहा, 15 अगस्त का दिन लाखों बलिदानों का प्रतीक है, स्वतंत्रता की भावना का प्रतीक है। ठीक उसी तरह राम मंदिर के लिए कई सदियों तक कई पीढिय़ों ने लगातार प्रयास किया और आज का यह दिन उसी तप, त्याग और संकल्प का प्रतीक है। मोदी ने कहा कि राम मंदिर के लिए चले आंदोलन में अर्पण भी था, तर्पण भी था, संघर्ष भी था, संकल्प भी था। उन्होंने कहा, ”जिनके त्याग, बलिदान और संघर्ष से आज ये स्वप्न साकार हो रहा है, जिनकी तपस्या राम मंदिर में नींव की तरह जुड़ी हुई है, मैं उन सबको आज 130 करोड़ देशवासियों की तरफ से नमन करता हूं।

राम जन्मभूमि आंदोलन के कई नेता नहीं पहुंचे

पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी सहित राम जन्मभूमि आंदोलन के कई नेता आज के भूमि पूजन में आयोजन स्थल पर नहीं थे। कोरोना महामारी के मद्देनजर आयोजकों ने मेहमानों की सूची छोटी रखी और सिर्फ 175 लोगों को आमंत्रित किया था। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास सहित बड़ी संख्या में साधु-संत मौजूद थे। मोदी ने कहा कि श्रीराम ने सामाजिक समरसता को अपने शासन की आधारशिला बनाया था। उन्होंने कहा, प्रभु श्रीराम ने हमें कर्तव्य पालन की सीख दी है। अपने कर्तव्यों को कैसे निभाएं, इसकी सीख दी है। उन्होंने हमें विरोध से निकलकर, बोध और शोध का मार्ग दिखाया है। हमें आपसी प्रेम और भाईचारे के जोड़ से राम मंदिर की इन शिलाओं को जोडऩा है।

पट्टिका का अनावरण, डाक टिकट भी जारी

प्रधानमंत्री ने कहा कि जब-जब मानवता ने राम को माना है, तब-तब विकास हुआ है और जब-जब यह भटकी है, विनाश के रास्ते खुले हैं। उन्होंने कहा कि हमें सभी की भावनाओं का ध्यान रखना है। हमें सबके साथ से, सबके विश्वास से, सबका विकास करना है। अपने संबोधन से पहले, प्रधानमंत्री ने मंदिर निर्माण की आधारशिला से संबंधित एक पट्टिका का अनावरण किया और इस मौके पर ‘श्री राम जन्मभूमि मंदिर से संबंधित विशेष डाक टिकट भी जारी किया। मंदिर निर्माण की आधारशिला को प्रतिद्वंद्वियों पर भाजपा की वैचारिक जीत के रूप में देखा जा रहा है। राम मंदिर का निर्माण भाजपा के घोषणापत्र में शामिल रहा है और पिछले तीन दशकों से यह मुद्दा उसकी राजनीति के केंद्र में था।

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