नई दिल्ली/ खुशबू पाण्डेय : रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnav) ओडिशा के बालासोर ट्रेन हादसे (balasore train accident) के बाद बचाव एवं राहत कार्य की समीक्षा कर मंगलवार को दिल्ली लौट आए। दिल्ली आते ही दिनभर हाईलेवल बैठकें चलती रहीं। रेलवे बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक करने के बाद वैष्णव शाम को जोनल रेलवे के महाप्रबंधकों (GM) और मंडल रेल प्रबंधकों (DRM) के साथ बैठक की। सूत्रों के मुताबिक शाम की बैठक डिजिटल माध्यम से हुई जो देर रात तक चली। रेल बोर्ड के अधिकारियों के साथ बैठक में मंत्री ने अधिकारियों को ऐसी योजना बनाने का निर्देश दिया कि रेलवे नेटवर्क से बाहरी तत्व छेड़छाड़ न कर सकें। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन (CRB) ने सभी महाप्रबंधकों को यह सुनिश्चित करने के सोमवार को निर्देश जारी किए थे कि सिग्नल प्रणाली संबंधी प्रोटोकॉल से किसी प्रकार की छेड़छाड़ न हो सके।
– रेलवे बोर्ड के सदस्यों एवं अधिकारियों के साथ किया चर्चा, दिए निर्देश
-शाम को सीआरबी ने सभी GM एवं DRM के साथ लंबी बैठक
– बैठक में रेलवे नेटवर्क में संरक्षा से जुड़े विषयों पर गहन विचार मंथन हुआ
– महत्वपूर्ण सिग्नल एवं टेलीकॉम प्रणाली एवं ट्रैक रखरखाव पर ध्यान जोर
रेलवे बोर्ड की ओर से पहले बताया गया था कि इस बैठक की अध्यक्षता रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव करेंगे लेकिन बाद में इस बैठक की संचालन रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी अनिल कुमार लाहौटी ने की। हालांकि रेल मंत्री इस दौरान रेल भवन में ही मौजूद रहे। करीब चार घंटे तक चली इस बैठक के समाप्त होने के बाद ही रेल मंत्री बाहर निकले। इससे पहले रेल मंत्री ने दिन में रेलवे बोर्ड की पूर्ण बैठक की अध्यक्षता करके संरक्षा संबंधी मामलों की विस्तृत समीक्षा की।
सूत्रों ने बताया कि शाम करीब सवा पांच बजे शुरू हुई इस बैठक में रेलवे नेटवर्क में संरक्षा से जुड़े विषयों पर गहन विचार मंथन हुआ। इनमें सबसे महत्वपूर्ण सिग्नल एवं टेलीकॉम प्रणाली एवं ट्रैक रखरखाव पर ध्यान दिया गया। यह भी कहा गया कि जिन कोचों एवं वैगनों की आयु पूरी हो गयी हो, किसी भी कीमत में उनका उपयोग नहीं किया जाए। रेलवे के समक्ष वर्तमान में संरक्षा संबंधी जो अन्य मुद्दे हैं, उनमें टक्कररोधी तकनीक कवच तथा एंटी फॉगिंग उपकरणों से जल्द से जल्द पूरे रेलवे नेटवर्क एवं ट्रेनों को सुसज्जित करना, पटरियों का नवीकरण का बकाया काम पूरा करना, संरक्षा संबंधी पदों पर तैनाती सुनिश्चित करना शामिल हैं।
बताया गया है कि बैठक में रेल हादसेे की जांच केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपे जाने के बाद रेलवे एवं केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के बीच सूचनाओं एवं डाटा के आदान प्रदान और सहयोग के बारे में भी बात हुई है। क्योंकि ओडिशा के बालासोर जिले के बहनगा बाज़ार स्टेशन पर गत शुक्रवार की शाम हुई दुर्घटना में इलैक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग में गड़बड़ी के संकेत मिल रहे हैं, इसलिए रिले रूम की सुरक्षा एवं इसकी मानक परिचालन प्रक्रिया के अनुपालन पर जोर दिया जा रहा है।
बता दें कि रेलवे बोर्ड (railway board) ने सोमवार को इस बारे में सभी सभी ज़ोनल महाप्रबंधकों तथा कोंकण रेलवे एवं भारतीय समर्पित मालवहन गलियारा निगम लिमिटेड (DFCCIL ) के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशकों को पत्र लिख कर सिग्नल संबंधी संरक्षा कार्यों के लिए एक अभियान चलाने का निर्देश दिया है। इसमें रिले रूम की दोहरी लॉकिंग को सुनिश्चित करना और खोलने एवं बंद करने के पहले लॉग भरना एवं एसएमएस एलर्ट सुनिश्चित करना शामिल करना शामिल है। पत्र में यह भी कहा गया है कि इस दिशा में जो भी कमियां या अनियमितताएं पायीं जायें, उन पर समुचित कार्रवाई करके 14 जून तक रेलवे बोर्ड को सूचना दी जाए।
गौरतलब है कि ओडिशा के बालासोर में कोरोमंडल एक्सप्रेस दो जून को लूप लाइन पर खड़ी एक मालगाड़ी से टकरा गई, जिससे कोरोमंडल एक्सप्रेस के अधिकतर डिब्बे पटरी से उतर गए। उसी समय वहां से गुजर रही तेज रफ्तार बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस के कुछ डिब्बे कोरोमंडल एक्सप्रेस से टकरा कर पटरी से उतर गए। इस हादसे में कम से कम 288 लोगों की मौत हो गई, जबकि 900 से अधिक लोग घायल हैं। सूत्र संकेत देते हैं कि घटना की प्रारंभिक जांच के बाद न केवल सिग्नल प्रणाली में हस्तक्षेप का पता चला है, बल्कि एक संभावित मानवीय लापरवाही का भी पता चला है। उन्होंने संकेत दिया कि जहां सिग्नल प्रणाली स्थापित है, उस रिले कक्ष का दरवाजा खुला रखा गया था। बहरहाल, यहां अधिकारियों ने इसकी पुष्टि नहीं की है। मंत्री ने हादसे के बाद दावा किया कि इंटरलॉक प्रणाली में बदलाव किया गया था जो एक आपराधिक कृत्य है, लेकिन रेल अधिकारियों का कहना है कि यह प्रणाली छेड़छाड़ और असफल होने के मामले में 99 प्रतिशत तक अभेद्य है।