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Thursday, March 28, 2024

एडवांस एज महिलाओं के मां बनने के लिए एग डोनर्स हैं वरदान

नई दिल्ली /अदिति सिंह:  शादी के बाद हर कपल का सपना होता है कि उनके घर नन्हें मेहमान आएं और घर की खुशियां डबल हो जाएं। दादा-दादी और नाना-नानी बनने का ख्वाब भी हर इंसान देखता है। कई बार महिलाओं या पुरुषों को ऐसी समस्याएं हो जाती हैं कि उनकी पेरेंट्स बनने की ख्वाहिश पूरी नहीं हो पाती। इंदिरापुरम के गुंजन आईवीएफ वर्ल्ड में एक 45 साल की महिला ने ट्विन्स को जन्म दिया है। 15 साल तक लगातार कोशिश करने के बाद उनके आंगन में किलकारियां गूंजी हैं। महिला ने दो प्यारी बेटियों को जन्म दिया है।

-15 साल तक फर्टिलिटी की समस्या से जूझ रही महिला के घर गूंजी किलकारियां
-गुंजन आईवीएफ वर्ल्ड में एक 45 साल की महिला ने ट्विन्स को जन्म दिया

ये महिला 15 साल से मां बनने की कोशिश कर रही थी, लेकिन मिसकैरेज के चलते ये संभव नहीं हो पा रहा था। अलग-अलग अस्पतालों में लंबे समय तक इलाज के बाद भी महिला कंसीव नहीं कर पा रही थी और एक बार अपने ट्विन्स भी खो चुकी थी। एडवांस तकनीक के इस्तेमाल से इस महिला का मां बनने संभव हो सका। आर्टिफिशियल रिप्रोडक्टिव तकनीक और आईवीएफ स्पेशलिस्ट टीम की सहायता से 45 साल से ज्यादा उम्र की महिलाएं कंसीव कर पा रही हैं और मदरहुड को एन्जॉय कर रही हैं।

एडवांस एज महिलाओं के मां बनने के लिए एग डोनर्स हैं वरदान

जिस कपल के घर हाल में ट्विन्स सिस्टर्स आई हैं वो यूपी के बुलंदशहर से है। 2007 से ये लोग फर्टिलिटी की समस्या से जूझ रहे थे और लगातार लोकल अस्पतालों में इलाज करा रहे थे। लंबे समय तक इलाज के बावजूद इन्हें निराशा ही मिली। साल 2018 में गुंजन आईवीएफ वर्ल्ड द्वारा आयोजित एक हेल्थ कैम्प में ये कपल पहुंचा और आईवीएफ की प्रक्रिया को समझा। कपल की अच्छे तरह से जांच की गई। आईवीएफ ट्रीटमेंट से पहले लैप्रोस्कोपी और हीस्टरोस्कोपी की गई। गुंजन आईवीएफ वर्ल्ड ग्रुप की संस्थापक और चेयरमैन डॉ. गुंजन गुप्ता ने इस बारे में बताया कि, किन्हीं वजहों से पहली साइकिल सफल नहीं हो सकी थी। जिसके बाद हमने फ्रोजन एम्ब्रयो ट्रांसफर किया और आईवीएफ सक्सेसफुल रहा।

प्रेग्नेंसी के छठे महीने में रुटीन चेकअप के दौरान पाया गया कि महिला को यूरिनरी इंफेक्शन है। इससे बेबीज के लिए भी रिस्क था। पेशंट को उनके होमटाउन में ही अस्पताल में भर्ती कराया गया और बदकिस्मती से ज्यादा इंफेक्शन के कारण बेबीज को नहीं बचाया जा सका। इस घटना के बाद कपल पूरी तरह टूट गया और बिखर गया. कुछ दिन बाद कपल हमारे पास फिर से आया। परिवार मुश्किलों में था। ऐसे में उन्हें इस बार डोनर प्रोग्राम के बारे में राय दी गई। इस प्रोग्राम में, किसी अन्य महिला के फर्टाइल पीरियड में स्वस्थ अंडाणु लिए जाते हैं और जिस महिला को प्रेग्नेंसी चाहिए होती है उसके अंदर वो अंडाणु लगा दिए जाते हैं। ये तरीका विशेषकर ज्यादा उम्र की महिलाओं के लिए वरदान जैसा है, जो उन्हें बायोलॉजिकल मां बनने का मौका देता है।

कपल की इच्छाशक्ति और दृढ़ता सबसे अहम : डॉ.गुंजन गुप्ता 

डॉ.गुंजन गुप्ता ने इस प्रोसेस के बारे में बताया, ये तरीका पहली बार में ही कारगर रहा। कपल ने बहुत सावधानियां बरतीं और हमारी टीम ने प्रेग्नेंसी के दौरान लगातार नजर रखी। इस तरह महिला ने दो प्यारी बच्चियों को जन्म दिया, जिसे पाकर कपल बहुत खुश था। इस पूरी प्रक्रिया में सबसे अहम कपल की इच्छाशक्ति और दृढ़ता थी। साथ ही हम पर उनका भरोसा करना भी सही निर्णय साबित हुआ। नए एडवांसमेंट, सही फर्टिलिटी सेंटर और सही स्पेशलिस्ट पर भरोसा करके संतान प्राप्ति की इच्छा के पूरे होने की संभावना बढ़ जाती है।

 

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