33.1 C
New Delhi
Tuesday, May 20, 2025

पत्नी अपने Husband द्वारा खरीदी गई संपत्ति में बराबर की हकदार

नई दिल्ली /खुशबू पाण्डेय । मद्रास उच्च न्यायालय (Madras High Court) ने फैसला सुनाया है कि एक पत्नी (Wife) अपने पति (Husband) द्वारा खरीदी गई संपत्ति में बराबर की हकदार है और कहा है कि पत्नी द्वारा निभाई गई विभिन्न भूमिकाओं को पति की आठ घंटे की नौकरी से कम नहीं आंका जा सकता। न्यायमूर्ति कृष्णन रामासामी ने हाल में एक दंपती से जुड़े संपत्ति विवाद (property dispute) पर आदेश दिया। हालांकि मूल अपीलकर्ता की मौत हो गई है। व्यक्ति ने संपत्ति पर स्वामित्व का दावा जताते हुए आरोप लगाया था कि उसकी पत्नी विवाहेतर संबंध में शामिल थीं। बाद में व्यक्ति की मृत्यु के बाद उनके बच्चों को मामले में शामिल किया गया। न्यायाधीश ने कहा कि प्रतिवादी महिला एक गृहिणी है और भले ही उसने कोई प्रत्यक्ष वित्तीय योगदान नहीं दिया, लेकिन उसने बच्चों की देखभाल, खाना बनाना, सफाई करना और परिवार के दैनिक मामलों का प्रबंधन करके घरेलू कामकाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। न्यायाधीश ने कहा कि प्रतिवादी महिला ने अपने पति की हर सुविधा का ख्याल रखा, जिसके कारण वह (पति) काम के लिए विदेश जा सका। अदालत ने कहा, इसके अलावा, उसने अपने सपनों का बलिदान दिया और अपना पूरा जीवन परिवार एवं बच्चों के लिए समर्पित किया। न्यायाधीश ने कहा, विवाह में पत्नी बच्चों को जन्म देती है, उनका पालन-पोषण करती है और घर की देखभाल करती है।

—अदालत ने एक दंपती से जुड़े संपत्ति विवाद पर आदेश दिया
—महिला ने अपने पति की हर सुविधा का ख्याल रखा

इस प्रकार वह अपने पति को उसकी आर्थिक गतिविधियों के लिए मुक्त कर देती है। चूंकि महिला अपना दायित्व निभाती है, जो पति को अपना काम करने में सक्षम बनाता है। इसलिए वह (पत्नी) इसके लाभ में हिस्से की हकदार है। न्यायाधीश ने कहा कि महिला एक गृहिणी होने के नाते कई तरह के कार्य करती है। वह प्रबंधक, रसोइया, घरेलू चिकित्सक और वित्तीय कौशल के साथ घर की अर्थशास्त्री भी होती है। अदालत ने कहा, इसलिए, इन कौशलों का प्रदर्शन करके एक पत्नी घर का आरामदायक माहौल बनाती है और परिवार के प्रति अपना योगदान देती है। निश्चित रूप से यह कोई मूल्यहीन कार्य नहीं है, बल्कि यह बिना छुट्टियों के 24 घंटे वाली नौकरी है, जिसे उस कमाऊ पति की नौकरी से बिल्कुल कम नहीं आंका जा सकता, जो केवल आठ घंटे काम करता है। अदालत ने कहा कि पति और पत्नी को परिवार की गाड़ी के दो पहियों के रूप में माना जाता है, तो पति द्वारा कमाई करके या पत्नी द्वारा परिवारद एवं बच्चों की सेवा तथा देखभाल करके किया गया योगदान परिवार कल्याण के लिए होगा और दोनों इसके हकदार हैं, जो उन्होंने संयुक्त प्रयास से कमाया है। न्यायाधीश ने कहा, उचित धारणा यह है कि लाभकारी हित संयुक्त रूप से उनका है। संपत्ति अकेले पति या पत्नी के नाम पर खरीदी जा सकती है, लेकिन फिर भी, इसे उनके संयुक्त प्रयासों से बचाए गए धन से खरीदा जाता है। अदालत ने कहा कि मौजूदा मामले में, यदि प्रतिवादी (पत्नी) नहीं होती, तो निश्चित रूप से, वादी (मृत व्यक्ति) विदेश नहीं जाता और सारा पैसा नहीं कमाता। न्यायाधीश ने कुछ अचल संपत्ति में दोनों के लिए समान हिस्सेदारी का आदेश सुनाया।

latest news

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Related Articles

Delhi epaper

Prayagraj epaper

Latest Articles