नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में ‘हर घर तिरंगा’ अभियान (Har Ghar Tiranga Abhiyan) ने एक नया रंग लिया है। यहां बिहान योजना से जुड़ी स्व-सहायता समूह (Self-Help Groups) की दीदियां देशभक्ति के साथ-साथ अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में भी जुट गई हैं। गनियारी की नारी शक्ति गारमेंट फैक्ट्री में 30 से ज्यादा स्व-सहायता समूहों की 100 से अधिक महिलाएं दिन-रात तिरंगा झंडा तैयार करने में लगी हैं। इन दीदियों को डेढ़ लाख तिरंगे बनाने का ऑर्डर मिला है, जिसे वे पूरे जोश और उत्साह के साथ पूरा कर रही हैं। इस मौके पर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री का दिल से आभार जताया है।
आजादी का अमृत महोत्सव और हर घर तिरंगा अभियान (Har Ghar Tiranga Abhiyan)
‘हर घर तिरंगा’ अभियान (Har Ghar Tiranga Abhiyan) केंद्र सरकार की ओर से आजादी के अमृत महोत्सव के तहत शुरू किया गया है। इस अभियान का मकसद हर भारतीय के घर, दुकान और ऑफिस में तिरंगा लहराना है। बिलासपुर में इस अभियान को सफल बनाने के लिए बिहान की दीदियां अहम भूमिका निभा रही हैं। गनियारी की नारी शक्ति गारमेंट फैक्ट्री में तिरंगे के साथ-साथ बैज (Badges) भी तैयार किए जा रहे हैं। इन तिरंगों को जिले के अलग-अलग संस्थानों और आम लोगों तक पहुंचाया जाएगा। इस अभियान ने न केवल देशभक्ति को बढ़ावा दिया है, बल्कि स्थानीय महिलाओं को रोजगार का एक बड़ा अवसर भी प्रदान किया है।
स्व-सहायता समूहों की दीदियों की मेहनत
नारी शक्ति गारमेंट फैक्ट्री में काम करने वाली महिलाएं इस काम को सिर्फ रोजगार का जरिया नहीं मानतीं, बल्कि इसे देशभक्ति और आत्मसम्मान का प्रतीक भी मानती हैं। फैक्ट्री की पीआरपी संतोषी साहे ने बताया कि तिरंगा निर्माण के साथ-साथ बैज बनाने का काम भी जोर-शोर से चल रहा है। बिलासपुर में करीब दो लाख दीदियां स्व-सहायता समूहों से जुड़ी हैं। तिरंगे और अन्य प्रोडक्ट्स की बिक्री से इन समूहों की आर्थिक स्थिति में काफी सुधार हुआ है। यह अभियान दीदियों के लिए एक सुनहरा मौका है, जिससे वे आत्मनिर्भर बन रही हैं।
तिरंगे की कीमत और बिक्री
जिला पंचायत के सीईओ संदीप अग्रवाल ने बताया कि इस साल बिलासपुर में करीब डेढ़ लाख तिरंगे बिकने की उम्मीद है। एक तिरंगे की लागत लगभग 18 रुपये है। इसे होलसेल में 25 रुपये और रिटेल में 30 रुपये में बेचा जा रहा है। जिला पंचायत परिसर में स्व-सहायता समूहों ने स्टॉल लगाए हैं, जहां से लोग आसानी से तिरंगा खरीद सकते हैं। इस अभियान से न केवल देशभक्ति का जज्बा बढ़ रहा है, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी पैदा हो रहे हैं।
दीदियों का आभार और भविष्य की उम्मीदें
बिहान की दीदियों का कहना है कि इस अभियान (Har Ghar Tiranga Abhiyan) ने उन्हें नई पहचान दी है। तिरंगा बनाना उनके लिए सिर्फ काम नहीं, बल्कि देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने का मौका है। वे उम्मीद करती हैं कि भविष्य में भी ऐसे अभियान चलते रहेंगे, जिससे वे अपनी मेहनत से और ज्यादा आत्मनिर्भर बन सकें। इस अभियान ने बिलासपुर की महिलाओं को न केवल आर्थिक रूप से मजबूत किया है, बल्कि उनकी देशभक्ति को भी नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है।
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