नई दिल्ली /नेशनल ब्यूरो। ओडिशा के बालासोर जिले में स्थित बाहानगा बाजार स्टेशन पर अगले आदेश तक कोई ट्रेन नहीं रुकेगी, क्योंकि रेल हादसे की जांच कर रहे केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने ‘लॉग बुक’ और उपकरण जब्त करने के बाद स्टेशन को सील कर दिया है। ‘अप’ और ‘डाउन’, दोनों लाइन पर परिचालन बहाल होने के बाद कम से कम सात ट्रेन बाहानगा बाजार स्टेशन पर रुक रही थीं। वहां दो जून को हुए रेल हादसे में 288 लोगों की मौत हो गई और 1,208 अन्य घायल हुए। दक्षिण पूर्व रेलवे (SER) के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी आदित्य कुमार चौधरी ने संवाददाताओं को बताया कि CBI ने ‘लॉग बुक’, ‘रिले पैनल’ और अन्य उपकरण जब्त करने के बाद स्टेशन को सील कर दिया है। चौधरी ने संवाददाताओं से कहा, रिले इंटरलॉकिंग पैनल को सील कर दिया गया है, जिससे सिग्नल प्रणाली तक कर्मचारी की पहुंच निषिद्ध हो गई है। कोई सवारी गाड़ी या मालगाड़ी अगले नोटिस तक बाहानगा बाजार स्टेशन पर नहीं रुकेगी। हालांकि, प्रतिदिन करीब 170 ट्रेन बाहानगा बाजार रेलवे स्टेशन से होकर गुजरती हैं, लेकिन केवल भद्रक-बालासोर मेमू, हावड़ा भद्रक बाघजतीन फास्ट पैसेंजर, खड़गपुर खुर्दा रोड फास्ट पैसेंजर जैसी ट्रेन एक मिनट के लिए स्टेशन पर रुका करती हैं। चौधरी ने बताया कि 1,208 घायल व्यक्तियों में से 709 को रेलवे अनुग्रह राशि मुहैया करा चुका है।
रिटायर्ड जज एवं नौकरशाहों ने लिखा पीएम को पत्र
सेवानिवृत्त न्यायाधीशों और नौकरशाहों समेत नागरिक समाज के प्रमुख सदस्यों के एक समूह ने ओडिशा ट्रेन हादसे पर शनिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर देश की राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने के प्रयासों पर चिंता व्यक्त की। इस पत्र पर 270 लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं। पत्र में कहा गया, ओडिशा के बालासोर में हुई भीषण दुर्घटना से हम बहुत परेशान हैं, जिसमें हमारा तेजी से बढ़ता और आधुनिक होता रेलवे प्रभावित हुआ है। हालांकि, जांच अभी भी चल रही है, लेकिन, प्रारंभिक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ऐसा संदेह है कि ट्रेन के पटरी से उतरने का कारण मानवीय हस्तक्षेप हो सकता है, जो आतंकवादी संगठनों के इशारे पर साजिश का एक स्पष्ट मामला जान पड़ता है।
ओडिशा ट्रेन हादसे को लेकर जताई राष्ट्रीय सुरक्षा पर चिंता
पत्र में कहा गया है कि हस्ताक्षर करने वालों में से कुछ ने जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर में काम किया है, जहां उन्हें रेलवे नेटवर्क के सुचारू संचालन में तोड़फोड़ की स्थितियों का सामना करना पड़ा। इसमें कहा गया, जम्मू-कश्मीर ने 1990 और 2000 के दशक की शुरुआत में पठानकोट से जम्मू तक रेलवे लाइन पर कई हमले देखे, जहां पटरियां गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त की गईं।