—’ मेक इन इंडिया ‘ की राह पर चला भारतीय रेलवे
-आत्म निर्भर भारत मिशन के लिए भारतीय रेल ने बढ़ाए कदम
-रेलमंत्री पीयूष गोयल की अध्यक्षता में हुई बैठक में फैसला
-रेलवे हर साल 70,000 करोड़ रुपये की करती है खरीद
–लोकल वेंडर के लिए टेंडर प्रक्रिया भी होगी सरल
(खुशबू पाण्डेय)
नई दिल्ली /टीम डिजिटल : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीन प्रमुख फैसलों ‘मेक इन इंडिया’, ‘आत्म निर्भर भारत’ और ‘लोकल’ को भारतीय रेलवे अपने यहां पूरी तरह से अमलीजामा पहना रहा है। इसके तहत भारतीय रेलवे अब लोकल वेंडरों से ही रेलवे में इस्तेमाल होने वाले ज्यादातर सामान, वस्तुएं एवं सेवाओं की खरीद करेगा। इससे मेक इन इंडिया को बढ़ावा मिलेगा और आत्म निर्भर भारत मिशन भी कामयाब होगा। साथ ही लोकल कंपनियों के सामान भी रेलवे में इस्तेमाल होने लगेगा। रेलवे हर साल 70,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की वस्तु एवं सेवाओं की खरीद करती है। रेल मंत्री पीयूष गोयल की अध्यक्षता में हुई हाईलेवल बैठक में यह फैसला लिया गया है।
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इस मौके पर रेलवे की खरीद प्रक्रिया में मेक इन इंडिया उत्पादों को प्रोत्साहन देने के लिए उठाए जा रहे कदमों की समीक्षा की गई। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने भारतीय रेल से भ्रष्टाचार मुक्त और पारदर्शी खरीद का वातावरण विकसित करके उद्योग में भरोसा पैदा करने से लिए जरूरी कदम उठाने को कहा है। इसके अलावा खरीद प्रक्रिया में मेक इन इंडिया उत्पादों को प्रोत्साहन देने से जुड़े कदमों की समीक्षा करते हुए खरीद की प्रक्रिया में स्थानीय वेंडर्स की भागीदारी बढ़ाने पर जोर दिया गया। यह भी फैसला लिया गया कि खरीद में स्थानीय सामग्री का नियम ऐसा होना चाहिए कि स्थानीय वेंडर्स,आपूर्तिकर्ताओं से ज्यादा निविदाएं हासिल हो सकें।
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इससे भी आत्म निर्भर भारत मिशन को बढ़ावा मिलेगा। इस दिशा में भारतीय रेल के प्रयासों को सुनिश्चित करने के लिए डीपीआईआईटी के सक्रिय सहयोग की मांग की गई, जिससे आवश्यकता पडऩे पर उपयुक्त नीतिगत बदलाव किए जा सकें। इसके अलावा ऐसे वेंडर्स को प्रोत्साहित किए जाने की जरूरत है, जो अधिकांश स्थानीय स्तर पर विनिर्मित सामग्री की आपूर्ति कर सकें। इसके लिए एक एफएक्यू भाग और एक हेल्पलाइन बनाने का भी सुझाव दिया गया, जिससे वेंडर्स को खरीद प्रक्रिया से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर स्पष्टता रहे।
भ्रष्टाचार मुक्त सार्वजनिक खरीद करने के तरीकों पर चर्चा
इस दौरान भारत में भ्रष्टाचार मुक्त सार्वजनिक खरीद का वातावरण तैयार करने के तरीकों पर चर्चा की गई, जिसमें रेल मंत्रालय, डीपीआईआईटी और जीईएम को अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। भारतीय रेल के विकास के सफर में ज्यादा से ज्यादा स्वदेसी वेंडर्स की भागीदारी के लिए उद्योग को जोडऩे की आवश्यकता पर जोर दिया गया। बैठक में रेल राज्य मंत्री सुरेश सी अंगडी, रेलवे बोर्ड के सदस्य, सीईओ/जीईएम और डीपीआईआईटी, वाणिज्य मंत्रालय के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस अवसर पर सदस्य (सामग्री प्रबंधन), रेलवे द्वारा मेक इन इंडिया को प्रोत्साहन और जीईएम के माध्यम से खरीद के लिए उठाए जा रहे कदमों पर एक विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया गया।
रेलवे सभी गतिविधियों के लिए अलग प्लेटफार्म बनाएगा
यह फैसला लिया गया कि रेलवे अपनी सभी गतिविधियों के लिए उपयोग के अनुकूल सिंगल स्टेप वेब आधारित इंटरफेस विकसित करने की दिशा में काम करेगी। वेबसाइट पारदर्शी होनी चाहिए, साथ ही हर इच्छुक वेंडर को भारतीय रेल के काम के तरीके से अवगत कराना चाहिए। वेबसाइट में भारतीय रेल के भ्रष्टाचार मुक्त होने और पारदर्शी माहौल होने का भरोसा दिलाने वाली सभी उपयुक्त जानकारियां होनी चाहिए।
खरीद प्रणालियों को जीईएम के साथ एकीकृत कर रही
भारत सरकार की सबसे बड़ी खरीद एजेंसियों में से एक भारतीय रेलवे जीईएम की पूरी क्षमताओं के उपयोग के लिए अपनी खरीद प्रणालियों को जीईएम के साथ एकीकृत कर रही है। विभाग ने भारतीय रेलवे की ई-खरीद प्रणाली को जीईएम के साथ एकीकृत करने के लिए समयसीमा साझा की। रेलवे ने किसी भी प्रकार के मैनुअल इंटरफेस (संपर्क) की जरूरत को खत्म करने के लिए दो प्रणालियों के निरंतर एकीकरण की आवश्यकता पर जोर दिया।
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रेलवे की खरीद को पूरी तरह से जीईएम पर ले जाने के लिए दोनों प्रणालियों रेलवेज आईआरईपीएस और जीईएम के बीच तालमेल कायम किया जाना चाहिए। जीईएम के एकीकरण के बाद भारत सरकार का सभी एजेंसियों के लिए एकल बिंदु सार्वजनिक खरीद पोर्टल की दिशा में आगे बढऩे का इरादा है। बैठक में भारतीय सेवा प्रदाताओं और कलपुर्जा विनिर्माताओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए रणनीतियां बनाने की आवश्यकता महसूस की गई। रेलमंत्री पीयूष गोयल ने बाजार को उद्योग के लिए विशेष रूप से दूरदराज के इलाकों और एमएसएमई के लिए खोलकर जीईएम प्लेटफॉर्म से रेलवे की लगभग 70 हजार करोड़ रुपये की वस्तु एवं सेवाओं को खरीदने पर जोर दिया।

