- चार ट्रेनों ने ही लिया 72 घंटे से ज्यादा वक्त: रेलवे बोर्ड
- भारतीय रेलवे ने ट्रेनों में भूख से हुई मौतों को किया खारिज
- अचानक ट्रेनों की मांग बढ़ने के चलते कुछ जगहों पर हुआ कंजेशन
- भारतीय रेलवे ने बीमार लोगों से की अपील, वर्तमान में यात्रा करने से बचें
- 3840 में से 1.8 फीसदी ट्रेन यानी 71 ट्रेन ही डाइवर्ट की गईं
नई दिल्ली/टीम डिजिटल : कोविड-19 के चलते देशव्यापी लॉक डाउन होने के बाद देशभर में फंसे श्रमिकों एवं अन्य लोगों को उनकी मंजिल पर पहुंचाने के लिए चलाई गई श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेनें भटकी नहीं बल्कि अपने सिस्टम के अनुसार ही चल रही थी। रेलवे के सिस्टम और राज्य सरकारों से बातचीत के अनुसार ही ट्रेनों को डाइवर्ट किया जा रहा है। रेलवे ने राज्य सरकारों के साथ मिलकर ऐसी व्यवस्था बनाई है कि वह कभी भी ट्रेन को डायवर्ट कर सकते हैं। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव ने आज ट्रेनों के भटकने की खबरों को सिरे से खारिज कर दिया। साथ ही कहा कि 4 ट्रेनों ने ही 72 घंटे के अंतराल में पहुंची हैं।
इस मौके पर बोर्ड चेयरमैन ने ट्रेन में हुई मौतों पर अफसोस जताया। साथ कहा कि बिना सटीक आंकड़ों के संख्या को नहीं बताया जा सकता। कई श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के कई दिनों बाद अपने निर्धारित स्थान पर पहुंचने की खबर को भी रेलवे ने गलत बताया। उन्होंंने कहा कि 3840 ट्रेनों में से 4 ट्रेन ही ऐसी हैं जिन्होंने लक्ष्य तक पहुंचने में 72 घंटे से ज़्यादा का वक़्त लिया। ये भी 4 दिन से ज़्यादा समय में पहुंच गई। उन्होंने साफ किया कि एक ट्रेन के 9 दिन में पहुंचने संबंधी खबर झूठी है। मंत्रालय के अनुसार, 3840 में से 1.8 फीसदी ट्रेन यानी 71 ट्रेन ही डाइवर्ट की गईं और ये डायवर्सन भी 20-24 मई के दौरान ही हुआ। इसी दौरान अधिक व्यस्तता रही। रेल मंत्रालय के अनुसार, इस बीच 90 फीसदी ट्रेन यूपी और बिहार जाने वाले ही थीं, इनमें से 3 दिन से ज़्यादा वक़्त सिर्फ 4 ट्रेनों ने लिया।
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वीके यादव ने दावा किया कि पिछले हफ्ते 20 लाख मुसाफिरों को हमने पहुंचाया औसतन रोजाना करीब 3 लाख। 3840 में से 3836 ट्रेनों ने 72 घण्टे से कम का वक़्त लिया। 90फीसदी यानी 3500 ट्रेन मेल एक्सप्रेस की एवरेज स्पीड से ज़्यादा पर गयी है, केवल 10 फीसदी ट्रेन 5 घंटे या उससे ज़्यादा लेट हुई। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन के अनुसार, श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में 30 से ज़्यादा डिलीवरी करवाई गई है। अब श्रमिक ट्रेन की मांग कम हुई है। वक़्त और हालात बेहतर नहीं, जैसे खाना खिला सकते हैं, खिलाया है। उन्होंने बताया कि 10 घंटे के अंतराल में ट्रेन चलाई गई ताकि पैसेंजर ठीक समय पर पहुंचे। ट्रेक व्यस्तता का यह भी एक कारण रहा। उन्होंने कहा कि बिहार और यूपी से डिमांड अचानक आई और हमने 20-24 मई के दैरान औसतन 250 ट्रेन रोज़ाना चलाईं। इसी बीच थोड़ा कुछ जगहों पर दिक्कतें जरूर हुई लेकिन उसे जल्दी से हल कर लिया गया।
