35.1 C
New Delhi
Friday, March 29, 2024

आतंकी यासीन मलिक उम्रकैद की सजा

नई दिल्ली/ नेशनल ब्यूरो : कश्मीर में आतंकी व अलगाववादी गतिविधियों के लिए टेरर फंडिंग दोषी यासीन मलिक अब आखिरी सांस तक जेल में रहेगा। बुधवार को दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट के विशेष एनआइए न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने यासीन मलिक को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई। उस पर विभिन्न धाराओं के तहत 10 लाख 75 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। अदालत ने 19 मई को मलिक को दोषी करार दिया था। 2017 में एनआइए ने उसे गिरफ्तार किया था, तब से वह जेल में ही है।
आतंकी संगठन जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के चेयरमैन यासीन मलिक को बुधवार को कड़ी सुरक्षा में पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया। अदालत ने सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद कहा कि अदालत अपना निर्णय साढ़े तीन बजे सुनाएगी। यह समय कई बार बढ़ाया गया। आखिर शाम करीब छह बजे विशेष न्यायाधीश ने अपना निर्णय पढ़ना शुरू किया।

—टेरर फंडिंग केस में दिल्‍ली की एनआइए कोर्ट ने मलिक को सुनाई सजा
— मलिक पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया

इससे पूर्व सजा पर बहस के दौरान यासीन के तेवर बदले हुए नजर आए। 10 मई को उसने सभी आरोप स्वीकार किए थे, लेकिन बुधवार को उसने कहा कि वह कभी भी हिंसात्मक गतिविधि में शामिल नहीं रहा। खुफिया एजेंसियों के आरोप सही नहीं हैं। एजेंसी किसी भी आरोप को सिद्ध नहीं कर सकती। इस पर विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने कहा कि आरोपों के खिलाफ बात रखने का समय दिया गया था। अब अपनी सजा कम कराने को लेकर पक्ष रखे। इस पर यासीन ने कहा कि अदालत जो चाहे तय कर सकती है। हालांकि, अदालत की ओर से नियुक्त न्याय मित्र ने मामले में न्यूनतम सजा के रूप में आजीवन कारावास की मांग की। इससे पहले एनआइए ने मृत्युदंड की मांग की थी।
बहस के दौरान एनआइए ने कोर्ट को बताया कि यासीन घाटी से कश्मीरी हिंदुओं के पलायन के लिए जिम्मेदार है। उसने पाकिस्तानी संगठनों की मदद से धन जुटाकर घाटी में पत्थरबाजी और आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया। एनआइए ने कोर्ट को बताया कि मलिक की मासिक आय 50 हजार रुपये है। घाटी के अलग अलग स्थानों में उसके नाम पर जमीन भी है। यासीन मलिक के परिवार में कुल 12 सदस्य हैं।

यासीन पर आतंकी हिंसा, हवाला, कत्ल, अपहरण समेत लगभग 60 मामले में विभिन्न थानों में दर्ज हैं। 1994 में जेल से छूटने के बाद 1998 तक वह कई बार पकड़ा गया और कभी एक माह तो कभी तीन माह बाद जेल से छूट जाता रहा है। अक्टूबर 1999 में उसे पीएसए के तहत बंदी बनाया गया, लेकिन कुछ समय बाद जेल से छूट गया। 26 मार्च 2002 को उसे आतंकी गतिविधियां रोकथाम कानून (पोटा) के अंतर्गत गिरफ्तार किया गया था। मार्च, 2020 में यासीन मलिक और उसके साथियों पर टाडा अधिनियम, सशस्त्र अधिनियम 1959 के अंतर्गत 25 जनवरी 1990 को रावलपोरा, श्रीनगर में वायुसेना अधिकारियों पर हमले के आरोप तय हुए। इस हमले में वायुसेना के चार अधिकारी बलिदान हुए थे। यासीन पर दिसंबर, 1989 में तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की छोटी बेटी रूबिया के अपहरण का मामला भी विचाराधीन है।

कश्मीरी हिंदुओं को पलायन के लिए किया था मजबूर

यासीन ने 1980 में तला पार्टी के नाम से एक अलगाववादी गुट तैयार किया। तला पार्टी 1986 में इस्लामिक स्टूडेंट्स लीग बनी और मलिक उसका महासचिव था। 1987 में मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट के बैनर तले अलगाववादी विचाराधारा के विभिन्न संगठनों ने जमात-ए-इस्लामी का चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में मलिक व उसके साथ यूसुफ शाह पोलिंग एजेंट थे। यूसुफ शाह ही हिजबुल का सुप्रीम कमांडर सैयद सलाहुद्दीन है। यासीन उन चार आतंकियों में एक है, जो तथाकथित तौर पर सबसे पहले आतंकी ट्रेनिंग लेने पाकिस्तान गए थे। इन चार आतंकियों को हयाजी ग्रुप कहा जाता रहा है। यासीन ने 1983 में अपने साथियों के साथ मिलकर भारत-वेस्टइंडीज के बीच मैच से पहले श्रीनगर के शेरे कश्मीर क्रिकेट स्टेडियम में पिच खोद दी थी। 1987 के बाद यासीन व उसके साथी कश्मीर की आजादी के नारे के साथ मुस्लिमों को बरगलाने लगे। इन्होंने कश्मीरी हिंदुओं को चुन-चुनकर मारा और उन्हें कश्मीर छोड़ने के लिए मजबूर किया। 2009 में उसने पाकिस्तान की रहने वाली मुशाल मलिक से शादी की। मुशाल मलिक एक चित्रकार है। दोनों की एक बेटी रजिया सुल्तान है जो वर्ष 2012 में पैदा हुई है। 2013 में उसने पाकिस्तान में लश्कर के सरगना हाफिज सईद के साथ मिलकर कश्मीर में सुरक्षा बलों पर मानवाधिकारों के हनन का आरोप लगाते हुए धरना दिया था।

latest news

Related Articles

epaper

Latest Articles