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रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वीके यादव ने श्रमिक स्पेशल ट्रेनो को लेकर कहा ट्रेनें तैयार हैं और जैसे ही राज्यों की ओर से इन्हें चलाने की इजाजत मिलेगी, तुरंत ही इन्हें चला दिया जाएगा। साथ ही उन्होंने श्रमिक भाई बहनों से गुहार लगाई कि जो भी श्रमिक भाई-बहन जहां भी हों, वहां रहें। राज्यों से इजाजत मिलते ही ट्रेनें चला दी जाएंगी। रेलवे के अनुसार 80 फीसदी श्रमिक यूपी-बिहार में गए हैं। रेलवे और राज्यों की मदद से करीब 52 लाख लोगों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया गया।
उन्होंने ये भी कहा कि कई जगहों से खाने-पीने की दिक्कतें होने की सूचनाएं मिलीं। कई जगह लोकल बसों को लेकर दिक्कत आई। ऐसे में वहां पर लोकल ट्रेनें चलाई गईं, ताकि श्रमिक भाई-बहन अपने घर पहुंच सकें। ट्रेनें दोपहर 2 बजे से रात 12 बजे तक के बीच चलाई गईं। खाने-पीने की व्यवस्था करने में काफी समय लगा, इसलिए सुबह से दोपहर तक के समय में ट्रेनें नहीं चलाई जा सकीं।
श्रमिक ट्रेनों में 30 से अधिक महिलाओं की डिलीवरी हुईं
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वीके यादव ने कहा कि कुछ गर्भवती महिलाओं ने ट्रेन में यात्रा की और उनकी मदद के लिए भारतीय रेल के डॉक्टर और नर्स वहां समय से पहुंच गए। कहीं किसी को कोई दिक्कत हुई तो ट्रेन रास्ते में ही रोककर उसके पास डॉक्टर पहुंचे। 1 मई से लेकर 27 मई के बीच 30 से अधिक महिलाओं की सफल डिलीवरी कराई गई।
रेलवे ने मीडिया से कहा असली खबर चलाएं देश हित में
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कई बार मीडिया से अपील की कि वह सत्य खबरों को ही चलाएं क्योंकि इस समय महामारी का दौर है और एक गलत खबरें मुश्किलें पैदा कर देती हैं । लिहाजा तथ्यों के साथ और देश हित में सही खबर चलाएं। प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक बात पर बार बार जोर दिया कि फेक न्यूज पर ध्यान ना दें। किसी भी ट्रेन को पहुंचने में 9 दिन नहीं लगे। कोई भी ट्रेन अपने रास्ते से नहीं भटकी। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने मीडिया से पुष्ट खबरें ही चलाने को कहा और लोगों से अफवाहों और फेक न्यूज पर ध्यान ना देना का आग्रह किया। रेलवे ने कहा कि गलत खबरों से रेलवे के 12 लाख कर्मचारियों का मनोबल कमजोर होगा।
श्रमिक ट्रेनों में हुई मौत की हो रही है जांच
सीआरबी वीके यादव ने कहा कि कई तरह की खबरें आ रही हैं कि कुछ लोगों की भूख से मौत हो गई, ये सही नहीं है। अभी जांच हो रही है कि आखिर किसी की मौत का कारण क्या था। पूरी जांच के बाद ही मौतों का आंकड़ा दिया जा सकता है। यह जरूर है कि कुछ मौतें हुई हैं जिनमें एकाध ट्रेनों में और एकाध स्टेशनों पर पहुंचने के बाद जिसकी जीआरपी गहराई से जांच पड़ताल कर रही है। पूरी रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा कि श्रमिक ट्रेनों में कितने लोगों की मौतें हुई हैं।